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समस्याओं से घिरी दुनिया के लिए आशा का दीपक है योग, भारत ने विश्व को दिया सबसे अनमोल उपहार – international yoga day indias priceless gift to the world a path to freedom from stress and diseases

Byadmin

Jun 21, 2025


स्वामी चिदानन्द सरस्वती, नई दिल्ली: भारत ने पूरी दुनिया को ध्यान, साधना और योग जैसे अनमोल उपहार दिए हैं। योग केवल व्यायाम नहीं, शरीर, मन और आत्मा के संतुलन का मार्ग है। यह भारत की प्राचीनतम धरोहरों में से एक है। यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि इतने वर्षों तक योग केवल भारत तक सीमित रहा, दुनिया में उसका प्रचार-प्रसार कम ही हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 जून को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने इस भारतीय ज्ञान को वैश्विक मंच पर लोकप्रिय बनाने के लिए निर्णायक पहल की।

भारत का उपहार
योग का अर्थ है ‘जोड़’, यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन। यह भारत की प्राचीनतम देन है। वेदों में, विशेषकर ऋग्वेद और यजुर्वेद में योग संबंधी अवधारणाएं पाई जाती हैं। श्वेताश्वतर उपनिषद, कठोपनिषद और मुण्डक उपनिषद में योग व ध्यान पर विशेष प्रकाश डाला गया है। योग का सबसे व्यवस्थित रूप महर्षि पतंजलि द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसे हम राजयोग या अष्टांग योग कहते हैं, जो आज पूरी दुनिया में अपनाया जा रहा है।

प्रकृति से नाता
हर साल 21 जून को जब सूर्य उत्तरायण की चरम स्थिति में होता है, संपूर्ण विश्व एक साथ शांति, स्वास्थ्य और संतुलन की साधना करता है। इस दिन को हम ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिवस आत्मा, मन और प्रकृति के बीच के गहरे संबंध का भी उत्सव है। वैश्विक स्वास्थ्य और मानसिक शांति का प्रतीक बन चुका है यह दिन। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे अपने जीवन की आधारशिला बताया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वह कहीं भी रहें, सुबह उठकर योग के आसनों और प्राणायाम का अभ्यास जरूर करते हैं।

पूरा विश्व परिवार
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत की प्राचीन, समृद्ध और आध्यात्मिक संस्कृति का सजीव प्रतिबिंब है। यह दिवस विश्व को भारत की उस विरासत से परिचित कराता है, जो आत्मिक शांति, शरीर-मन के संतुलन और सर्वभूतहिताय के सिद्धांत पर आधारित है। योग दिवस जब पूरी दुनिया में एक साथ मनाया जाता है, तो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना और भी गहराई से प्रतिबिंबित होती है। यह भारत की सार्वभौमिक सोच और समन्वयात्मक दृष्टिकोण को प्रकट करता है।

सांस्कृतिक गौरव
अंतरराष्ट्रीय मंच पर योग दिवस का स्वीकार होना भारत के लिए सांस्कृतिक आत्मगौरव का प्रतीक है। यह दिखाता है कि भारत की प्राचीन परंपराएं आज भी प्रासंगिक हैं और पूरी दुनिया को दिशा देने की क्षमता रखती हैं। योग ने भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया है। भगवद्गीता में भी योग को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। उसके अनुरूप ही भारत के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली ने योग को अनिवार्य विषय या पाठ्यक्रम में शामिल किया है। नई शिक्षा नीति 2020, NCERT और केंद्र सरकार ने भी इसे पाठ्यक्रम के अंतर्गत एकीकृत करने की नीति बनाई है।

गुरु राष्ट्र
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास से योग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान मिला। इसका महत्व तब और बढ़ गया, जब UNESCO ने दिसंबर 2016 में योग को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ (Intangible Cultural Heritage of Humanity) के रूप में मान्यता दी। योग अहिंसा, संतुलन और आत्म-ज्ञान का प्रतीक है। जब दुनिया ने इसे अपनाया तो भारत को ‘गुरु राष्ट्र’ के रूप में देखा जाने लगा, जो आज न केवल सैन्य, तकनीकी और आर्थिक शक्ति है, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दिशा भी देता है।

मुश्किलों का समाधान
योग के माध्यम से भारत के अन्य गूढ़ विषयों – आयुर्वेद, ध्यान, प्राच्य दर्शन, गीता और उपनिषद की ओर भी लोगों की रुचि बढ़ी। इससे भारत के सांस्कृतिक और बौद्धिक प्रभाव में वृद्धि हुई। योग ने भारत को आध्यात्मिक मार्गदर्शक, एक विचार, एक जीवन शैली और एक समाधान के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। आज जब विश्व तनाव, प्रदूषण और तमाम रोगों से जूझ रहा है, तब योग शांति, स्वास्थ्य और संतुलन का दीपक बनकर उभरा है।

सांस्कृतिक कूटनीति
योग ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है, संस्कृति को गौरव दिलाया है और भारत को फिर से ‘विश्वगुरु’ बनने की दिशा में अग्रसर किया है। निश्चित रूप से आज हम कह सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस केवल स्वास्थ्य का ही नहीं, भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का भी उत्सव है। यह दिवस दिखाता है कि भारत की संस्कृति पूरे विश्व के कल्याण की सोच रखती है। यही हमारी सनातन परंपरा की सबसे बड़ी विशेषता है।

(लेखक परमार्थ निकेतन के संस्थापक हैं)

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