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अलग-अलग वजहों से अकसर चर्चा में बने रहने वाले तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर चर्चा में हैं.
इस बार अंग्रेज़ी के किसी शब्द, किसी किताब या किसी वक्तव्य के लिए नहीं बल्कि उनको लेकर अब कयास लगाए जाने लगे हैं कि वो जल्द ही कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ सकते हैं.
इस बात के कयास उनके पिछले कुछ पोस्ट और बयान के बाद से लगाए जा रहे हैं लेकिन उनका अगला क़दम क्या होगा ये साफ़ नहीं है.
बीते हफ़्ते शशि थरूर ने एक्स पर एक पोस्ट किया था जिसके बाद से ये अनुमान लगाया जाने लगा था कि उनके और कांग्रेस पार्टी के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
उन्होंने अंग्रेज़ी कवि थॉमस ग्रे के एक वक्तव्य को साझा किया था, जिसका हिंदी में अर्थ है- ‘जहाँ अज्ञान ही सुख है, वहां बुद्धिमान होना मूर्खता है.’
इसके बाद लगातार शशि थरूर कुछ ऐसा करते रहे हैं जिसकी सोशल मीडिया पर भी चर्चा है. कई लोग ये भी दावा करने लगे कि शशि थरूर बीजेपी में जा रहे हैं.
पीएम मोदी की तारीफ़, केंद्रीय मंत्री के साथ तस्वीर
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साल 2009 में संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए शशि थरूर लगातार चार बार से केरल की तिरुवनंतपुरम सीट से लोकसभा सांसद हैं.
कांग्रेस छोड़ने की अटकलों को तब और बल मिल गया जब उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के मलयालम पॉडकास्ट से कहा कि अगर उनकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं है तो उनके पास ‘विकल्प’ हैं.
उन्होंने कहा था, “अगर पार्टी (उनका) इस्तेमाल करना चाहती है तो पार्टी के लिए उपलब्ध रहेंगे. अगर नहीं तो मेरे पास करने के लिए मेरी चीज़ें हैं. आपको नहीं सोचना चाहिए कि मेरे पास दूसरे विकल्प नहीं हैं.”
इसके बाद उन्होंने कहा, “मेरे पास मेरी किताबें, भाषण, और पूरी दुनिया से बातचीत करने के लिए निमंत्रण हैं.”
शशि थरूर ने साफ़ नहीं किया था कि वो किसी पार्टी में शामिल होंगे लेकिन इसके साथ ही उन्होंने हाल ही में जिस तरह के बयान दिए उसके बाद कयास लगाए जाने लगे कि वो बीजेपी के नज़दीक जा रहे हैं.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर उनकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाक़ात की तारीफ़ की थी. उन्होंने पीएम मोदी के दौरे को काफ़ी अच्छा बताया था. हालांकि अवैध भारतीय प्रवासियों को भारत भेजने के दौरान उनके साथ किए गए व्यवहार को लेकर थरूर का कहना था कि इसको पीएम मोदी को देखना चाहिए था.
उन्होंने एफ़-35 लड़ाकू विमान को ख़रीदने में भारत की दिलचस्पी की तारीफ़ की थी. उन्होंने कहा था कि ये विमान काफ़ी क़ीमती है. लेकिन थरूर के उलट कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस विमान को ख़रीदने में दिलचस्पी की निंदा की थी.
सुरजेवाला ने कहा था, “वो एफ़-35 जिसे एलन मस्क ‘कबाड़’ बता चुके हैं उसे नरेंद्र मोदी ख़रीदने पर क्यों तुले हुए हैं.”
मंगलवार को उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनल्ड्स के साथ एक सेल्फ़ी पोस्ट की थी.
उन्होंने लिखा था, “लंबे समय से रुकी हुई एफ़टीए वार्ता फिर से शुरू हो गई है, जो स्वागत योग्य है.”
क्या बीजेपी में जा रहे हैं थरूर?
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इंडियन एक्सप्रेस मलयालम के पॉडकास्ट से शशि थरूर ने विस्तार से बात की है. उन्होंने कहा है, “मैं हमेशा से ही एक क्लासिक उदारवादी रहा हूं. मैं सांप्रदायिकता का विरोध करता हूं और आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय में विश्वास करता हूं.”
क्या वो बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं? इस सवाल का जवाब उन्होंने ख़ुद इस पॉडकास्ट में दिया है. उन्होंने कहा, “नहीं, हर पार्टी का अपना विश्वास और इतिहास होता है. अगर आप किसी दूसरी पार्टी के विश्वास को नहीं अपना सकते तो उसके साथ जुड़ना सही नहीं है. मुझे नहीं लगता कि यह सही है.”
केरल राज्य की राजनीति में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ़ गठबंधन में भी शशि थरूर कोई बड़ी हस्ती नहीं रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बीजेपी काफ़ी समय से केरल में अपने पांव जमाने की कोशिश में लगी हुई है.
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शशि थरूर के सामने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को उतारा था और उन्होंने कड़ी टक्कर शशि थरूर को दी थी. दूसरी ओर बीजेपी ने राज्य में सिर्फ़ एक सीट जीती थी. सुरेश गोपी ने राज्य में बीजेपी का ख़ाता खोला था.
शशि थरूर बीजेपी में जाते हैं तो वो राज्य में उनके लिए अहम साबित हो सकते हैं.
वहीं राज्य की सत्ता में क़ाबिज़ वामपंथी एलडीएफ़ गठबंधन ने भी शशि थरूर का अपने यहां स्वागत किया है.
सीपीएम के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक ने कहा था कि थरूर अगर कांग्रेस छोड़ते हैं तो वो ‘केरल की राजनीति में अनाथ नहीं होंगे, उन्हें अपनी स्थिति साफ़ करने दीजिए लेकिन सीपीएम के आगे उन्हें स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं है. पहले भी हमारी पार्टी कई कांग्रेसी नेताओं का स्वागत कर चुकी है.’
केरल की राजनीति में चाहते हैं भूमिका?
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कांग्रेस पार्टी की केरल में राजनीति की अगर बात करें तो संगठन में कई धड़े हैं लेकिन उनमें थरूर के नाम की चर्चा नहीं होती है. थरूर के बयानों पर राज्य में कांग्रेस की ओर से मिले-जुले बयान आए हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्नीथला इंडियन एक्सप्रेस को दिए थरूर के इंटरव्यू को कम महत्व देते हैं. उनका कहना है कि हो सकता है कि ये इंटरव्यू 18 फ़रवरी को राहुल गांधी से उनकी मुलाक़ात से पहले रिकॉर्ड किया गया था.
वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन सीपीएम के बयान को ख़ारिज करते हुए कह चुके हैं कि ये पार्टी का अंदरूनी मामला है. मुरलीधरन को साल 2026 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा समझा जाता है लेकिन वो साफ़ कर चुके हैं कि 2026 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी बिना मुख्यमंत्री चेहरे के उतरेगी.
शशि थरूर केरल की एलडीएफ़ सरकार कार्यकाल में उद्मशीलता विकास को लेकर उसकी तारीफ़ कर चुके हैं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के एक लेख में उन्होंने राज्य के सकारात्मक स्टार्टअप ईको सिस्टम और नई औद्योगिक नीतियों को लागू करने की तारीफ़ की थी.
लेख में शशि थरूर ने बताया था कि सत्तारूढ़ एलडीएफ़ के पास मौक़ा है कि विपक्षी यूडीएफ़ के इस दावे का खंडन करे कि राज्य विकास और आर्थिक वृद्धि में पिछड़ रहा है.
एलडीफ़ की तारीफ़ करने को लेकर भी उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के पॉडकास्ट में अपना पक्ष रख है.
उन्होंने कहा, “मैंने लेफ़्ट पार्टी की कई बार आलोचना की है, लेकिन जब मैंने कुछ अच्छा कहा तो इसे अलग तरह से लिया गया. यह एक बड़ी बात बन गई. मुझे ख़ुद को सही ठहराने की ज़रूरत नहीं है. मैंने अपनी राय ज़ाहिर कर दी थी.”
कांग्रेस से रिश्ते ठीक नहीं हैं?
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शशि थरूर अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते रहे हैं. साल 2022 में जब कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो गांधी परिवार की पसंद बताए जा रहे मल्लिकार्जुन खड़गे के ख़िलाफ़ शशि थरूर उम्मीदवार थे.
साल 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि ये उनका आख़िरी संसदीय चुनाव होगा.
पार्टी के अंदर विवाद को लेकर इंडियन एक्सप्रेस से शशि थरूर ने कहा है कि ‘मेरी ख़ुद की ही पार्टी में कुछ लोग मेरा विरोध करते हैं लेकिन मैं भारत और केरल के भविष्य के लिए बोलता हूं.’
हालांकि थरूर कहते हैं कि वो कांग्रेस के लिए वफ़ादार हैं और अगर ज़रूरत हुई तो वो पार्टी में बड़ी भूमिका चाहते हैं.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि शशि थरूर ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाक़ात की है और इसे अच्छी मुलाक़ात बताया गया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.