भारत चीन की बढ़ती नौसैनिक शक्ति को देखते हुए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की दो पनडुब्बी सौदों को अगले साल तक अंतिम रूप दे सकता है जिससे पानी के अंदर युद्ध क्षमता बढ़ेगी। पहले प्रोजेक्ट में तीन स्कार्पीन पनडुब्बियां खरीदी जाएंगी जबकि दूसरे में छह डीजल-इलेक्ट्रिक स्टील्थ पनडुब्बियां शामिल हैं। यह सौदा मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देगा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत के मद्देनजर भारत अगले साल के मध्य तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की दो बड़ी पनडुब्बी सौदे पर मुहर लगा सकता है। इन पनडुब्बियों से भारत की पानी के अंदर युद्ध करने की क्षमता बढ़ेगी। सूत्रों के मुताबिक, पहले प्रोजेक्ट के तहत तीन स्कार्पीन पनडुब्बियों की खरीद की जानी है। इन पनडुब्बियों को मझगांव डाक लिमिटेड और फ्रांसीसी रक्षा कंपनी नेवल ग्रुप मिलकर बनाएंगे।
रक्षा मंत्रालय ने दो साल पहले ही करीब 36,000 करोड़ रुपये की इस डील को मंजूरी दे दी थी, लेकिन प्रोजेक्ट के कई तकनीकी और व्यावसायिक पहलुओं पर बातचीत में देरी हुई है। दूसरा प्रोजेक्ट करीब 65,000 करोड़ रुपये की लागत से छह डीजल-इलेक्टि्रक स्टील्थ पनडुब्बियों को खरीदने का है। मंत्रालय ने 2021 में इस खरीद को मंजूरी दी थी।
मेक इन इंडिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक
सूत्रों के मुताबिक, दोनों सौदे अगले साल के मध्य तक पूरे हो जाएंगे। जर्मन जहाज निर्माता थाईसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स ने इस प्रोजेक्ट के लिए मझगांव डाक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के साथ साझेदारी की है। इस प्रोजेक्ट को हाल के सालों की सबसे बड़ी ‘मेक इन इंडिया’ पहल में से एक माना जा रहा है।
सौदे की पूरी प्रक्रिया 6 से 9 महीने में होगी पूरी
सूत्रों के मुताबिक अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो स्कार्पीन प्रोजेक्ट को अगले साल की शुरुआत में ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सौदे की पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में छह से नौ महीने लग सकते हैं। गौरतलब है कि प्रोजेक्ट 75 इंडिया के तहत छह स्टील्थ पनडुब्बियों की खरीद की सरकार की बिल्कुल नई योजना है, जबकि तीन पनडुब्बियों की खरीद पहले की योजना है। इस प्रोजेक्ट के तहत मझगांव डाक लिमिटेड ने नेवल ग्रुप के सहयोग से पहले ही छह स्कार्पीन पनडुब्बियां बना ली हैं।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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