सुप्रीम कोर्ट ने भिवंडी पार्षद हत्या मामले में महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वह गवाही के लिए इतने सारे गवाहों पर क्यों निर्भर है। अदालत ने कहा कि समाज के बदलते चरित्र के कारण लोग सच के साथ खड़े होने को तैयार नहीं हैं। जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने आरोपी प्रशांत भास्कर म्हात्रे की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए गवाहों की सुरक्षा पर चिंता जताई।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समाज के बिगड़ते चरित्र के कारण आजकल लोग सत्य के साथ खड़े होने को तैयार नहीं हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वह 2017 के भिवंडी पार्षद हत्या मामले में मौखिक गवाही के लिए बड़ी संख्या में गवाहों पर क्यों निर्भर है?
जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ कांग्रेस पार्षद हत्याकांड के कथित मुख्य साजिशकर्ता प्रशांत भास्कर म्हात्रे की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने राज्य के वकील को महत्वपूर्ण गवाहों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिनकी जांच कर मामले में आरोपितों को दोषी साबित किया जा सके।
राज्य सरकार के वकील ने जब कहा कि उन्हें आरोपपत्र में बताए गए 200 गवाहों में से 75 गवाहों से पूछताछ करने की जरूरत है, तो पीठ ने कहा कि आप इतने सारे गवाहों की गवाही पर क्यों भरोसा कर रहे हैं? हां, गैंग्सटरों द्वारा गवाहों पर दबाव डालने का खतरा है, जो बाद में अपने बयान से पलट जाते हैं, क्योंकि दुर्भाग्य से इस देश में गवाहों की सुरक्षा के लिए कोई कार्यक्रम नहीं है।
राज्य सरकार के वकील ने कही ये बात
राज्य सरकार के वकील ने कहा कि बांबे हाई कोर्ट द्वारा जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों की जांच की, जिनमें से 10 मुकर गए। पीठ ने वकील से म्हात्रे के आपराधिक इतिहास के बारे में पूछा, जिस पर उन्होंने कहा कि आरोपित पर 12 से अधिक मामले दर्ज हैं। म्हात्रे के वकील ने कहा कि उसके खिलाफ दर्ज कई मामलों में उसे बरी कर दिया गया है और अदालत से जमानत देने का आग्रह किया, क्योंकि वह 2017 से जेल में है।
पीठ ने क्या कहा?
पीठ ने म्हात्रे के वकील से कहा, यहां से किसी चमत्कार की उम्मीद न करें। हम चाहते हैं कि आपके मुकदमे में तेजी आए। हम चाहते हैं कि समाज में शांति रहे। अगर आप (म्हात्रे) जेल से बाहर आते हैं, तो बहुत से लोगों की रातों की नींद हराम हो जाएगी। बांबे हाई कोर्ट ने सात फरवरी को म्हात्रे की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था-सभी आरोपितों के इकबालिया बयानों से संकेत मिलता है कि उक्त आवेदक को मुख्य साजिशकर्ता कहा जा सकता है।
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