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उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर, 2024 को भड़की हिंसा से जुड़े केस में पुलिस ने मैजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है.
पुलिस ने अपने आरोप पत्र में संभल के रहने वाले शारिक साठा को हिंसा का मुख्य सूत्रधार बताया है.
पुलिस के मुताबिक़ शारिक साठा के तार दाउद इब्राहिम और पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं.मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट अर्चना सिंह की अदालत में इस हिंसा से जुड़े चार मामलों में पुलिस ने 124 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाखिल किया है.
ये हिंसा उस वक्त हुई थी जब अदालत के आदेश के बाद संभल की जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए पुलिस प्रशासन की देख रेख में कोर्ट कमिश्नर पहुंचे थे. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और पुलिस-प्रशासन के 30 लोगों की मौत हो गई थी.
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आरोप पत्र में क्या है?
पुलिस संभल के समाजवादी पार्टी के सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क और विधायक इक़बाल महमूद के पुत्र सोहेल महमूद के खिलाफ भी जांच कर रही है.
पुलिस के आरोप पत्र के मुताबिक शारिक साठा के लोगों ने सर्वे टीम पर हमला करने की योजना बनाई थी.
इस आरोप पत्र पर पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि साठा के लोगों की गोली से ही चार लोगों की मौत हुई थी.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पुलिस की सराहना करते हुए कहा है, “एसआईटी ने अच्छा काम किया है.पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की है और 79 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. पुलिस आगे भी अच्छा काम करती रहेगी.”
इसके जवाब में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरूल हसन चांद ने कहा, “पुलिस ने वही किया है जो सरकार चाहती है. इसमें अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है. जो लोग 24 नंवबर को नारेबाज़ी करते हुए मस्जिद की तरफ जा रहे थे, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. सिर्फ संभल के लोगों को परेशान किया जा रहा है.”
चांद का कहना था कि अब अदालत से ही इंसाफ की उम्मीद है.
हालांकि पुलिस ने संभल की हिंसा को सोची-समझी साजिश बताया है. इसके लिए शारिक साठा और उसके साथियों को पुलिस ने अभियुक्त बनाया है.
शारिक साठा कौन हैं और संभल हिंसा से क्या है कनेक्शन
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पुलिस के मुताबिक शारिक साठा संभल के ही रहने वाले हैं.
पुलिस का दावा है कि वह पहले दिल्ली एनसीआर में कार चोर गैंग के सरगना थे. इस गैंग के ऊपर तकरीबन 300 कार चोरी का आरोप हैं. साठा की दिल्ली पुलिस को भी तलाश है.
पुलिस के मुताबिक साल 2020 में साठा फ़र्ज़ी पासपोर्ट के सहारे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भाग गए थे.
संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई के मुताबिक पाकिस्तान में बने कारतूस घटना स्थल से बरामद किए गए थे.
पुलिस के मुताबिक शारिक के मज़बूत राजनीतिक कनेक्शन भी हैं. अभी मामले की जांच चल रही है और बाद में अलग से सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जाएगी.
संभल के पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को बताया, “घटना वाले दिन वारदात करने वाले गुलाम को गिरफ़्तार किया गया है.”
गुलाम के पास से असलहा बरामद करने का दावा भी पुलिस ने किया है.पुलिस का दावा है कि गुलाम ने शारिक साठा के इशारे पर हथियार सप्लाई किए थे.गुलाम ने अन्य अभियुक्त मुल्ला अफ़रोज़ को हथियार दिए थे.
इसके अलावा गुलाम के पास से चेकोस्लोवाकिया और पाकिस्तान निर्मित हथियार भी मिले हैं.
पुलिस ने बताया कि गुलाम के ऊपर तकरीबन 20 मुकदमे दर्ज हैं.
विश्नोई ने दावा किया है कि पूरी घटना को इसलिए अंजाम दिया गया ताकि मस्जिद के सर्वे को किसी प्रकार रोका जा सके. इस दौरान हिंसा हुई पुलिस प्रशासन के 30 लोग ज़ख्मी हुए थे.
संभल के पुलिस अधीक्षक ने गुलाम की गिरफ़्तारी पर कहा कि इन लोगों के निशाने पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन थे.
मामले में अभी तक क्या कार्रवाई हुई?
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ज़िला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश ने मीडिया को बताया कि चार मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए हैं.
संभल में जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा को लेकर छह मुकदमे दर्ज किए गए थे. अब 124 अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की है.
इस हिंसा के मामले में पुलिस अभी तक 80 लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है.
गिरफ्तार की गई तीन महिलाओं में से एक को पुलिस ने जांच में क्लीन चिट दी है.अदालत के आदेश पर उनकी रिहाई हो गई है.
संभल हिंसा को लेकर कोतवाली संभल में दर्ज वाद संख्या 333/24 में 39 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया है.
आरोप पत्र में जांच अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान 54 और अभियुक्तों के नाम सामने आए हैं.
कोतवाली संभल में ही दर्ज दूसरे वाद संख्या 336/24 में 37 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया है. इस मामले में 52 अन्य अभियुक्तों के नाम सामने आए है.
संभल के थाना नखासा में दर्ज वाद संख्या 304/24 में 25 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया है. 15 अन्य वांछितों के खिलाफ गैर ज़मानती वारंट जारी किए गए हैं.
नखासा थाना क्षेत्र में ही दर्ज दूसरे वाद संख्या 305/24 में 23 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया है. 14 अन्य अभियुक्तों के ख़िलाफ़ गैर ज़मानती वारंट जारी किया गया है.
शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक़ नखासा थाने के दोनो मुकदमें में चार्जशीट दायर कर दी गई है.वहीं संभल थाने के चार में से दो मुकदमों में चार्जशीट प्रेषित की गयी है.
संभल में क्या हुआ था?
24 नवंबर 2024 को स्थानीय अदालत के आदेश पर संभल की जामा मस्जिद का सर्वे करने गई टीम को रोकने का प्रयास किया गया.पुलिस और भीड़ के बीच हिंसक झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी.
जिन चार लोगों की मौत हुई थी उनके नाम बिलाल,नईम,क़ैफ और अयान थे.मृतकों के परिजनों ने दावा किया था कि ये मौत पुलिस फायरिंग में हुई थी.लेकिन आरोप पत्र में पुलिस ने कहा है कि भीड़ के बीच से गोली चलाई गई थी.
हिंसा के वक्त भी मुरादाबाद के डीआईजी मुनिराज ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया था कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई है.
इस हिंसा के बाद संभल की पुलिस ने संभल के सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क समेत 2500 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था.हालांकि सांसद का कहना था कि हिंसा वाले दिन वो बेंगलुरू में एक बैठक में थे.
संभल की मस्जिद का क्या है विवाद ?
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संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद किस काल में बनी है, इसे लेकर विवाद है. लेकिन हिंदू पक्ष ने अदालत में दावा किया है कि इसे मुग़ल शासक बाबर के आदेश पर एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाया गया था.
हालांकि, संभल के इतिहास पर ‘तारीख़ ए संभल’ किताब लिखने वाले मौलाना मोईद कहते हैं, “बाबर ने इस मस्जिद की मरम्मत करवाई थी, ये सही नहीं है कि बाबर ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था.”
उनका कहना है, “ये ऐतिहासिक तथ्य है कि बाबर ने लोदी शासकों को हराने के बाद 1526 में संभल का दौरा किया था. लेकिन बाबर ने जामा मस्जिद का निर्माण नहीं करवाया था.”
मौलाना मोईद के मुताबिक़, “बहुत संभव है कि इस मस्जिद का निर्माण तुग़लक काल में हुआ हो. इसकी निर्माण शैली भी मुग़ल काल से मेल नहीं खाती है.”
ये मस्जिद फिलहाल भारत के पुरातत्व सर्वे की निगरानी में है और एक संरक्षित इमारत है.
ये पहली बार नहीं है कि इस जामा मस्जिद को लेकर विवाद हुआ है. हिंदू संगठन इसके मंदिर होने का दावा करते रहे हैं और शिवरात्रि के दौरान यहां बने कुएं के पास पूजा के प्रयास भी किए जाते रहे हैं.
हालांकि, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि पहली बार है कि मस्जिद को लेकर हाल के दशकों में अदालत में कोई वाद दायर हुआ है.
मुस्लिम पक्ष से जुड़े अधिवक्ता मसूद अहमद कहते हैं, “ये वाद दायर कर इस मुसलमान धर्मस्थल को विवादित करने का प्रयास किया गया है. इस मस्जिद को लेकर अदालत में पहले से कोई विवाद नहीं है.”
चंदौसी के सिविल जज ने भी अपने आदेश में कहा था कि अदालत में इसे लेकर कोई कैविएट (चेतावनी या शर्त) लंबित नहीं है.
हालांकि, संभल शहर में इस मस्जिद को लेकर पहले कई बार तनाव हुआ है. साल 1976 में मस्जिद के इमाम की हत्या कर दी गई थी जिसके बाद सांप्रदायिक तनाव हुआ था.
वर्ष 1980 में जब पड़ोसी शहर मुरादाबाद में सांप्रदायिक दंगे हुए तो उनकी आंच संभल तक भी पहुंची. हिंदूवादी संगठनों ने हाल के सालों में इस मस्जिद के कल्कि मंदिर होने के दावे कई बार किए हैं.
हालांकि संभल मस्जिद के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 फ़रवरी तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश निचली अदालत को दिया था. यानी तब तक इस मस्जिद में कोई सर्वे या दूसरे काम नहीं हो सकते.
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