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सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह से संबंधित पुनर्विचार याचिकाओं पर करेगा विचार, नई पीठ करेगी सुनवाई

Byadmin

Jan 8, 2025


सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने से इनकार करने संबंधी अक्टूबर 2023 के अपने फैसले की पुनर्विचार के अनुरोध वाली याचिकाओं पर नौ जनवरी को विचार करेगी। जस्टिस बीआर गवई जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस बीवी नागरत्ना जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले से जुड़ी करीब 13 याचिकाओं पर कक्षों में सुनवाई करेगी।

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने से इनकार करने संबंधी अक्टूबर 2023 के अपने फैसले की पुनर्विचार के अनुरोध वाली याचिकाओं पर नौ जनवरी को विचार करेगी। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले से जुड़ी करीब 13 याचिकाओं पर कक्षों में सुनवाई करेगी।

सीजेआई ने खुद को कर लिया था अलग

परंपरा के अनुसार, पुनर्विचार याचिकाओं पर न्यायाधीश अपने कक्ष में विचार करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा 10 जुलाई 2024 को पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद नई पीठ का गठन किया गया था। न्यायालय की कार्यसूची के अनुसार, पुनर्विचार याचिकाओं पर नौ जनवरी को अपराह्न लगभग 1.55 बजे विचार किया जाएगा।

ड्रग्स ले जाने में प्रयुक्त वाहन मुकदमा पूरा होने के बाद जब्त हों : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ड्रग्स लाने-ले जाने में इस्तेमाल वाहनों को केवल तभी जब्त किया जा सकता है जब मामले का फैसला हो जाए और आरोपित को दोषी ठहराया जाए या बरी कर दिया जाए।जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने यह फैसला सुनाया और कहा कि नार्कोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत जब्त वाहनों को अंतरिम तौर पर छोड़ने में कोई विशेष रोक नहीं है बशर्ते वाहन का मालिक अपराध में शामिल न हो।

पीठ ने कहा, अगर अदालत वाहन जब्त करने का निर्णय लेती है तो उसे व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देना चाहिए। लेकिन कब्जे में लिया वाहन उस स्थिति में जब्त नहीं किया जा सकता, अगर उसका मालिक साबित कर दे कि आरोपित ने वाहन का उपयोग उसकी जानकारी या सहमति के बिना किया गया था और उसने दुरुपयोग रोकने लिए सभी सावधानियां बरती थीं।फैसले के अनुसार, एनडीपीएस एक्ट के तहत किसी विशेष रोक के अभाव में अदालतें आपराधिक मामला लंबित रहने के दौरान जब्त वाहन लौटाने के लिए सीआरपीसी के तहत सामान्य शक्ति का उपयोग कर सकती हैं। इसलिए ट्रायल कोर्ट के पास अंतरिम रूप से वाहन छोड़ने का विवेकाधिकार है। लेकिन इस शक्ति का उपयोग प्रत्येक मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों के अनुसार कानून के तहत किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने वाहन छोड़ने की अनुमति दे दी

शीर्ष अदालत ने यह निर्णय बिश्वजीत डे द्वारा दायर एक अपील पर सुनाया जिसमें गौहाटी हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने नार्कोटिक्स के एक मामले में जब्त ट्रक को छोड़ने से इनकार के ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने वाहन छोड़ने की अनुमति दे दी और कहा कि एनडीपीएस एक्ट की सख्त व्याख्या के अन्यायपूर्ण परिणाम होंगे।
आगे कहा, ”अगर वर्तमान मामले में वाहन को तब तक पुलिस के कब्जे में रखने की अनुमति दी जाती है जब तक मुकदमा समाप्त नहीं हो जाता, तो इससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इस अदालत ने न्यायिक संज्ञान लिया है कि पुलिस के कब्जे में वाहन खुले में रखे जाते हैं। इसलिए अगर वाहन को मुकदमे के दौरान छोड़ा नहीं जाएगा तो वह कबाड़ हो जाएगा और मौसम की मार झेलते हुए सिर्फ उसका मूल्य घटेगा।’

साबुन के डिब्बों में छिपाकर रखी गई 24.8 ग्राम हेरोइन

इस मामले में 10 अप्रैल, 2023 को पुलिस निरीक्षण के दौरान ट्रक से कथित रूप से साबुन के डिब्बों में छिपाकर रखी गई 24.8 ग्राम हेरोइन बरामद हुई थी। मुख्य आरोपित मोहम्मद डिंपुल को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन आरोप पत्र में न तो ट्रक मालिक और न ही ड्राइवर को आरोपित के रूप में नामित किया गया था।

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