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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की तुषार गांधी की याचिका, साबरमती आश्रम के अधिग्रहण के खिलाफ की थी अपील

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Apr 1, 2025


गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने सितंबर 2022 में साबरमती आश्रम के पुनर्विकास को हरी झंडी दी थी। इस परियोजना पर 1200 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। तुषार गांधी ने अपनी याचिका में इस परियोजना को ही चुनौती दी थी।

आईएएनएस, नई दिल्ली। गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने सितंबर 2022 में साबरमती आश्रम के पुनर्विकास को हरी झंडी दी थी। इस परियोजना पर 1200 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। तुषार गांधी ने अपनी याचिका में इस परियोजना को ही चुनौती दी थी।

याचिका में कहा गया कि विकास के नाम पर साबरमती आश्रम का सरकारी अधिग्रहण गांधीवाद की भावना और लोकाचार के विपरीत है। यह कदम संविधान के अनुच्छेद 39 के विरुद्ध है, जो धन संचय की रोकथाम पर जोर देता है। संविधान के अनुच्छेद 49 के भी विरुद्ध है। इसके तहत राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों के संरक्षण पर दिया जाता है।

आश्रम सादगी का प्रतीक

याचिका में कहा गया कि महात्मा गांधी ने आश्रम का डिजाइन स्वयं तैयार किया था। यह सादगी, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक जीवन का प्रतीक है। आश्रम प्रकृति के साथ स्थिरता और सद्भाव के गांधीवादी सिद्धांतों का उदाहरण है। साबरमती आश्रम महात्मा गांधी की विरासत और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अहम भूमिका का प्रमाण है।

हाई कोर्ट से लग चुका झटका

याचिका में आगे कहा गया कि पुनर्विकास कार्य को चुनौती देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल की गई थी। सरकारी प्रस्ताव को रद करने की मांग की गई थी। मगर गुजरात उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक अपील दाखिल की गई थी।

परियोजना से आश्रम को सीधे खतरा

याचिका में यह भी कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत का आश्रम की गरिमा और पवित्रता को पुनर्विकास परियोजना से सीधा खतरा है। विकास के नाम पर किसी अन्य मानवीय उद्देश्य के बजाय सार्वजनिक धन का दुरुपयोग गांधी के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।

1917 में की गई थी स्थापना

महात्मा गांधी ने 1917 में साबरमती आश्रम की स्थापना की थी। 2 फरवरी 1926 को महात्मा गांधी और मगनलाल खुशालचंद ने एक ट्रस्ट डीड के माध्यम से सत्याग्रह आश्रम ट्रस्ट का गठन किया। याचिका में कहा गया है कि 30 सितंबर 1933 को गांधी ने घनश्यामदास बिड़ला को संबोधित एक पत्र के जरिए सत्याग्रह आश्रम को हरिजन सेवक संघ को सौंप दिया।

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