सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद से जुड़े मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस और संभल ज़िला प्रशासन को कड़ा निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की पुलिस और संभल ज़िला प्रशासन को ‘पूरी तरह तटस्थ’ रहकर शांति बहाल करने का निर्देश दिया है.
उत्तर प्रदेश के संभल में 16वीं सदी के एक ध्वस्त मंदिर में मस्जिद बनाए जाने के दावे से जुड़ा मामला वहाँ के सिविल कोर्ट में आया था. इसके बाद सिविल कोर्ट ने वहाँ सर्वे का आदेश दिया था.
इसी सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इसमें पाँच लोग मारे गए थे. हालांकि पुलिस ने चार मौतों की पुष्टि की थी.
इस मामले को लेकर कई गिरफ़्तारियां भी हुईं और शहर में सांप्रदायिक तनाव देखने को मिला.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में संभल की शाही जामा मस्जिद के मामले में सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मस्जिद के मामले में सिविल कोर्ट की सभी सुनवाई को रोकने का आदेश दिया.
बेंच ने ये भी कहा कि सिविल कोर्ट के एडोवेकेट कमिश्नर की तैयार सर्वे रिपोर्ट सीलबंद कवर में रखी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संभल मस्जिट कमिटी के लिए इस मामले में कई क़ानूनी विकल्प मौजूद हैं. यह कमिटी पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई थी.
संभल शाही मस्जिद कमिटी ही मस्जिद के प्रबंधन का काम देखती है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मस्जिद कमिटी सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 9 नियम 13 के तहत 19 नवंबर को सिविल अदालत की ओर से सर्वे करने के एकपक्षीय फ़ैसले को रद्द करने के लिए याचिका दायर कर सकती है या फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश अनुच्छेद 227 के तहत निचली अदालतों की निगरानी के अपने अधिकार के तहत दिया है.
बेंच ने ये साफ़ कर दिया कि निचली अदालत (सिविल कोर्ट ) तब तक कोई सुनवाई नहीं करेगी जब तक कि मस्जिद कमिटी की याचिका (अगर वो कोई याचिका दायर करती है) हाई कोर्ट में सूचीबद्ध होकर सुन न ली जाए.
अगर सिविल कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ कोई याचिका दायर की जाती है तो हाई कोर्ट को इसे तीन दिन के अंदर सुनवाई के लिए लिस्ट करनी होगी.
जस्टिस संजीव खन्ना ने इस बीच ये सुनिश्चित कर दिया कि सर्वोच्च अदालत की नज़रें इस मामले से जुड़े घटनाक्रमों पर रही है.
अदालत ने इस मामले को निपटाने के बजाय कमिटी की याचिका को छह जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए लिस्ट कर दिया है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को संबोधित करते हुए कहा, ”यह सुनिश्चित करें कि शांति और एकता बनी रहे. आपके लिए पूरी तरह तटस्थ रहना ज़रूरी है.”
बेंच ने केएम नटराज को निर्देश दिया कि सिविल कोर्ट में अब और कोई दस्तावेज़ न दाखिल किया जाए.
संभल कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई आठ जनवरी को तय की थी.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि वो इस केस की मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.
संभल मस्जिद कमिटी के वकील ने क्या कहा
मस्जिद कमिटी की ओर से पेश होते हुए सीनियर एडवोकेट हुज़ैफा अहमदी ने कहा कि ऐसे ही दस मामले देश की अलग-अलग अदालतों में लंबित पड़े हैं
उन्होंने कहा कि वो अदालत का ध्यान इस ओर खींचना चाहते हैं कि हर केस में एक ही तरह की ‘कार्यशैली’ अपनाई गई है.
हर मामले में ये दावा किया गया है कि प्राचीन ध्वस्त मंदिरों के ऊपर मस्जिद बना ली गई है.
एडवोकेट अहमदी ने कहा कि इस तरह के कई मामलों में स्थानीय अदालतें मस्जिदों का सर्वे कर दावे की पड़ताल का आदेश दे चुकी हैं.
इस पर चीफ़ जस्टिस ने कहा कि संभल की मस्जिद के मामले में सिविल कोर्ट अब इस केस को आगे नहीं बढ़ाएगा.
दो दिन पहले ही राजस्थान स्थित अजमेर शरीफ़ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे को लेकर दायर याचिका को स्थानीय अदालत ने स्वीकार कर लिया था.
पिछले कुछ महीनों के दौरान कई ऐसे मामले आए हैं, जब अदालत ने मंदिर पर मस्जिद बनाए जाने के दावे की पड़ताल को लेकर सर्वे के आदेश दिए.
इनमें मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह से लेकर वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का मामला शामिल है.
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाए जाने के दावे के बाद वाराणसी कोर्ट ने वहां सर्वे कराने के आदेश दिए था.
वाराणसी की स्थानीय अदालत ने हिंदू याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सर्वे का आदेश दिया था.
हिन्दू याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पहले यहाँ मंदिर था और 1669 में मुगल बादशाह औरंगज़ेब के फ़रमान पर इसे तोड़ दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यूपी सरकार ने क्या कहा?
संभल की मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार कोर्ट के फैसले का सम्मान करती है.
वहीं यूपी के एक और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि अदालत ने जो कहा है, उसका पूरा सम्मान होगा. किसी को भी क़ानून हाथ में लेने की इजाज़त नहीं होगी.
संभल के सांसद ज़िया उर्र रहमान बर्क ने ‘एनडीटीवी’ से एक बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर खुशी जताई है और कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि मस्जिद कमिटी को पूरा इंसाफ़ मिलेगा. साथ ही जिन लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया था, उन्हें भी इंसाफ़ मिलेगा.
इस बीच, समाजवादी पार्टी ने 30 नवंबर को अपना एक प्रतिनिधिमंडल संभल भेजने का फ़ैसला किया है.
समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर बताया है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे की अगुआई में 15 सदस्यीय समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल 30 नवंबर को संभल का दौरा करेगा.
संभल में क्या हुआ था?
संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वे के तहत संरक्षित स्मारक है.
बीते रविवार को शाही जामा मस्जिद स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़पों का केंद्र बन गई थी.
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर ये नया विवाद 19 नवंबर को तब शुरू हुआ जब संभल से क़रीब 25 किलोमीटर दूर स्थित कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज महाराज और उनके साथ मिलकर कुछ लोगों ने एक याचिका संभल की अदालत में दाख़िल की.
उन्होंने मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया. अदालत ने कुछ ही घंटे के भीतर मस्जिद परिसर के सर्वे का आदेश पारित कर दिया और उसी दिन अदालत के आदेश पर मस्जिद परिसर का सर्वे भी हुआ.
19 नवंबर को हुए इस सर्वे के दौरान भी भीड़ जुटी थी लेकिन कोई तनाव नहीं हुआ था.
हालात तब बिगड़े तब जब रविवार को दूसरे सर्वे के दौरान भीड़ और पुलिस बल आमने-सामने आ गए. कई घंटों तक पत्थरबाज़ी होती रही.
इस घटना को कवर करने संभल पहुंचे बीबीसी रिपोर्टर दिलनवाज़ पाशा वहां मौजूद कई लोगों ने बताया था दूसरे सर्वे के दौरान मस्जिद में खुदाई की अफ़वाह फैली जिसके बाद भीड़ उत्तेजित हो गई.
मुसलमान समुदाय के कुछ लोग ये भी दावा करते हैं कि पहले पुलिस ने बल प्रयोग किया. इस हिंसा में कम से कम पांच लोगों की मौत के अलावा कई लोग घायल भी हुए थे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित