• Mon. Dec 22nd, 2025

24×7 Live News

Apdin News

सोशल मीडिया बच्चों को बना रहा उग्र और अधीर, नई स्टडी ने बढ़ाई पैरेंट्स की चिंता

Byadmin

Dec 22, 2025


जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। इंटरनेट मीडिया पर अधिक समय बिताने से बच्चों और किशोरों में मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। अत्यधिक स्क्रीन समय से नींद की गुणवत्ता में कमी, अकादमिक प्रदर्शन में गिरावट और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे अवसाद, चिंता और आत्मविश्वास की कमी के मामले देखे जा रहे हैं।

इससे अभिभावक चिंतित हैं और बच्चों के इंटरनेट मीडिया इस्तेमाल पर सख्त पाबंदी चाहते हैं। लोकल सर्कल्स के सर्वे में 25 प्रतिशत अभिभावक चाहते हैं कि बच्चों के इंटरनेट मीडिया इस्तेमाल से पहले माता-पिता की मंजूरी की अनिवार्यता हो।

क्या है नए नियमों का उद्देश्य?

देश के आइटी मंत्रालय ने पिछले महीने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) नियम, 2025 को अधिसूचित किया, जिससे बच्चों को इंटरनेट मीडिया के हानिकारक प्रभावों से बचाने की उम्मीदें जगी हैं। इस नए नियम का उद्देश्य बच्चों के डिजिटल डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें सोशल मीडिया एवं ओटीटी प्लेटफार्मों के अनियंत्रित उपयोग से बचाना है।

रिपोर्ट में दी गई ये जानकारी

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में 88 करोड़ इंटरनेट यूजर थे, और किशोर औसतन डेढ़ घंटे रोजाना इंटरनेट मीडिया पर बिता रहे थे। वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट 2024 में यह पाया गया कि 14-16 वर्ष आयु वर्ग के 82.2 प्रतिशत बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग करने में सक्षम हैं, लेकिन इनमें से केवल 57 प्रतिशत इसका इस्तेमाल शिक्षा के लिए करते हैं। इसके विपरीत, 76 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। यह आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि बच्चों का ध्यान सीखने की तुलना में इंटरनेट मीडिया की ओर अधिक है।

Photo

अवसाद से लेकर साइबर बुलिंग तक में फंसे बच्चे

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 11 से 37 प्रतिशत किशोरों में इंटरनेट मीडिया की लत के लक्षण पाए गए हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि तीन से 60 प्रतिशत बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं। बच्चों और किशोरों में बढ़ती डिजिटल लत के मद्देनजर, देशभर के अस्पतालों में ‘डिजिटल एडिक्शन क्लीनिक’ खोली जाने लगी हैं।

Survey

लोकल सर्कल्स का सर्वे क्या कहता है?

49% शहरी अभिभावक मानते हैं कि उनके बच्चे तीन घंटे से ज्यादा समय इंटरनेट मीडिया पर बिता रहे। वहीं, 25% अभिभावक बच्चों को इंटरनेट मीडिया इस्तेमाल के लिए अनिवार्य अभिभावकीय मंजूरी के पक्ष में हैं। लोकलसर्कल्स को 302 जिलों से 18 से कम आयुवर्ग वाले बच्चों के अभिभावकों से 57 हजार प्रतिक्रियाएं मिलीं थीं। (सोर्स- जागरण रिसर्च)

By admin