• Thu. Jan 30th, 2025

24×7 Live News

Apdin News

सुप्रीम कोर्ट ‘जनता की अदालत’, प्रधान न्यायाधीश बोले- मुकदमेबाजी की बढ़ती लागत न्याय में बाधा

Byadmin

Jan 29, 2025


सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई जस्टिस खन्ना ने कहा हमारे सुप्रीम कोर्ट को वैश्विक मंच पर अलग पहचान मिलती है। इसका कारण यह है कि यह जनता की अदालत है। संविधान लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया। 28 जनवरी 1950 को इसका उद्घाटन किया गया। शुरुआत में यह पुराने संसद भवन से कार्य करता था। 1958 में यह तिलक मार्ग स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित हो गया।

 पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ‘जनता की अदालत’ है। यह 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है।

सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर बैठी रस्मी पीठ में जस्टिस खन्ना ने कहा, हमारे सुप्रीम कोर्ट को वैश्विक मंच पर अलग पहचान मिलती है। इसका कारण यह है कि यह जनता की अदालत है। संविधान लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया। 28 जनवरी, 1950 को इसका उद्घाटन किया गया। शुरुआत में यह पुराने संसद भवन से कार्य करता था। 1958 में यह तिलक मार्ग स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित हो गया।

सुप्रीम कोर्ट जीवंत संस्था

जस्टिस खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जीवंत संस्था है। यह हमारे लोकतंत्र के अंतरात्मा के प्रति उत्तरदायी है। 75 वर्षों में देश की जनता की न्याय तक पहुंच सुलभ हुई है, लेकिन उन्होंने तीन चुनौतियों पर ध्यान देने की जरूरत जताई। पहली चुनौती लंबित मामलों का बोझ जो न्याय में देरी का कारण बनता है।

कपिल सिब्बल ने अपने विचार साझा किए

दूसरी चुनौती मुकदमेबाजी की बढ़ती लागत है जो न्याय तक पहुंच को खतरे में डालती है। तीसरी, और शायद सबसे बुनियादी चुनौती यह है कि जहां और जब भी झूठ का सहारा लिया जाता है, वहां न्याय नहीं पनप सकता।उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के दो दशक हमारे संवैधानिक ढांचे में शीर्ष अदालत की विकसित होती भूमिका के प्रमाण हैं। अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने अपने विचार साझा किए।

महिला की हत्या मामले में तीन पुलिसकर्मियों को नहीं मिलेगा आजीवन कारावास

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट के एक फैसले को रद कर दिया, जिसमें 2004 में एक महिला की हत्या के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने हाई कोर्ट के दिसंबर 2012 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर यह फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने राज्य की अपील स्वीकार करते हुए तीन पुलिसकर्मियों सुरेन्द्र सिंह, सूरत सिंह और अशद सिंह नेगी को हत्या के लिए बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया था।

ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी

महिला की मौत कथित तौर पर नवंबर 2004 में पुलिस की गोलीबारी में हुई थी। हाई कोर्ट ने एक अन्य पुलिसकर्मी जगदीश सिंह द्वारा दायर एक अलग अपील को भी खारिज कर दिया था, जिसने गोली चलाई थी और बाद में उसे दोषी ठहराया गया था और ट्रायल कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।यह भी पढ़ें- नाजायज पिता से गुजारा भत्ता की मांग खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी DNA टेस्ट की अनुमति; पढ़िए 20 साल पुराना दिलचस्प केस

देश-दुनिया की हर ताज़ा खबर और सटीक जानकारी, हर पल आपके मोबाइल पर! अभी डाउनलोड करें- जागरण ऐप

By admin