भारत और इंग्लैंड के बीच मौजूदा टेस्ट सिरीज़ का पांचवां और अंतिम टेस्ट ओवल में शुरू हो गया है. भारत इस सिरीज़ में भले ही 1-2 से पिछड़ रहा हो, लेकिन 25 साल के भारतीय कप्तान शुभमन गिल के लिए ये सिरीज़ बेहद ख़ास रही है.
कप्तान के रूप में पहले चार टेस्ट मैचों में उन्होंने जो हासिल किया है, वह उल्लेखनीय है. ऐसे में उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे इस मैच में भारत को कामयाबी दिलाकर सिरीज़ में बराबरी हासिल कर लेंगे.
2-2 से सिरीज़ ड्रॉ होना अपने आप में एक तरह का चमत्कार माना जाएगा, क्योंकि भारत ओवल टेस्ट में अपने प्रमुख तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह के बिना खेल रहा है.
हालांकि दूसरी ओर इंग्लैंड टीम में बेन स्टोक्स कंधे की चोट के कारण बाहर हो चुके हैं. ऐसे में इंग्लिश टीम को अपने करिश्माई कप्तान की कमी खलेगी, लेकिन यह भारत के युवा कप्तान शुभमन गिल के लिए सिरीज़ में बराबरी करने के मौके को और बढ़ाने वाला पहलू बन सकता है.
स्टोक्स की अनुपस्थिति में ओली पोप इंग्लैंड टीम की कमान संभाल रहे हैं, जिनके सामने शुभमन गिल ख़ुद को बेहतर कप्तान साबित करने की पूरी कोशिश करेंगे.
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इमेज कैप्शन, बेन स्टोक्स कंधे की चोट के कारण पांचवे टेस्ट से बाहर हैं
प्रभावी रही है शुरुआत
वैसे शुभमन गिल इस पूरी सिरीज़ में बल्ले से काफ़ी कामयाब रहे हैं. वे अब तक सिरीज़ में चार शतक बना चुके हैं. इसमें एजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में 269 और दूसरी पारी में 161 रनों की पारी भी शामिल है. एक सिरीज़ में चार शतक जमा कर वे डोनाल्ड ब्रैडमैन और सुनील गावसकर की बराबरी कर चुके हैं, जबकि कप्तान के तौर पर वे ऐसे पहले कप्तान बन चुके हैं, जिन्होंने अपनी पहली कप्तानी सिरीज़ में चार शतक बनाए हैं.
एक युवा और अनुभवहीन टीम का नेतृत्व करना अपने आप में अनिश्चितताओं से भरा होता है और कप्तानी भी गिल के लिए बिल्कुल नया पहलू था.
लेकिन उन्होंने इस मौक़े का पूरा फ़ायदा उठाया और अपने पिछले ख़राब विदेशी रिकॉर्ड को भुलाकर शानदार शुरुआत की.
हेडिंग्ले में पहले टेस्ट से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था, “जब भी मैं मैदान पर उतरता हूँ, मैं एक बल्लेबाज़ के तौर पर खेलना चाहता हूँ और विरोधी टीम पर हावी होकर सिरीज़ का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ बनना चाहता हूँ, और मैं यही करने की कोशिश कर रहा हूँ.”
यही उन्होंने अब तक हासिल भी किया है, चार टेस्ट मैचों में 722 रन बना चुके हैं. ओवल टेस्ट में 53 रन और बनाते ही वह गावसकर के 774 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे.
गावसकर ने ये कारनामा अपने पहले ही टेस्ट सिरीज़ में 1970-71 में किया था. यह किसी भारतीय बल्लेबाज़ का एक टेस्ट सिरीज़ में सबसे ज़्यादा रनों का रिकॉर्ड था.
संकट में चुनौती
शुभमन गिल की कप्तानी में भारत ने हेडिंग्ले में खेले गए पहले टेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया. जायसवाल के साथ उन्होंने बेहतरीन साझेदारी निभाई और दोनों ने शतक जमाए. इस टेस्ट मैच में भारत के पाँच बल्लेबाज़ों ने शतक लगाए.
यह पहला मौका था जब भारतीय बल्लेबाज़ों ने ऐसा कमाल किया, लेकिन इसके बावजूद भारत यह टेस्ट मैच पाँच विकेट से हार गया.
ऐसी हार किसी अनुभवी कप्तान को भी हिला सकती थी, लेकिन गिल ने हार नहीं मानी. दूसरे टेस्ट में चुनौती और बढ़ गई, जब प्रमुख गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह खेलने के लिए फिट नहीं थे.
टीम और युवा कप्तान की प्रतिष्ठा दांव पर थी और एजबेस्टन में एक शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी. गिल ने जो किया वह असाधारण था. उन्होंने 269 और 161 रनों की यादगार पारियाँ खेलीं.
भारत ने बल्ले से इंग्लैंड पर पूरी तरह दबदबा बना लिया. पहली पारी में 587 रन और दूसरी पारी में छह विकेट पर 427 रन बनाए. 336 रनों की बड़ी जीत के साथ भारत ने सिरीज़ में वापसी की.
लॉर्ड्स में एक बेहद रोमांचक मुकाबला हुआ, जिसमें इंग्लैंड के कप्तान स्टोक्स की समझदारी ने मेज़बान टीम को 22 रनों से जीत दिलाई और इंग्लैंड को बढ़त मिल गई.
इसके बाद मैनचेस्टर टेस्ट में भी टीम इंडिया चौथी पारी में मुश्किल में आ गई थी. लेकिन गिल ने चौथी पारी में बेहतरीन शतक लगाकर मैच को ड्रॉ की ओर मोड़ा और आख़िर में रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर की शतकों की बदौलत भारतीय टीम ने लगभग पक्की हार को ड्रॉ में बदल दिया.
वैसे ऐसा नहीं है कि गिल की कप्तानी की आलोचना नहीं हुई हो. टीम की प्लेइंग इलेवन को लेकर सिरीज़ के दौरान उन पर सवाल भी उठे हैं. चाहे वह करुण नायर को मौका देना हो या कुलदीप यादव की अनदेखी, इन फैसलों को लेकर गिल की कप्तानी पर सवाल किए गए हैं. हालांकि मौजूदा दौर में टीम कॉम्बिनेशन में कोच की भी अहम भूमिका होती है.
मैदान के अंदर गेंदबाज़ों के बेहतर इस्तेमाल के लिहाज़ से गिल को अभी बहुत कुछ सीखना है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह हर चुनौती के लिए तैयार हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित