उत्तर प्रदेश के संभल में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई हिंसा का केंद्र थी शाही जामा मस्जिद.
इस मस्जिद से क़रीब एक किलोमीटर दूर कोट मोहल्ले में 10 ग़ज़ में बने एक तीन मंज़िला मकान के बाहर ख़ामोश महिलाओं की भीड़ है.
संभल की हिंसा में 17 साल के अयान की गोली लगने से मौत हो गई थी. बाहर दीवार से टिककर उनकी मां नफ़ीसा ख़ामोश बैठी हैं.
विधवा नफ़ीसा के दो बेटों में से अयान छोटा था. एक होटल पर बर्तन धोकर मां के लिए भोजन की व्यवस्था करता था.
अयान के चचेरे भाई बताते हैं, “संभल में हुए बवाल में हमारा सबसे छोटा भाई चला गया. हम मज़दूर हैं, हम किससे इंसाफ़ मांगेंगे और अगर मांगेंगे भी तो हमें मिलेगा क्या?”
संभल में हुई हिंसा में कुल पाँच लोगों की मौत हुई है. एक के परिजनों ने बिना पोस्टमॉर्टम कराए लाश दफ़्न कर दी, इसलिए उसकी मौत आधिकारिक आंकड़ों में शामिल नहीं है.
मुरादाबाद के डीआईजी मुनिराज जी कहते हैं, “परिजनों ने ना पोस्टमॉर्टम कराया और ना ही कोई आवेदन पुलिस को दिया. इसलिए उस मौत को हिंसा में मारे गए लोगों में शामिल नहीं किया गया है.”
शहर में अब भी चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात हैं. आरएएफ़ के अलावा आसपास के ज़िलों से भी पुलिस बल बुलाए गए हैं.
हिंसा के बाद पूरे इलाक़े में ख़ामोशी
सोमवार को शहर में कुछ दुकानें खुलीं, गलियों में कुछ लोग नज़र आए. लेकिन मुसलमान मोहल्लों में ख़ामोशी और सन्नाटा है.
जामा मस्जिद के आसपास मुसलमानों के अधिकतर मकान बंद हैं. यहाँ रहने वाले पुरुष गिरफ़्तारी के डर से बाहर चले गए हैं.
जिन 27 लोगों को हिंसा के मामले में गिरफ़्तार किया गया है, उन्हें सोमवार को अदालत में पेश किया गया. इनमें कुछ महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
पुलिस के मुताबिक़ अब तक कुल सात एफ़आईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें समाजवादी पार्टी सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क़, उनके पिता ममलूक़ुर्रहमान बर्क़, सपा विधायक नवाब इक़बाल समेत 240 लोगों को नामज़द किया गया है. क़रीब 2400 अज्ञात लोगों पर भी मुक़दमा दर्ज किया गया है.
डीआईजी मुनिराज कहते हैं, “अभी हमारा फ़ोकस शांति व्यवस्था बहाल करने पर है. उसके बाद गिरफ़्तारियां भी की जाएंगी.”
पुलिस का कहना है कि हिंसा के दौरान पुलिसकर्मियों के कुछ निजी वाहन में भी आग लगा दी गई थी.
संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार कहते हैं, “हिंसा में शामिल लोगों की ड्रोन फुटेज और वीडियो के ज़रिए पहचान की जा रही है. सभी को गिरफ़्तार किया जाएगा और संपत्ति को हुए नुक़सान को उनसे वसूला जाएगा.”
संभल में इंटरनेट अभी बंद है लेकिन मंगलवार को स्कूल खुल जाएंगे.
कम हो रहे तनाव के बीच यहाँ हर ज़ुबान पर यही सवाल है कि जब 19 नवंबर को अदालत के आदेश पर सर्वे हो गया था तब रविवार को दोबारा सर्वे क्यों किया गया.
19 नवंबर को ही अदालत में शाही जामा मस्जिद के हरिहर हिंदू मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका दायर की गई था. इसी दिन शाम को पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में सर्वे हुआ था. इस दौरान भी भीड़ इकट्ठा हुई थी लेकिन माहौल शांतिपूर्ण रहा था.
विवाद कहाँ से शुरू हुआ?
ज़िलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया कहते हैं, “अदालत की तरफ़ से सर्वे के लिए नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर ने पत्र लिखकर कहा था कि लोगों की उपस्थिति की वजह से सर्वे का काम पूरा नहीं किया जा सका था.”
ज़िलाधिकारी के मुताबिक़ एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने ज़िला प्रशासन को 23 नवंबर को पत्र लिखकर बताया था कि 24 नवंबर सुबह सात से 11 बजे तक का समय दोबारा सर्वे के लिए निर्धारित किया गया है.
ज़िलाधिकारी ने दावा किया है कि रविवार सुबह होने वाले सर्वे की जानकारी फ़ोन के ज़रिए मस्जिद के सदर अधिवक्ता ज़फ़र अली को दी गई थी.
हालांकि, ज़फ़र अली ने ये दावा किया है कि उन्हें रविवार को होने वाले सर्वे की सूचना देरी से दी गई थी.
ज़िलाधिकारी के मुताबिक़, एसडीएम और सीओ ने सर्वे के आदेश की कॉपी मस्जिद समिति के सदर एडवोकेट ज़फ़र को सौंपी थी.
रविवार सुबह क्या हुआ?
डीआईजी मुनिराज के मुताबिक़, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए रविवार को होने वाले सर्वे के लिए सुबह से ही पुलिस बल तैनात किए गए थे.
संभल के सीओ अनुज चौधरी ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि वो ख़ुद सुबह छह बजे से ही पुलिस बल के साथ जामा मस्जिद के पास तैनात थे.
एडवोकेट कमिश्नर के साथ 6 लोगों की टीम सर्वे के लिए मस्जिद परिसर में सुबह ही दाख़िल हो गई थी. इस दौरान मस्जिद के सदर ज़फ़र अली भी मौजूद थे.
मस्जिद के दोबारा सर्वे की ख़बर सुबह-सुबह संभल में फैलने लगी और जामा मस्जिद के आसपास लोग इकट्ठा होने लगे.
सीओ अनुज चौधरी के मुताबिक़, आठ बजे के बाद भीड़ बढ़ने लगी थी. हालात मुश्किल हो रहे थे.
पुलिस का क्या कहना है?
डीआईजी मुनिराज ने भी बीबीसी को बताया है कि भीड़ साढ़े आठ बजे के बाद इकट्ठा हुई.
वहीं संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने अपने बयानों में कहा है कि जामा मस्जिद के आसपास की गलियों से अचानक लोग आए और पुलिस पर पथराव किया.
लेकिन आम लोग पुलिस के इस दावे को ख़ारिज करते हैं. अपना नाम ना ज़ाहिर करते हुए कई लोगों ने बीबीसी को बताया कि संभल के सीओ अनुज चौधरी ने अचानक भीड़ पर बल प्रयोग किया, जिसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए.
हालांकि पुलिस ने इन दावों को पूरी तरह ख़ारिज किया है.
मस्जिद के भीतर खुदाई होने की अफ़वाह ने भी लोगों को उग्र किया. बीबीसी से बात करते हुए कई लोगों ने ये दावा किया है कि मस्जिद के पीछे नाली से अचनाक काई का पानी बहने लगा जिसे देखकर लोगों में ये भ्रम फैला कि मस्जिद में खुदाई हो रही है.
एडवोकेट ज़फ़र अली ने भी अपने बयान में कहा है कि लोगों में ये भ्रम फैला कि मस्जिद में खुदाई हो रही है.
हालांकि, ज़िलाधिकारी ने इन दावों को ख़ारिज करते हुए कहा कि किसी तरह की खुदाई मस्जिद में नहीं हुई है. मस्जिद के टैंक के पानी को ख़ाली कराया गया था.
वज़ू टैंक ख़ाली कराने की वजह बताते हुए ज़िलाधिकारी ने कहा, “वज़ू टैंक की सिर्फ़ फोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफ़ी होनी थी इसलिए वज़ू टैंक का पानी ख़ाली कराया गया था. हर शुक्रवार को मस्जिद के वज़ू टैंक का पानी ख़ाली कराया जाता है.”
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें कथित तौर पर सर्वे करने आई टीम के साथ लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए आगे बढ़ते दिख रहे हैं.
संभल में कई लोगों का कहना है कि इस नारेबाज़ी की वजह से भी माहौल तनावपूर्ण हुआ.
हालांकि बीबीसी ने जब इस वीडियो के बारे में ज़िलाधिकारी से सवाल किया तो उनका कहना था कि ये वीडियो सर्वे पूरा होने के बाद का है और जामा मस्जिद से क़रीब तीन सौ मीटर दूर हिंदू इलाक़े का है जब सर्वे टीम वहां पहुंची तो स्थानीय लोगों ने ये नारा लगाया था.
ज़िला प्रशासन के मुताबिक़ सर्वे टीम के अलावा किसी और बाहरी व्यक्ति को मस्जिद में दाख़िल नहीं होने दिया गया था.
पुलिस का दावा- गोली नहीं चलाई
रविवार को हुई हिंसा में कुल पांच लोगों की मौत हुई हालांकि एक के परिजनों ने बिना पोस्टमॉर्टम के ही लाश को दफ़्न कर दिया था. जनाज़े में शामिल कई लोगों ने बीबीसी को बताया है इस व्यक्ति को भी गोली लगी थी. हालांकि उसके परिजनों ने बीबीसी से बात नहीं की.
मारे गए बाक़ी चार लोगों बिलाल, अयान, कैफ़ और नईम के परिजनों का दावा है कि उन्हें पुलिस की गोली लगी है.
हालांकि संभल पुलिस ने गोली चलाने के आरोपों से साफ़ इनकार किया है. बीबीसी से बात करते हुए डीआईजी मुनिराज जी ने कहा कि पुलिस ने सिर्फ़ पेलेट गन, आंसू गैस और नॉन लीथल वेपन का इस्तेमाल किया.
जब बीबीसी ने यही सवाल पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार से किया तो उनका कहना था कि पुलिस ने ना ही गोली चलाने का आदेश दिया और ना ही कोई लीथल वेपन इस्तेमाल किया गया.
पुलिस का दावा है कि जिन लोगों की मौत हुई वो भीड़ की तरफ़ से की गई फ़ायरिंग में मारे गए हैं. पुलिस ने कई अवैध हथियार बरामद करने का दावा भी किया है.
ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें पुलिस गोली चलाती दिख रही है. इन वीडियो के संबंध में जब बीबीसी ने पुलिस अधीक्षक से सवाल किया तो उनका कहना था कि ये जांच के बाद ही स्पष्ट होगा.
हालांकि उन्होंने इस बात को दोहराया कि पुलिस की तरफ़ से कोई गोली नहीं चलाई गई है.
गोली किसने मारी?
संभल में कई लोगों ने ये दावा किया है कि पुलिस ने सीधे गोली भीड़ पर चलाई. हालांकि डर की वजह से ऐसे लोग खुलकर बात नहीं कर रहे हैं.
जिस वीडियो में पुलिसकर्मी गोली चलाते दिख रहे हैं, उसमें संभल कोतवाली के एसएचओ अनुज तोमर भी नज़र आ रहे हैं.
जब एसपी से इस संबंध में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि जो बंदूक पुलिस के हाथ में दिख रही है वो पेलेट गन है.
सीओ अनुज चौधरी और एसएचओ अनुज तोमर के पैर में गोली लगने का दावा भी पुलिस ने किया है.
दोनों ही पुलिस अधिकारियों के पैर में पट्टी बंधी है. पुलिस का कहना है कि क़रीब बीस पुलिसकर्मी इस हिंसा में घायल हुए हैं.
वहीं मारे गए लोगों के परिजनों के लिए मुआवज़े के सवाल पर ज़िलाधिकरी ने कहा, “मौत कैसे हुई इसकी मैजेस्ट्रियल जांच की जा रही है. जांच रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाएगा कि शासन की तरफ़ से मदद की जानी है या नहीं.”
आमतौर पर, हिंसा में मारे गए लोगों की आर्थिक मदद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ़ से की जाती है. लेकिन संभल में मारे गए लोगों के परिवार की शासन की तरफ़ से मदद की अभी कोई घोषणा नहीं की गई है.
वहीं संभल के सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क़ के पिता ममलूक़ुर्रहमान बर्क़ इस घटनाक्रम पर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “दूसरी बार सर्वे किए जाने से ये विवाद पैदा हुआ. अगर सर्वे किया जाना इतना ही ज़रूरी था तो प्रशासन ने सभी को भरोसे में क्यों नहीं लिया? ये दूसरी बार सर्वे शहर का माहौल ख़राब कराने के मक़सद से ही किया गया है.”
ममलूक़ुर्रहमान बर्क़ कहते हैं, “सदियों पुरानी मस्जिद पर सवाल उठाकर शहर का माहौल ख़राब किया गया, इसके पीछे ग़हरी साज़िश है, लेकिन सवाल यही है कि इस साज़िश की जांच कौन करेगा.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित