Operation Shield सीमावर्ती राज्यों में ऑपरेशन शील्ड के तहत मॉकड्रिल और ब्लैकआउट कर नागरिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया गया। गृह मंत्रालय के निर्देश पर ड्रोन हमले और एयर स्ट्राइक की स्थिति में बचाव का अभ्यास हुआ। सायरन बजते ही बिजली बंद कर दी गई और चारों तरफ अंधेरा छा गया।
टीम जागरण, नई दिल्ली। सीमावर्ती राज्यों में शनिवार को ऑपरेशन शील्ड के तहत मॉकड्रिल और ब्लैकआउट कर नागरिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने को लेकर अभ्यास किया गया। गृह मंत्रालय के निर्देश पर शाम पांच बजे से आठ बजे तक जगह-जगह ड्रोन के हवाई हमले और एयर स्ट्राइक होने की स्थिति में बचाव को लेकर मॉकड्रिल की गई।
इस दौरान स्वयंसेवियों ने घायलों को जल्द अस्पताल पहुंचाने को लेकर भी मुस्तैदी दिखाई। देर शाम आठ बजे ब्लैक आउट के तहत सायरन बजने के साथ बिजली बंद कर दी गई। घरों, बाजारों और सड़कों पर अंधेरा छा गया। यह मॉकड्रिल जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात के साथ हरियाणा में भी कई जगहों पर की गई।
जम्मू-कश्मीर में बजा सायरन
जम्मू-कश्मीर में देर शाम आठ बजे ब्लैकआउट के तहत सायरन बजने के बाद पूरे प्रदेश में बिजली बंद कर दी गई। शहर शांत हो गया और लोगों ने भी निर्देशों का पालन करते हुए इंवर्टर की लाइट तक बंद कर दी। करीब पंद्रह मिनट तक पूरी तरह से अंधेरा छाया रहा। कटड़ा से लेकर श्रीनगर व अन्य जगह भी ऐसी ही तैयारियां दिखीं।
राजस्थान में मॉकड्रिल के साथ ब्लैक आउट
- राजस्थान के सभी 41 जिलों में शनिवार शाम को मॉकड्रिल और रात में ब्लैक आउट का भी अभ्यास किया गया। राजधानी जयपुर में एक सरकारी स्कूल में हवाई हमले का मॉकड्रिल हुआ। सीमावर्ती जैसलमेर, बाड़मेर एवं बीकानेर जिलों में ड्रोन से हमले के लोगों के बचाव,दुश्मन को जवाब देने और एयर स्ट्राइक का अभ्यास किया गया।
- बाड़मेर में उत्तरलाई एयरबेस के आवासीय इलाके में ड्रोन हमले की मॉकड्रिल की गई। जालौर रेलवे स्टेशन पर आतंकवादियों की बमबारी से 30 लोगों के घायल होने की सूचना और फिर सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता की मॉकड्रिल की गई। इस दौरान जिला कलक्टर,पुलिस अधीक्षक,सेना एवं सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों सहित अन्य संबंधित सरकारी विभागों के अधिकारी एवं एनसीसी के कैडिट मौजूद रहे।
पंजाब में आधे घंटे रहा ब्लैकआउट
पंजाब में भी ऑपरेशन शील्ड के तहत पहले मॉक ड्रिल की गई और फिर रात को आधे घंटे के लिए ब्लैकआउट किया गया। मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट का समय अलग-अलग रहा। इसका उद्देश्य पिछली बार सात मई को की गई मॉक ड्रिल में रह गई खामियों को दूर करना था। अमृतसर में शाम 5 बजते ही सायरन बजने शुरू हो गए।