बजट में जो टैक्स छूट दी गई है, उससे मध्य वर्ग बहुत खुश है, लेकिन शेयर बाजार नहीं। ऐसा क्यों? इसकी वजह यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण में मार्केट में आई हालिया गिरावट पर कुछ नहीं था। रेकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचे रुपये पर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से रुपये की हालत खराब है। सरकार को इसका इल्म था। उसे यह भी पता था कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया के कई देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में उथलपुथल मचने वाली है। ट्रंप शनिवार रात से मेक्सिको, कनाडा और चीन पर ऊंचे आयात शुल्क लगाने का ऐलान का चुके हैं। इसके बाद स्टील, एल्युमीनियम, चिप्स, कच्चे तेल और गैस को लेकर भी ऐसा कदम वह उठाएंगे। ऐसे में वित्त मंत्री ने बजट में जो भी घोषणाएं की हैं, मार्केट के लिए उससे अधिक वजन ट्रंप की बातों का होगा। यानी ट्रंप की प्रेजिडेंसी का भारत पर असर हो रहा है। हमें यह भी नहीं पता कि वह आयात शुल्क को लेकर आगे किस हद तक जा सकते हैं।
ट्रंप के फैसलों का असर पड़ रहा
ट्रंप क्या करेंगे, क्या नहीं, इसका असर आज वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है और भारत भी इससे नहीं बचा है। भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट्स और दूसरे देशों से पैसा अमेरिका वापस जा रहा है क्योंकि उसे सुरक्षित माना जा रहा है। इसलिए ग्रोथ की रफ्तार बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री ने जिन उपायों का ऐलान किया है, वे ट्रंप की वजह से बेअसर हो सकते हैं।
वित्तीय घाटे पर नियंत्रण
खैर, इस बजट में सबसे अच्छी बात वित्तीय घाटे पर नियंत्रण है, जिसे वित्त मंत्री GDP के 4.4% तक रखने में कामयाब रही हैं। पांच साल पहले यह 9.2% था। वित्तीय घाटे में कमी के साथ इस दौरान उन्होंने कैपिटल एक्सपेंडिचर में इजाफा किया और 7% की ग्रोथ हासिल कर पाईं। इसके लिए उनकी तारीफ होनी चाहिए, भले ही इसमें रिजर्व बैंक से मिले डिविडेंड (लाभांश) का भी योगदान है।
वित्तीय दुश्वारियां खत्म नहीं हुई
फिर भी यह कहना होगा कि भारत की वित्तीय दुश्वारियां खत्म नहीं हुई हैं। लगातार दूसरे साल सरकारी उधारी पर देश की देनदारी केंद्र की कुल आमदनी का 44.9% रहने वाली है, जो बहुत ही अधिक है। 2018-19 के 39.7% से भी यह रेश्यो ज्यादा है। अगर ट्रंप की मनमानी के कारण वैश्विक ग्रोथ कम होती है तो असर भारत पर भी होगा। इससे बजट में आमदनी और ग्रोथ के अनुमान गलत साबित हो सकते हैं।
कंजम्पशन में होगी बढ़ोतरी
कई एक्सपर्ट्स को लग रहा है कि बजट से कंजम्पशन (खपत) में बढ़ोतरी होगी क्योंकि उन्होंने 1 लाख करोड़ रुपये की टैक्स छूट दी है। लेकिन उनकी राय गलत है। दरअसल, टैक्स में जो कटौती की गई है, उससे इकॉनमी को जो फायदा होने की संभावना है, वह कैपिटल एक्सपेंडिचर में कटौती से बेअसर हो सकता है। इस बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर को 11.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 11.2 लाख करोड़ ही किया गया है। हो सकता है कि इस कदम से कैपिटल गुड्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों की कीमत पर कंस्यूमर गुड्स कंपनियों को फायदा हो। इसलिए यह अर्थव्यवस्था को गति देने वाला बजट नहीं है, लेकिन वित्तीय घाटे को काबू करने के लिहाज से बजट बेशक मील का पत्थर है। लेकिन यह भी याद रखना होगा कि इस मामले में देश को अभी लंबा सफर तय करना है।
टैक्स में इतनी छूट के मायने
दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां टैक्स छूट की सीमा प्रति व्यक्ति आय के करीब है। भारत की प्रति व्यक्ति आय 2.3 लाख रुपये है और टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी गई है। यह प्रति व्यक्ति आय से 5 गुना अधिक है। अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 82,000 डॉलर है, लेकिन टैक्स छूट 14,600 डॉलर। यह प्रति व्यक्ति आय का 16% से कुछ ही अधिक है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि अमेरिका से भारत की तुलना गलत करना गलत है तो दक्षिण एशियाई देशों में भी भारत की टैक्स छूट सबसे ज्यादा है। पाकिस्तान में यह 1.87 लाख रुपये है, जो भारत की तुलना में 10वां हिस्सा ही है।
मेरे खयाल से भारत ने यहां गलती की है। वर्षों से देश में टैक्सपेयर्स का दायरा बढ़ाने की बात चल रही है, लेकिन टैक्स छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने से यह दायरा काफी छोटा हो जाएगा। इसलिए भले ही यह अच्छा राजनीतिक कदम हो, लेकिन इसे बढ़िया आर्थिक कदम नहीं माना जा सकता।
चुनावी राज्य पर फोकस
वित्त मंत्री ने यह भी दिखाया है कि वह बिहार के लिए काफी कुछ करना चाहती हैं, जहां इसी साल चुनाव होने हैं। इसलिए बजट में उन्होंने राज्य के लिए नए एयरपोर्ट की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने पटना एयरपोर्ट के विस्तार का भी प्रस्ताव रखा। पश्चिम कोसी कनाल के लिए मदद के साथ भगवान बुद्ध पर आधारित पर्यटन पर ध्यान देने का भी भाषण में जिक्र था। बिहार में IIT के विस्तार के साथ मखाना सपोर्ट मिशन का भी ऐलान किया गया।
नया इनकम टैक्स बिल
वित्त मंत्री ने अगले सप्ताह नए इनकम टैक्स विधेयक का वादा किया है। सवाल यह है कि इसे बजट में शामिल क्यों नहीं किया गया? खैर, इसका जवाब भी जल्द मिल जाएगा। संकेत दिया गया है कि इसके जरिये कानून को और आसान बनाया जाएगा ताकि विवाद और मुकदमों की संख्या में कमी आए। वित्त मंत्री ने कस्टम की सात दरों को खत्म करने का ऐलान किया। पिछले साल भी उन्होंने सात दरों को खत्म किया था। अब ऐसी आठ दरें बची हैं, जो अधिक हैं। फिर भी इस कदम के लिए वह तारीफ की हकदार हैं।
रेग्युलेटरी रिफॉर्म्स की भी बात
वित्त मंत्री ने विश्वास आधारित रेग्युलेटरी रिफॉर्म्स की भी बात की। एक कमिटी बनेगी, जो सभी गैर-वित्तीय क्षेत्रों में परमिट, लाइसेंस और मंजूरियों की समीक्षा करेगी। जन विश्वास कानून, 2023 के जरिये 180 से अधिक कानूनी प्रावधानों को गैर-आपराधिक करार दिया गया है। निर्मला ने 100 से अधिक प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाने का वादा किया है, जिसके लिए वह नया विधेयक लाएंगी। लंबी अवधि के लिए ये अच्छे उपाय हैं, लेकिन इनसे न तो अभी निवेशक खुश होंगे और न ही मध्य वर्ग। लेकिन, इन उपायों का असर लंबी अवधि में टैक्स छूट से कहीं ज्यादा होगा।