“न्यायपालिका में उम्मीद अब भी बची हुई है. हम सुप्रीम कोर्ट से पूरी तरह संतुष्ट हैं. न्यायपालिका में हमारा जो भरोसा था, वो इस फ़ैसले से और मज़बूत हो गया है.”
हरियाणा के मोहित कुमार ने यह बात उस वक्त कही जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम की दोबारा गिनती कराई गई और लगभग तीन साल के बाद वे सरपंच पद के लिए विजेता घोषित हुए.
मोहित कुमार का कहना है कि ये ग़लती से हुआ या जानबूझकर किया गया ये जानना मुश्किल है, इसकी जांच की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को अपने आदेश में हरियाणा के सोनीपत ज़िले के गांव बुआना लाखू के मोहित कुमार को क़रीब पौने तीन साल की क़ानूनी लड़ाई के बाद 51 वोटों से ग्राम पंचायत चुनाव का विजेता घोषित किया.
दरअसल, 2 नवंबर 2022 को हुए ग्राम पंचायत चुनाव में सात उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार कुलदीप सिंह को विजेता घोषित किया गया था.
इसके बाद मोहित कुमार ने इस नतीजे को अदालत में चुनौती दी. वहीं कुलदीप का कहना था कि जब उन्हें जीत का सर्टिफ़िकेट दिया गया है तो वो मान्य होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई दोबारा गिनती के मुताबिक़, इस गांव में कुल 3,767 वोट डाले गए थे. इनमें से 1,051 वोट मोहित कुमार को और 1,000 वोट कुलदीप सिंह को मिले.
यह दोबारा गिनती सुप्रीम कोर्ट की ओएसडी (रजिस्ट्रार) की निगरानी में दोनों पक्षों और उनके वकीलों की मौजूदगी में कराई गई. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी भी की गई थी.
जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एन. कोटीश्वर सिंह की बेंच ने अपने फ़ैसले में कहा, “ओएसडी (रजिस्ट्रार) की ओर से अदालत में पेश की गई रिपोर्ट से पहली नज़र में कोई संदेह नहीं होता, ख़ासकर जब पूरी री-काउंटिंग की वीडियोग्राफ़ी की गई है और नतीजों पर दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों ने दस्तख़त किए हैं.”
आदेश में आगे कहा गया है, “दोबारा हुई काउंटिंग से हम संतुष्ट हैं. अपीलकर्ता को ग्राम पंचायत बुआना लाखू, ज़िला पानीपत का सरपंच घोषित किया जाना चाहिए.”
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पानीपत के निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में दो दिनों के भीतर नोटिफ़िकेशन जारी करें.
क्या है पूरा मामला?
असल में, 2 नवंबर 2022 को हुए सरपंच चुनाव में कुलदीप सिंह को 313 वोटों से विजेता घोषित किया गया था और उन्हें अधिकारियों की ओर से प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया था.
इस फ़ैसले को चुनौती देते हुए मोहित कुमार ने याचिका दायर की.
मामले के रिकॉर्ड्स के मुताबिक़, अपीलकर्ता के पक्ष में सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीज़न), इलेक्शन ट्राइब्यूनल, पानीपत ने 22 अप्रैल 2025 को बूथ नंबर 69 की वोटों की दोबारा गिनती के आदेश दिए.
इस आदेश के तहत निर्वाचन अधिकारी को 7 मई 2025 तक बूथ नंबर 69 पर वोटों की दोबारा गिनती कराने का निर्देश दिया गया था. लेकिन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 1 जुलाई 2025 को इन आदेशों को रद्द कर दिया था.
मोहित कुमार कहते हैं, “पूरा विवाद सिर्फ़ बूथ नंबर 69 को लेकर था. मेरी वोटें दूसरे उम्मीदवार के खाते में डाल दी गई थीं. उन्होंने क्रम ही बदल दिया था. मैं पांचवें नंबर पर था और मुझे 254 वोट मिले थे, लेकिन कुलदीप सिंह को पांचवें नंबर पर दिखाया गया और मुझे छठे नंबर पर घोषित कर दिया गया.”
“मेरे नाम पर सिर्फ़ 7 वोट दर्ज किए गए. यह सब गिनती के दौरान की गई कागज़ी प्रक्रिया में हुआ. यह जानना मुश्किल है कि यह किसी मिलीभगत का नतीजा था या ग़लती. यह जांच का विषय है.”
मोहित बताते हैं, “हमारे पास उस शाम को दोबारा की गई गिनती की वीडियो रिकॉर्डिंग थी. हम सब मिलकर पानीपत के डिप्टी कमिश्नर और अन्य अधिकारियों से मिले.”
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मोहित कुमार ने आगे कहा, “दूसरी ओर कुलदीप सिंह को पहले ही प्रमाणपत्र मिल चुका था और इसी आधार पर कुलदीप सिंह हाई कोर्ट गए. उनका तर्क था कि जब एक बार प्रमाणपत्र जारी हो गया है तो वही नतीजा मान्य माना जाएगा.”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़, जब मामला 31 जुलाई 2025 को सुनवाई के लिए पेश हुआ, तो अदालत ने निर्वाचन अधिकारी को सभी ईवीएम मशीनें और वोटिंग से जुड़े रिकॉर्ड अदालत के रजिस्ट्रार के सामने पेश करने का निर्देश दिया.
इसके साथ ही रजिस्ट्रार को सिर्फ़ एक नहीं, बल्कि सभी पांच बूथों की वोटों की दोबारा गिनती कराने के लिए कहा गया.
अपने फ़ैसले में अदालत ने कहा, “चूंकि वोटों की दोबारा गिनती अब हमारे 31 जुलाई 2025 के आदेश के अनुसार पूरी हो चुकी है, इसलिए हाई कोर्ट के फ़ैसले को बरकरार नहीं रखा जा सकता और इसे रद्द किया जाता है.”
अब शपथ ले चुके हैं मोहित
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कानूनी लड़ाई जीतने के बाद सरपंच बने मोहित कुमार के मुताबिक़, इस चुनाव में किसी तरह की राजनीतिक पक्षपात या दलगत भावना शामिल नहीं थी.
उनका कहना है कि वो “सिर्फ़ सच को सामने लाना चाहते थे.”
लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ने की प्रेरणा के बारे में मोहित कहते हैं, “लोगों का साथ और भरोसा था. मन में बस एक बात थी कि सच्चाई को सामने लाना है. इसी वजह से मैं लगातार जुटा रहा.”
वे बताते हैं, “मैंने 14 अगस्त को शपथ ले ली है. गांव वाले खुश हैं. उन्होंने जो भरोसा दिखाया था, उसे हमने बनाए रखा है. मैं उनके विश्वास पर खरा उतरूंगा.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित