इमेज कैप्शन, शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद की ऊपरी मंजिलों को गिराया जा रहा है….में
शिमला के संजौली इलाके में कई साल से विवादों में घिरी पांच मंजिला मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का काम फिर से शुरू कर दिया गया है.
यह कार्रवाई हिमाचल प्रदेश वक़्फ़ बोर्ड और मस्जिद कमेटी की ओर से हो रही है.
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में इस संबंध में आदेश दिया था, जिसमें निचली दो मंजिलों को बनाए रखने का निर्देश दिया गया है, जबकि ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध करार देते हुए हटाने को कहा गया है.
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च 2026 तय की है.
मस्जिद की ऊपरी मंजिलों को गिराने के सवाल पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से रोजगार के लिए शिमला में आकर रह रहे स्थानीय दर्जी इमरान (28 साल) ने बीबीसी से कहा, “मैं यहां रोजी-रोटी कमाने आया हूं. अगर कुछ गलत बनाया है तो तोड़ना गलत नहीं है, लेकिन अपनी बात रखने का हक तो होना ही चाहिए.”
इमरान ने कहा, “यहां कुछ लोग इस मस्जिद को एक ही दिन में गिराना चाहते हैं. मस्जिद कमेटी को भी अदालत में अपनी बात कहने का समय मिलना चाहिए. अब जब बड़ी अदालत ने निर्णय लिया है तो सब उसको मान रहे हैं, लेकिन भीड़ का फ़ैसला मानना किसके लिए ठीक है.”
वक़्फ़ बोर्ड के एक पदाधिकारी ने बताया कि ऊपरी दो मंजिलें पहले ही गिराई जा चुकी हैं और तीसरी मंजिल का आधा हिस्सा भी हटा दिया गया है, लेकिन संसाधनों की कमी से काम रुका था.
अब अपने संसाधनों से काम पूरा किया जा रहा है.
मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ़ ने पहले कहा था कि वे अदालत के आदेश का पालन करते हुए अवैध हिस्से खुद हटाने को तैयार हैं और यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण तरीके से हो रही है.
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इमेज कैप्शन, मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि मामला बिल्कुल सीधा है लेकिन इसे सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.
मोहम्मद लतीफ़ ने बीबीसी हिंदी से कहा, “मामला बिल्कुल सीधा है लेकिन इसे सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है. अब जैसा अदालत ने कहा है कि तीन मंजिलें गिरानी होंगी तो उस पर काम हो रहा है. दो मंजिल गिराने का काम तो हो ही चुका है. लेकिन क्या हमें अदालतों में जाने का भी अधिकार नहीं है?”
“मामला अवैध निर्माण का था तो उसके लिए जो कुछ भी प्रयास थे हमने किए. लेकिन सिर्फ मस्जिद है इसलिए बिना दलील अपील करने की कार्रवाई करने की मांग कहां तक उचित है. हमने पहले कहा था कि एक भी मंजिल न गिराई जाए लेकिन कोर्ट ने कुछ और निर्णय दिया जिसे सब मानेंगे.”
कैसे शुरू हुआ विवाद
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इमेज कैप्शन, संजौली मस्जिद से जुड़ा विवाद 2024 में शुरू हुआ था जब इसमें रहने वाले कुछ युवकों का एक स्थानीय व्यापारी से झगड़ा हुआ था.
यह विवाद साल 2024 में तेज हुआ था. 30 अगस्त 2024 को मल्याणा इलाके में एक स्थानीय व्यापारी की कुछ मुस्लिम युवकों से झड़प हुई, जिनके बारे में पता चला कि वे मस्जिद में रहते हैं और ज्यादातर बाहर से आए हैं.
इसके बाद स्थानीय लोगों ने अवैध निर्माण और इलाक़े की आबादी में बदलाव का मुद्दा उठाया.
यह विवाद काफ़ी बड़ा हो गया था और इसमें शिमला ज़िला के रामपुर, सुन्नी और कुल्लू के ज़िला मुख्यालय पर स्थानीय मस्जिदों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए.
साथ ही शिमला में हुए प्रदर्शन के दौरान बल प्रयोग करने के ख़िलाफ़ भी विरोध जताया गया था.
इन सब जगहों पर विरोध प्रदर्शन का तरीक़ा एक जैसा था, लोगों ने मस्जिदों के बाहर या नज़दीक पहुँचकर हनुमान चालीसा का पाठ किया.
5 अक्तूबर 2024 को शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध घोषित कर गिराने का आदेश दिया.
इस पर मुस्लिम पक्ष की अपील 30 नवंबर 2024 को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी.
3 मई 2025 को आयुक्त कोर्ट ने निचली दो मंजिलों को भी अवैध माना. 30 अक्तूबर 2025 को जिला अदालत ने मुस्लिम पक्ष की अपील फिर खारिज की और पूरे ढांचे को अवैध करार दिया.
इसके ख़िलाफ़ वक़्फ़ बोर्ड ने हाईकोर्ट में अपील की. दिसंबर 2025 में हाईकोर्ट ने ऊपरी तीन मंजिलों का तोड़ा जाना जारी रखने का आदेश दिया, लेकिन निचली दो पर स्टे दे दिया.
इसी के बाद ऊपरी मंजिलों को तोड़ने का काम जारी हुआ.
हिंदू संगठनों का विरोध
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इमेज कैप्शन, देवभूमि संघर्ष समिति जैसे हिंदू संगठनों ने बड़े प्रदर्शन किए और पूरे ढांचे को गिराने की मांग की थी.
देवभूमि संघर्ष समिति जैसे हिंदू संगठनों ने बड़े प्रदर्शन किए और पूरे ढांचे को गिराने की मांग की.
15 दिसंबर 2025 को समिति ने नगर निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर 29 दिसंबर तक इसे पूरा करने की मांग की और इसके लिए मुफ़्त में मदद की पेशकश की.
समिति के संयोजक विजय शर्मा कहते हैं, “हम सिर्फ क़ानून का पालन चाहते हैं. अदालत के फ़ैसले को लागू करने के लिए हमें प्रदर्शन करना पड़ रहा है. अगर मेरे घर की मंजिल अवैध है तो निगम बिजली-पानी काट देता है, यहां भी वही होना चाहिए.”
शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान और एसएसपी संजीव गांधी ने बार-बार कहा कि सभी कार्रवाई अदालत के आदेश और कानून के दायरे में हो रही है और किसी के अधिकारों का हनन नहीं होगा.
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि राज्य में पहले ऐसा हिंदू-मुस्लिम तनाव नहीं देखा गया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.