डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीश समाज के घावों को सहानुभूति से सुनकर ही नहीं, बल्कि अपने निर्णयों के माध्यम से भी भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कभी-कभी, एक नागरिक को धैर्यपूर्वक सुनना भी एक उपचार का कार्य होता है।मेघालय हाई कोर्ट के 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्वतंत्रता केवल उपनिवेशी शासन से मुक्ति नहीं है, बल्कि मन और आत्मा की आंतरिक मुक्ति भी है।
युवाओं से किया आह्वान
उन्होंने युवाओं से भारत की विविधता की रक्षा करने का आह्वान किया और उनके उद्यमिता ऊर्जा को पोषित करने तथा इसे आत्म-प्रेरणा में बदलने की बात कही। पूर्व सीजेआई ने मेघालय हाई कोर्ट की प्रशंसा की, जिसे उन्होंने ‘शासन का प्रहरी’ और एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य में नागरिकों और कानून के बीच एक पुल बताया।
भारत की प्रगति की सराहना की
उन्होंने शिक्षा, बुनियादी ढांचे और खाद्य आत्मनिर्भरता में भारत की प्रगति की सराहना की और गुवाहाटी और शिलांग के बीच बेहतर संपर्क को विकास का एक संकेत बताया।
(समाचार एजेंसी PTI के इनुपट के साथ)