डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदुओं से आह्वान किया है कि विश्व कल्याण के लिए भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने की दिशा में कार्य करें। यह केवल महत्वाकांक्षा नहीं है, बल्कि भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाना केवल दुनिया की जरूरत है।
भागवत ने अंतरराष्ट्रीय हिंदू संगठनों के सम्मेलन, विश्व संघ शिविर के समापन समारोह में रविवार को कहा कि हिंदुओं और स्वयंसेवकों को उदाहरण प्रस्तुत कर यह दिखाना होगा कि मानव बुद्धि का उपयोग वैश्विक कल्याण के लिए किस प्रकार किया जा सकता है। भागवत ने यह भी कहा कि सनातन धर्म के पुनर्जागरण का समय आ गया है।
‘शुरु हो चुकी है प्रक्रिया’
उन्होंने कहा, एक सदी पहले योगी अरविंद ने घोषणा की थी कि सनातन धर्म का पुनर्जागरण ईश्वर की इच्छा है और हिंदू राष्ट्र का उदय इसके लिए आवश्यक है। संघ प्रमुख ने कहा, भारत, हिंदू राष्ट्र, सनातन धर्म, हिंदुत्व एक-दूसरे के पर्याय हैं। उन्होंने संकेत दिया कि यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ‘विश्वगुरु’ बनने के लिए निरंतर मेहनत की आवश्यकता है।
‘विश्वगुरु बनने के लिए करने होंगे काम’
उन्होंने कहा, हमें फिर से ‘विश्वगुरु’ बनने के लिए कार्य करना होगा। यह विश्व की आवश्यकता है कि हम ‘विश्वगुरु’ बनें। लेकिन इसके लिए मेहनत करनी पड़ती है। मेहनत की जा रही है, जिसमें संघ के प्रयास भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, संघ व्यक्तित्व विकास पर जोर देता है। हम लोगों के व्यक्तित्व का विकास करते हैं और उन्हें विभिन्न कार्यस्थलों पर भेजते हैं ताकि समाज में परिवर्तन लाया जा सके। उनके कार्य की हर जगह प्रशंसा होती है। उन्हें समाज का विश्वास मिलता है।
टेक्नोलॉजी को लेकर क्या बोले संघ प्रमुख?
प्रौद्योगिकी के प्रभाव को उजागर करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, हमें दुनिया को दिखाना है कि प्रौद्योगिकी आएगी, इंटरनेट मीडिया बढ़ेगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आएगा, लेकिन प्रौद्योगिकी के दुष्प्रभाव नहीं होंगे। प्रौद्योगिकी मानवता की स्वामी नहीं बनेगी। मानवता प्रौद्योगिकी की स्वामी रहेगी। मानवता को नियंत्रण में रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, इंसानों की बुद्धि का उपयोग विश्व के कल्याण में होगा। इंसानों की बुद्धि दानव प्रवृत्तियों की ओर नहीं जाएगी। यह दिव्य प्रवृत्तियों की ओर जाएगी। यह कैसे होगा? हम यह कैसे करेंगे? हमें इसे अपने कार्यों के माध्यम से प्रदर्शित करना होगा। हमें इसे जीकर दिखाना होगा।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि विश्वभर में हिंदू स्वयंसेवक संघों के प्रयास भारत में संघ के प्रयासों के समान हैं। भागवत ने कहा, हम देख रहे हैं कि भारत में संघ के प्रयास और उनके संबंधित देशों में हिंदू स्वयंसेवक संघ के प्रयास समान हैं, अर्थात् हिंदू समुदाय को संगठित करना। पूरे विश्व में धार्मिक जीवन जीने वाले समाज का उदाहरण प्रस्तुत करना।