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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गईं नासा की अंतरिक्ष यात्री और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स 286 दिनों के बाद 19 मार्च को पृथ्वी पर लौटीं.
286 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रहते हुए सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर ने 900 घंटों तक रिसर्च किया और इस दौरान 150 वैज्ञानिक प्रयोग किए.
स्पेस स्टेशन पर रहते हुए उन्होंने अंतरिक्ष में पौधे उगाने पर शोध किया. ‘प्लांट हैबिटेट-07’ परियोजना के अंतर्गत उन्होंने शून्य-गुरुत्वाकर्षण के वातावरण में ‘रोमेन लेट्यूस’ नामक लेट्यूस (एक प्रकार का सलाद) पौधा उगाया.
अंतरिक्ष में पौधे उगाने के लिए अध्ययन क्यों किए जा रहे हैं, और क्या अंतरिक्ष में पौधे उग सकते हैं?
अंतरिक्ष में पौधे उगाने का अध्ययन क्यों?
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‘अंतरिक्ष कृषि’ अंतरिक्ष में की जा रही विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं में से एक है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर इसे लेकर कई अध्ययन किए जा रहे हैं.
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पहले से ही ज़रूरत भर का, प्रोसेस किया गया भोजन भेजा जाता है.
पृथ्वी से दूर स्थित अन्य ग्रहों और अंतरिक्ष पिंडों का अध्ययन करने में सप्ताह, महीने और यहां तक कि कई साल लग सकते हैं. ऐसे वातावरण में अंतरिक्ष में खेती उपयोगी साबित हो सकती है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार, अंतरिक्ष में पौधे उगाना दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों और अन्य ग्रहों पर मानव बस्ती बसाने के लिए ज़रूरी तकनीक के विकास में एक स्थायी खाद्य सोर्स हो सकता है.
ऑक्सीजन और पानी को फिर से री-साइकिल करने के लिए भी अंतरिक्ष स्टेशनों पर पौधे उगाए जाते हैं.
पौधे कैसे उगाये जाते हैं?
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पौधे को बढ़ने के लिए सूर्य के प्रकाश, पानी, ऑक्सीजन और मिट्टी की ज़रूरत होती है. लेकिन इससे भी ज़रूरी है गुरुत्वाकर्षण. गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही जड़ें नीचे की ओर बढ़ती हैं.
इससे पौधों को मिट्टी में मजबूती से खड़े रहने में मदद मिलती है. ज़मीन के नीचे से अवशोषित किए गए जल और अन्य पोषक तत्व पौधे के अन्य भागों तक पहुंचते हैं.
अंतरिक्ष के शून्य गुरुत्वाकर्षण वातावरण में पौधे कैसे उगाए जाते हैं?
नासा की कोशिशें
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अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा, अंतरिक्ष में पौधे उगाने की योजना में सबसे आगे है.
नासा ने आईएसएस पर कई विशेष अध्ययन किए हैं और नासा ने अंतरिक्ष में विभिन्न प्रकार के पौधों को सफलतापूर्वक उगाया भी है.
पहले चरण में, नासा ने 2015 में परीक्षण करना शुरू किया कि अंतरिक्ष में किस प्रकार के पौधे उगाए जा सकते हैं.
नासा ने अमेरिका के फ़ेयरचाइल्ड बॉटनिकल गार्डन के सहयोग से ‘ग्रोइंग बियॉन्ड अर्थ’ नामक एक परियोजना शुरू की.
इस परियोजना के अंतर्गत स्पेस स्टेशन जैसे ही वातावरण में विभिन्न पौधों के बीज उगाने के प्रयास किए गए.
नासा ने शून्य-गुरुत्वाकर्षण के वातावरण में बगीचा बनाने के लिए कई प्रयोग किए.
सब्जी उत्पादन प्रणाली के लिए एक विशेष कक्ष होता है जिसे वेजी कहा जाता है, जोकि अंतरिक्ष में पौधे उगाने का वातावरण मुहैया कराने के लिए बनाया गया है.
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पृथ्वी पर बागीचे की तरह, पौधों को एक छोटे से बीज से उगाया जाता है. इस प्रणाली में पौधों के विकास के लिए ज़रूरी मिट्टी और पोषक तत्व पहले से मौजूद होते हैं.
इसमें केवल पानी ही डाला जाना होता है. इस तरीक़े से नासा ने अंतरिक्ष में पालक और टमाटर समेत कई पौधे उगाने में सफलता हासिल की.
वेजी प्रोजेक्ट से जुड़े एक्स-रूट्स प्रोजेक्ट में पौधों को हाइड्रोपोनिक्स या एरोपोनिक्स विधियों से बिना मिट्टी और अन्य ज़रूरी कारकों के पौधे उगाए जाते हैं.
हाइड्रोपोनिक्स में पौधों को बिना मिट्टी के, केवल पानी और पोषक तत्वों के घोल में उगाया जाता है. एरोपोनिक्स में पौधों की जड़ों को हवा में लटकाया जाता है और उन पर पानी और पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है.
नासा एडवांस्ड प्लांट हैबिटेट नामक एक अन्य परियोजना के माध्यम से स्पेस स्टेशन पर भी पौधे उगा रहा है.
इस प्रणाली में पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक सभी वातावरण सेंसर द्वारा नियंत्रित होते हैं.
यह प्रणाली पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है, जैसे तापमान, नमी, रोशनी, कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य पर्यावरणीय कारक.
एलईडी प्रकाश व्यवस्था और सिंचाई प्रणाली जैसी सुविधाओं से सुसज्जित इस प्रणाली को न्यूनतम रखरखाव की ज़रूरत पड़ती है.
अंतरिक्ष यात्रियों को इस पर बहुत अधिक मेहनत और समय खर्च नहीं करना पड़ता. नासा ने इस प्रणाली के माध्यम से मिर्च, मूली और कुछ फूल भी उगाए हैं.
भारत की भूमिका
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में पौधों की खेती पर अनुसंधान करने के लिए इस साल की शुरुआत में पीएसएलवी-सी60 पीओईएम-4 रॉकेट के जरिए कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फ़ॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज (सीआरओपीएस) को लॉन्च किया था.
इस प्रयोग के लिए, लोबिया के 8 बीजों को अंकुरित होने के लिए अनुकूलित वातावरण में रखा गया. चौथे दिन, इन बीजों को अंकुरित होते देखा गया. पांचवें दिन अंकुरित बीजों पर दो पत्तियाँ निकल आईं. इसे इसरो की जीत माना गया.
इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक पांडियन का कहना है कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और अन्य देशों के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन भी अंतरिक्ष में पौधे उगाने की तकनीक में सुधार करने और नई फसल की किस्में विकसित करने की कोशिशें कर रहे हैं.
अंतरिक्ष में पौधे अधिक तेजी से क्यों बढ़ते हैं?
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अंतरिक्ष में फसल उगाने के कई कारण हैं.
पांडियन कहते हैं, “इससे अंतरिक्ष यात्रियों को उनके लिए ज़रूरी ताज़ा पौष्टिक भोजन मिलेगा. ये पौधे अंतरिक्ष यात्रियों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन करने में मदद करेंगे. भले ही वे कम मात्रा में हो, लेकिन वे प्राकृतिक हैं और उनके स्वास्थ्य के लिए लाभ और पोषण प्रदान करते हैं.”
उनका कहना है कि अंतरिक्ष में पौधे तेजी से उगाये जा सकते हैं.
उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, जब पृथ्वी पर खेती की जाती है, तो पौधों पर डाला गया उर्वरक बारिश जैसे कारकों से बह सकता है या पौधों को इसे अवशोषित करने में लंबा समय लग सकता है. लेकिन इन परियोजनाओं के साथ, ज़रूरी पोषक तत्वों को सीधे पौधों तक पहुंचाया जाता है. और पौधे उन्हें तेजी से अवशोषित कर पाते हैं और सामान्य से अधिक तेजी से बढ़ते हैं.”
उन्होंने यह भी कहा कि इन परियोजनाओं से पृथ्वी पर खेती बारी की विधियों में सुधार हो सकता है.
अंतरिक्ष में पौधों को विकसित करने में मददगार नए तरीक़ों को पृथ्वी पर भी लागू किया जा सकता है. पांडियन ने यह भी कहा कि ‘इससे कृषि में सुधार होगा और पैदावार बढ़ेगी.’
स्पिन-ऑफ एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसे किसी विशेष मकसद के लिए विकसित किया जाता है और फिर अन्य क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाता है.
उदाहरण के लिए, नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों की सीटों के लिए विकसित “मेमोरी फ़ोम” तकनीक का उपयोग आज गद्दे और तकिए के उत्पादन में किया जाता है.
पांडियन कहते हैं, “जो अंतरिक्ष यात्री हमेशा मशीनों के आसपास रहते हैं, उनके लिए इन पौधों की देखभाल करना शोध करने के अलावा उनके मन को शांत करने में भी मदद करेगा. इससे अंतरिक्ष यात्रियों पर काम के बोझ और अकेलेपन की भावना कम होगी और वे अधिक खुश रहेंगे.”
उन्होंने कहा कि इससे अंतरिक्ष यात्रियों को मनोवैज्ञानिक रूप से भी लाभ होगा.
फिलहाल, परीक्षण के लिए अंतरिक्ष में छोटे पैमाने पर पौधे उगाए जा रहे हैं.
पांडियन ने कहा, “इन परियोजनाओं को अभी तक पूरी तरह क्रियान्वित नहीं किया गया है. ऐसा होता है तो हम अंतरिक्ष में जाते समय बड़ी मात्रा में भोजन ले जाने की ज़रूरत को कम कर सकते हैं. हम अंतरिक्ष और अन्य ग्रहों पर इंसानों के रहने के लिए ज़रूरी प्रौद्योगिकियों का पूर्ण परीक्षण और क्रियान्वयन कर सकते हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.