- Author, नामक खोश्नाव, क्रिस्टोफ़र जाइल्स और सफ़ोरा स्मिथ
- पदनाम, बीबीसी आई, वर्ल्ड सर्विस
पिछले पौने पांच साल के दौरान तुर्की ने उत्तर पूर्व सीरिया पर जो हवाई हमले किए हैं, उनसे उस इलाक़े में बड़ी त्रासदी पैदा हो गई है.
उत्तर पूर्व सीरिया के सूखे पड़े इलाक़ों पर तुर्की के हवाई हमलों से 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों के लिए बिजली और पानी बंद हो गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि शायद ये अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन हो सकता है.
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2019 से लेकर जनवरी 2024 के बीच तुर्की ने 100 से भी ज़्यादा हमले कुर्दों के नियंत्रण वाले उत्तर और पूर्वी सीरिया के स्वायत्त प्रशासन (एएएनईएस) के तेल क्षेत्रों, गैस सुविधाओं और बिजली स्टेशनों पर किए हैं.
सालों से चले आ रहे गृह युद्ध और 4 सालों से जलवायु परिवर्तन के कारण घोर सूखा पड़ने से जूझ रहे क्षेत्र में इन हमलों ने और भी ज़्यादा मानवीय संकट बढ़ा दिया है.
कैसे हुई पानी की किल्लत?
वहां पानी की किल्लत पहले से थी, लेकिन पिछले साल अक्टूबर में बिजली के बुनियादी ढांचे पर हुए हमले से अलूक स्थित उस क्षेत्र के प्रमुख जल स्टेशन की बिजली कट गई और तभी से वो नहीं चल रहा है.
वहां के दो बार किए गए दौरे के दौरान बीबीसी ने पाया है कि वहां के लोगों को पानी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.
तुर्की का कहना है कि उसने कुर्द अलगाववादी समूहों के “आय के स्रोतों और क्षमताओं” को निशाना बनाया है जिन्हें वह आतंकवादी मानता है.
इसमें कहा गया कि ये सब जानते हैं कि उस क्षेत्र में सूखा पड़ा है, ख़राब जल प्रबंधन और उपेक्षित बुनियादी ढांचे ने चीज़ों को बद से बदतर बना दिया है.
एएएनईएस ने तुर्की पर आरोप लगाया है कि वो “हमारे लोगों के अस्तित्व को नष्ट करना” चाहता है.
हसाका प्रांत के 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों को अलूक से पानी मिलता था, लेकिन अब वो लगभग 20 किलोमीटर दूर से पंप किए गए पानी की आपूर्ति पर निर्भर हैं.
हर दिन सैकड़ों टैंकर पानी आता है, जिसमें जल बोर्ड स्कूलों, अनाथालयों, अस्पतालों और ज़रूरतमंदों को प्राथमिकता देता है. लेकिन ये सभी लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है.
हसाका शहर में बीबीसी ने लोगों को टैंकर के लिए इंतज़ार करते हुए और टैंकर चालकों से उन्हें पानी के लिए सिफारिश करते हुए देखा.
कई लोगों ने माना की वो इसके लिए लड़ जाते हैं और एक महिला ने टैंकर चालक को धमकी दी कि, “अगर वह मुझे पानी नहीं देगा तो मैं उसकी गाड़ी के टायर को पंक्चर कर दूंगी.”
शहर के जल बोर्ड के सह-निदेशक याह्या अहमद ने कहा, “मैं आपसे ये साफ कह देता हूं कि उत्तर पूर्व-सीरिया एक मानवीय आपदा से जूझ रहा है.”
संघर्ष से जूझ रहे यहां के लोग
इस क्षेत्र में रह रहे लोग सिर्फ़ सीरिया में चल रहे गृह युद्ध से नहीं जूझ रहे, बल्कि तुर्की और कुर्द नेतृत्व वाली सेनाओं के बीच जारी संघर्ष से भी जूझ रहे हैं.
जिन्होंने 2018 में अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन के समर्थन से इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह को खदेड़ने के बाद एएएनईएस की स्थापना की थी. आईएस के पुनरुत्थान को रोकने के लिए गठबंधन सेनाएं अभी भी वहां तैनात हैं.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने एएएनईएस (जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त नहीं है) को अपनी सीमा के बगल में एक “आतंकी राज्य” बताया है.
तुर्की सरकार वहां के मुख्य सैन्य बल पर हावी कुर्द मिलिशिया को विद्रोही संगठन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) का ही विस्तार मानती है. पीकेके दशकों से तुर्की में कुर्द स्वराज्य के लिए लड़ रहा है.
पीकेके को तुर्की, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका ने एक चरमपंथी संगठन के रूप में घोषित किया हुआ है.
अक्टूबर 2023 से लेकर जनवरी 2024 के बीच एएएनईएस के तीन क्षेत्रों, अमूदा, कामिश्ली और दरबासियाह के बिजली ट्रांसफर स्टेशन पर हमला हुए. साथ ही साथ स्वादियाह स्थित उस क्षेत्र का प्रमुख बिजली घर भी प्रभावित हुआ.
बीबीसी ने सैटेलाइट की तस्वीरों, चश्मदीदों के वीडियो, न्यूज़ रिपोर्ट्स और उन क्षेत्रों का दौरा करके वहां के नुक़सान की पुष्टि की.
जनवरी 2024 के हमलों से पहले और बाद की रात के समय की लाइट की सैटेलाइट तस्वीरों ने बड़े पैमाने पर बिजली कटौती का संकेत दिया है.
तस्वीर की समीक्षा करने वाले नासा के वैज्ञानिक रंजय श्रेष्ठ ने कहा, “18 जनवरी को क्षेत्र में भारी बिजली कटौती हुई जो कि साफ़ है”
10 लाख से भी ज़्यादा लोगों को नहीं मिल रहा पानी
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तुर्की बलों ने सवादियाह, अमूदा और कामिश्ली में हमला किया, जबकि मानवतावादी समूहों का कहना है कि दरबसियाह के हमले के पीछे तुर्की का हाथ था.
तुर्की ने कहा कि वह पीकेके, पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (वाईपीजी) और कुर्दिश डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी (पीवाईडी) को निशाना बना रहा है.
वाईपीजी अमेरिका समर्थित सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज़ में सबसे बड़ा मिलिशिया है और एएएनईएस में मुख्य राजनीतिक दल पीवाईडी की सैन्य शाखा है.
बीबीसी को दिए एक बयान में तुर्की ने कहा, “नागरिकों या नागरिक बुनियादी ढांचे कभी हमारे निशाने पर नहीं थे और न ही कभी रहे हैं.”
लेकिन पिछले साल अक्टूबर में तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान ने कहा कि बुनियादी ढांचा, अधिरचना और ऊर्जा सुविधाएँ जो भी पीकेके और वाईपीजी से संबंध रखने वाले हैं, खासकर के इराक़ और सीरिया में इसकी सेना, सुरक्षा बलों और खुफिया के लिए “वैध लक्ष्य” थीं.
जलवायु परिवर्तन के कारण संघर्ष के परिणाम और भी भयानक रहे हैं.
साल 2020 से उत्तर पूर्व सीरिया और इराक़ के कुछ इलाकों में बहुत अधिक और असाधारण कृषि सूखा पड़ा है.
यूरोपीय जलवायु डेटा के मुताबिक़ पिछले 70 वर्षों में तिगरिस-यूफ्रेट्स बेसिन में औसत तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है.
ख़बूर नदी कभी हसाका को पानी की आपूर्ति करती थी, लेकिन पानी का लेवल बहुत कम पहुंच गया और लोगों को अलूक जल स्टेशन की ओर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
लेकिन 2019 में तुर्की ने रास अल-ऐन क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया, जहां अलूक स्थित है. तुर्की का कहना था कि देश को चरमपंथी हमलों से बचाने के लिए एक “सुरक्षित क्षेत्र” बनाने की ज़रूरत है.
इसके दो साल के बाद उत्तरी पूर्व सीरिया में अलूक से पानी की सप्लाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने ये कहते हुए चिंता जताई कि पानी की सप्लाई कम से कम 19 बार बाधित हुई है.
बुनियादी ढाँचे पर हमले
फ़रवरी 2024 में एक स्वतंत्र संयुक्त राष्ट्र आयोग की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अक्टूबर 2023 में बिजली के बुनियादी ढांचे पर हमले युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं क्योंकि उन्होंने नागरिकों को पानी तक पहुंच से वंचित कर दिया.
बीबीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय वकीलों से साझा किया है.
डौटी स्ट्रीट चैंबर्स के वकील आरिफ अब्राहम ने कहा, “ऊर्जा के बुनियादी ढांचे पर तुर्की के हमलों से वहां के नागरिकों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है, ये शायद अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन हो सकता है.
यूरोपियन सेंटर फॉर कॉन्स्टिट्यूशन एंड ह्यूमन राइट्स के एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक वकील पैट्रिक क्रोकर ने कहा, “यहां अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किए जाने के संकेत इतने म़जबूत हैं कि उनकी जांच अभियोजक प्राधिकारी से करवाई जानी चाहिए.”
तुर्की सरकार ने कहा कि वह “अंतरराष्ट्रीय क़ानून का पूरी तरह से सम्मान करती है”, साथ ही फरवरी 2024 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर कहा कि उसके “निराधार आरोपों” के लिए “कोई ठोस सबूत नहीं” दिया गया है.
इसने क्षेत्र में पानी की कमी के लिए जलवायु परिवर्तन और “लंबे समय से उपेक्षित बुनियादी जल ढांचे” के रख-रखाव को ज़िम्मेदार ठहराया.
हसाका के निवासियों ने बीबीसी को बताया कि उन्हें लगता है कि उन्हें छोड़ दिया गया है.
जल बोर्ड में जल परीक्षण के प्रमुख उस्मान गद्दो कहते हैं, “हमने कई कुर्बानियां दी हैं, हममें से कई लोग जंग में मारे गए. लेकिन हमें बचाने के लिए कोई नहीं आता. हम सिर्फ पीने का पानी मांग रहे हैं.”
(रिपोर्टिंग में अहमद नूर और एरवान रिवॉल्ट का सहयोग)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित