चीन अपनी सेना की मौजूदगी जमीन के साथ अंतरिक्ष में भी बढ़ा रहा है। ऐसे में अमेरिका समेत दूसरे देशों के लिए भी खतरा पैदा होता जा रहा है। इसका इस्तेमाल भविष्य में भारत के खिलाफ भी हो सकता है इसलिए अमेरिका का मानना है कि भारत और अमेरिका को एक साथ आकर इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करना चाहिए।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टेक्नोलॉजी के युग में युद्ध भी एडवांस हो गए हैं। ऐसे में यु्द्ध अब जमीन, पानी और हवा के साथ-साथ अंतरिक्ष में भी लड़े जाएंगे। इसिलिए हर देश अंतरिक्ष में अपनी सैन्य से जुड़ी गतिविधियां बढ़ा रहा है। इस रेस में वर्तमान में अमेरिका और चीन सबसे आगे हैं, लेकिन भारत के पास भी अपनी रक्षा के लिए पर्याप्त क्षमता है।
हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चीन के विरोध में भारत और अमेरिका परस्पर सहयोगी हैं। हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष कमान के रणनीति प्रमुख मेजर जनरल ब्रायन गिब्सन भारत आए। उनका यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है और दोनों देश के बीच स्पेस मिलिट्री में सहयोग बढ़ाने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है।
तेजी से आगे बढ़ रहा है चीन
ब्रायन गिब्सन का कहना है कि अमेरिका अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत के साथ सहयोग और सहभागिता को व्यापक बनाना चाहता है। एनडीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि खास तौर पर जब चीन जैसे साझा विरोधियों को रोकने के लिए सैन्यीकरण से संबंधित हो। गिब्सन ने दिल्ली में शीर्ष सैन्य और अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों से भी मुलाकात की।
भारत और अमेरिका पर है ध्यान
अमेरिकी जनरल ने कहा कि आज दुनिया की वास्तविकता यह है कि ज्यादातर ध्यान अमेरिका और भारत पर है, और दोनों देशों को चीन जैसे संभावित विरोधियों से मिलकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘उनकी प्रगति आश्चर्यजनक है। अंतरिक्ष के सैन्य पहलू में ही नहीं, वाणिज्यिक पहलू में भी।’माना जा रहा है कि ब्रायन गिब्सन की भारतीय यात्रा अमेरिका की अंतरिक्ष कमान नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। उनकी यह यात्रा राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की बड़ी जीत के तुरंत बाद हुई है। गौरतलब है कि ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस को हरा दिया है और जनवरी में अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।