पांच साल तक बंद रहने के बाद सिक्किम के नाथुला के रास्ते कैलास-मानसरोवर यात्रा शुक्रवार से फिर से शुरू हो गई है। सिक्किम के प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में 50 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था नाथुला से चीन की ओर रवाना हुआ। भारत-चीन डोकलाम विवाद और उसके बाद गलवन संघर्ष और कोविड महामारी के कारण सिक्किम के रास्ते कैलास-मानसरोवर यात्रा बंद थी।
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी। पांच साल तक बंद रहने के बाद सिक्किम के नाथुला के रास्ते कैलास-मानसरोवर यात्रा शुक्रवार से फिर से शुरू हो गई है। सिक्किम के प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में 50 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था नाथुला से चीन की ओर रवाना हुआ।
कैलास यात्रा के लिए 50-50 यात्रियों के 10 दलों को अनुमति
सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर ने हरी झंडी दिखाकर जत्थे को रवाना किया। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार कैलास यात्रा के लिए 50-50 यात्रियों के 10 दलों को अनुमति दी गई है।
सिक्किम के रास्ते कैलास-मानसरोवर यात्रा बंद थी
भारत-चीन डोकलाम विवाद और उसके बाद गलवन संघर्ष और कोविड महामारी के कारण सिक्किम के रास्ते कैलास-मानसरोवर यात्रा बंद थी। आज जो दल कैलास के लिए रवाना हुआ, उसे सिक्किम में पांच दिन रुकना पड़ा ताकि वह वहां के मौसम के साथ तालमेल बिठा सके।
इस दौरान प्रतिदिन उनकी शारीरिक जांच की गई। मालूम हो कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद लगभग दो दशकों तक मानसरोवर यात्रा बंद थी। 1981 में भारत और चीन सरकार के बीच समझौते के बाद तीर्थयात्रा शुरू हुई थी।
गलवन संघर्ष और कोविड महामारी अब पहली बार हो रही यात्रा
इसके बाद 2017 में डोकलाम विवाद, 2020 में गलवन संघर्ष और कोविड महामारी के कारण नाथुला मार्ग से यात्रा फिर से बंद हो गई थी। अब यह रास्ता फिर से खुल गया है। सिक्किम पर्यटन विभाग को उम्मीद है कि यात्रा के दोबारा शुरू होने से पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा।