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कई साल से हज जाने की हसरत रखने वाले एडवोकेट फ़िरोज़ अंसारी ने इस साल अपनी पत्नी के साथ हज जाने के लिए सभी तैयारियां कर ली थी.
उन्होंने एक निजी टूर ऑपरेटर को आठ लाख रुपये भी जमा करवा दिए, लेकिन अब उन्हें नहीं मालूम कि वो हज जा पाएंगे या नहीं.
दरअसल, इस साल सऊदी अरब ने भारत के निजी टूर ऑपरेटरों को मिलने वाला हज कोटा रद्द कर दिया है.
हालांकि, भारत सरकार के दख़ल के बाद सऊदी सरकार निजी टूर ऑपरेटरों के ज़रिए हज पर जाने वाले दस हज़ार लोगों को वीज़ा देने के लिए तैयार हो गई है.
दिल्ली के रहने वाले मोहम्मद निसार भी अपनी पत्नी के साथ हज पर जाने की तैयारी कर रहे हैं और वो भी लगभग आठ लाख रुपये ऑपरेटर को जमा करा चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि उन्हें वीज़ा मिल जाएगा.
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क्यों निजी टूर ऑपरेटरों का कोटा हुआ रद्द
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भारत से इस साल लगभग 1.75 लाख लोग हज पर जाने वाले थे. हज कमेटी ऑफ़ इंडिया और निजी टूर ऑपरेटरों के ज़रिए भारतीय हज पर जाते हैं.
इनमें से क़रीब 1.22 लाख हज कमेटी के ज़रिए जाएंगे जबकि बाक़ी (लगभग 52,500) निजी टूर ऑपरेटरों के ज़रिए हज पर जाने वाले थे.
सऊदी अरब सरकार ने इस साल निजी ऑपरेटरों का कोटा रद्द कर दिया है.
भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इसके लिए निजी ऑपरेटरों को ज़िम्मेदार ठहराया है जबकि निजी ऑपरेटर इसके लिए मंत्रालय की लापरवाही को ज़िम्मेदार बता रहे हैं.
सऊदी अरब में हज यात्रियों का कोटा रद्द होने से हज कमेटी के ज़रिए जाने वाले हज यात्री प्रभावित नहीं होंगे.
दिल्ली हज कमेटी की चेयरपर्सन कौसर जहाँ बताती हैं, “जो लोग हज कमेटी के ज़रिए जा रहे हैं उन पर सऊदी अरब सरकार के फ़ैसले का कोई असर नहीं होगा.”
कौसर जहाँ कहती हैं, “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अल्पसंख्यक मंत्रालय के दख़ल के बाद सऊदी अरब दस हज़ार यात्रियों का कोटा खोलने के लिए तैयार हुआ है. इससे हज पर जाने वाले लोगों को कुछ राहत ज़रूर मिलेगी.”
हज यात्रा का ख़र्च
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जो हज यात्री हज कमेटी के ज़रिए जाते हैं उनका ख़र्च कुछ कम आता है. दिल्ली हज कमेटी के मुताबिक एक हज यात्री पर क़रीब 3 लाख 80 हज़ार रुपये का ख़र्च आता है.
हज के दौरान इन यात्रियों के रहने और यातायात की व्यवस्था हज समिति करती है.
जो यात्री निजी ऑपरेटरों के ज़रिए जाते हैं उनका ख़र्च कुछ अधिक आता है, लेकिन उन्हें कुछ बेहतर सुविधाएं भी मिलती हैं.
प्राइवेट टूर ऑपरेटर (पीटीओ) को हज टूर ऑर्गेनाइज़र (एचजीओ) भी कहते हैं.
निजी ऑपरेटरों के ज़रिए जाने वाले एक यात्री पर आमतौर पर 7.5 लाख रुपये तक ख़र्च आता है. ये ख़र्च और बेहतर सुविधाएं लेने की स्थिति में 13-15 लाख रुपये तक पहुंच जाता है.
भारत सरकार का अल्पसंख्यक मंत्रालय हज यात्रियों की व्यवस्था और कोटा देखता है.
कैसे तय होता है कोटा
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भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2024 में भारत से क़रीब एक लाख 40 हज़ार लोग हज पर गए थे.
सऊदी अरब किसी देश की आबादी के लिहाज़ से हज पर आने वाले लोगों की संख्या निर्धारित करता है.
आमतौर पर एक हज़ार मुसलमानों पर हज के लिए एक सीट दी जाती है. जिन देशों की आबादी अधिक है उन्हें हज के लिए अधिक कोटा दिया जाता है.
सऊदी अरब हज पर आने वाले लोगों की संख्या को बढ़ाना चाहता है, लेकिन देश में मौजूदा सुविधाएं 20-30 लाख लोगों के लिए ही पर्याप्त हैं. ऐसे में कई बार, जितने लोग हज पर जाना चाहते हैं उतने पहुंच नहीं पाते हैं.
जनवरी 2025 में भारत सरकार ने सऊदी अरब सरकार के साथ हज को लेकर समझौता किया था और भारत को 1 लाख 75 हज़ार 25 लोगों को हज पर भेजने का कोटा मिला था.
हर साल औसतन 18 लाख से 25 लाख तक लोग हज करते हैं. साल 2024 में 18.30 लाख लोगों ने हज किया था जिनमें से 16.1 लाख विदेशों से थे.
राज्यसभा में दिए एक लिखित जवाब में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने बताया था कि हर साल की तरह इस बार भी हज कमेटी और एचजीओ के बीच 70:30 के अनुपात में हज यात्री कोटा बांटा जाएगा.
क्या कह रहे हैं राजनेता
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सऊदी अरब सरकार के निजी ऑपरेटरों का कोटा रद्द करने को लेकर राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
पीडीपी की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार से दख़ल देकर कोटा बहाल करवाने की अपील की है.
13 अप्रैल को एक्स पर किए एक पोस्ट में मुफ़्ती ने कहा, “इस फ़ैसले से देशभर में टूर ऑपरेटरों और हज पर जाने वाले लोगों को तनाव हो रहा है.”
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से अपील करते हुए कहा कि वो सऊदी अरब के साथ वार्ता करके इस मुद्दे का तुरंत समाधान निकालें.
उमर अब्दुल्लाह ने कहा, “52 हज़ार भारतीय हाजियों का कोटा रद्द होना, जिनमें से अधिकतर भुगतान भी कर चुके हैं, बेहद परेशान करने वाला है.”
सरकार का अब क्या है कहना
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वहीं भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इसके लिए टूर ऑपरेटरों को ज़िम्मेदार ठहराया है.
एक बयान में मंत्रालय ने कहा, “अल्पसंख्यक मंत्रालय हज कमेटी के ज़रिए मुख्य कोटे के तहत इस साल 1 लाख 22 हज़ार 518 हज यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं कर रहा है.”
“फ्लाइट, यातायात, मीना में कैंप, रहने की व्यवस्था समेत सभी ज़रूरी तैयारियां सऊदी अरब के दिशानिर्देशों के हिसाब से पूरी कर ली गई हैं.”
मंत्रालय ने कहा, “शेष कोटा, पारंपरिक रूप से, निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किया गया था. “
“सऊदी अरब के दिशानिर्देशों में बदलाव करने की वजह से अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 800 निजी ऑपरेटरों को 26 कंबाइंड हज ग्रुप ऑपरेटरों (सीएचजीओ) में मिला दिया था और उन्हें काफ़ी पहले ही कोटा भी आवंटित कर दिया गया था.”
“हालांकि, कई बार याद दिलाने के बावजूद सीएचजीओ सऊदी अरब की तरफ़ से निर्धारित अहम डेडलाइन को पूरा नहीं कर पाए और मीना में कैंपों, रहने की जगह और यातायात के लिए ज़रूरी कॉन्ट्रैक्ट पूरे नहीं कर पाए.”
सऊदी सरकार ने समय पर भुगतान ना होने की वजह से निजी ऑपरेटरों के कोटा को रद्द किया है.
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अल्पसंख्यक मंत्रालय ने मंगलवार को एक्स पर किए पोस्ट में बताया, “भारत सरकार ने कई स्तर पर सऊदी सरकार के साथ वार्ता की और सरकार के दख़ल की वजह से सऊदी का हज मंत्रालय सीएचजीओ के लिए फिर से हज पंजीकरण पोर्टल खोलने और दस हज़ार लोगों का पंजीयन कराने के लिए तैयार हो गया है. ये मीना में रहने-ठहरने आदि की मौजूदा उपलब्धता पर आधारित है.”
वहीं, निजी टूर ऑपरेटरों का आरोप है कि उनकी तरफ़ से भुगतान कर दिया गया था और अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ़ से देरी हुई.
अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 29 नवंबर को योग्य एचजीओ की सूची जारी की थी और हज के लिए दूसरे चरण का पंजीकरण 4 दिसंबर को शुरू कर दिया था.
19 दिसंबर को मंत्रालय ने एचजीओ और सीएचजीओ के लिए एक सर्कुलर जारी करके बताया था कि सऊदी सरकार जल्द से जल्द मीना में ज़ोन बुक करने पर ज़ोर दे रही है.
इसी सर्कुलर में मंत्रालय ने बताया था कि भारतीय ग्रुप ऑपरेटरों के लिए सऊदी में भारतीय कांसुलेट जनरल (सीजीआई) ज़ोन बुक कर रहा है.
सीजीआई ने प्रति हज यात्री एक हज़ार रुपये फ़ीस ऑपरेटरों से लेने का ज़िक्र भी इस नोटिस में किया है. साथ ही ये भी बताया है कि बहुत सीमित समय के भीतर ये ज़ोन बुक किए जाने हैं.
इस नोटिस में मंत्रालय ने बताया है कि भारतीय ऑपरेटरों की तरफ़ से सीजीआई भुगतान करेगी और इसके लिए ही सर्विस चार्ज के रूप में एक हज़ार रुपये प्रति यात्री लिए जा रहे हैं.
इस नोटिस में ये भी बताया गया था कि जो सीजीएचओ ख़ुद पेमेंट करना चाहते हैं वो जानकारी दे दें. मंत्रालय ने टूर ऑपरेटरों से 20 दिसंबर तक इसकी जानकारी (जो खुद पेमेंट करना चाहते हैं) देने को कहा था.
भारत सरकार ने कुल 800 एचजीओ को 26 सीएचजीओ (कंबाइंड हज ग्रुप ऑर्गेनाइज़र) में विभाजित किया था.
निजी टूर ऑपरेटर क्या कह रहे हैं?
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बीबीसी से बात करते हुए एक टूर ऑपरेटर ने कहा, “ऑपरेटरों ने मंत्रालय में पैसा जमा कर दिया था और उन्हें ये लग रहा था कि मंत्रालय भुगतान की व्यवस्था कर रहा है.”
उन्होंने बताया, “इस नोटिस में स्पष्ट है कि मंत्रालय भुगतान कर रहा है और अगर सऊदी अरब को भुगतान मिल चुका है तो फिर ज़ोन क्यों रद्द किए गए हैं.”
दरअसल हज के दौरान तीर्थयात्री मक्का शहर में रुकते हैं. अधिकतर लोगों के रुकने का इंतज़ाम मक्का से क़रीब आठ किलोमीटर दूर मीना में किया जाता है. यहां विशाल टैंट सिटी भी बनाई जाती है. इसके बाद यात्री अराफ़ात के मैदान में एक दिन बिताते हैं.
मीना को तीन ज़ोन में विभाजित किया गया है. ज़ोन एक, दो और तीन. भुगतान के आधार पर ये ज़ोन आवंटित किए जाते हैं.
मीना में यात्रियों के लिए ज़ोन बुक करने के लिए सऊदी अरब ने भुगतान की समयसीमा 14 फ़रवरी तय की थी. ये समयसीमा पार होने के बाद ही कोटा रद्द किया गया है.
अल्पसंख्यक मंत्रालय ने निजी टूर ऑपरेटरों को कई बार नोटिस जारी कर तय समयसीमा के भीतर भुगतान करने के लिए कहा था और कहा कि हज कमेटी ऑफ़ इंडिया उनके लिए इस रकम का भुगतान कर चुका है. एक और नोटिस में ये भी कहा गया कि समय पर भुगतान नहीं देने पर पेनल्टी ली जाएगी.
ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ने भारत के विदेश मंत्री को एक पत्र लिखकर कहा है, “हज जाने वाले भारतीयों का पूरा कार्यक्रम भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय समझौते के तहत होता है. आपसे गुज़ारिश है कि इस मामले में दख़ल दें क्योंकि इससे भारी वित्तीय और दूसरे नुक़सान हो रहे हैं.”
एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है, “हज यात्रियों के लिए जो भुगतान किए गए हैं और जो अब देरी से किए गए भुगतान माने जा रहे हैं उसके लिए सरकार की तरफ़ से लागू सिस्टम की ख़ामियां ज़िम्मेदार हैं.”
एक टूर ऑपरेटर जहान उमरा के निदेशक शबी अहमद कहते हैं, “कोटा निरस्त होने से हम जैसे ऑपरेटर को भारी नुक़सान हो रहा है. लेकिन उससे भी बड़ी दिक़्क़त ये है कि जो लोग हज पर जाने के लिए कई साल से इंतज़ार कर रहे थे वो नहीं जा पाएंगे.”
शबी अहमद कहते हैं, “हमें 50 यात्रियों का कोटा मिला था. अब हम सिर्फ़ 9 ही लोगों को भेज पाएंगे. ये तय करना भी मुश्किल होगा कि किसे भेजा जाए.”
अब क्या है रास्ता
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वहीं भारत सरकार ने कहा है कि जो यात्री नहीं जा पा रहे हैं उन्हें अगले साल प्राथमिकता दी जाएगी और जो पैसा उन्होंने जमा किया है वो अगले साल इस्तेमाल किया जा सकेगा.
लेकिन यात्रियों को इससे राहत नहीं मिली है. एडवोकेट फ़िरोज़ अंसारी कहते हैं, “हम कई साल से हज जाने की तैयारी कर रहे थे, बमुश्किल पैसे जमा किए. अब ये दिक़्क़त आ गई है. हमें नहीं मालूम पैसा कब मिलेगा.”
एक टूर ऑपरेटर कहते हैं, “हमारा तो बहुत भारी नुक़सान हो रहा है. लेकिन अगर यात्री निजी ऑपरेटर के ज़रिए नहीं जा पाए तो सरकार को भी टैक्स का भारी नुक़सान होगा. सरकार को तुरंत दख़ल देकर इस मामले का समाधान करना चाहिए.”
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अप्रैल को सऊदी अरब के दौरे पर जा रहे हैं. निजी टूर ऑपरेटरों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के दख़ल से इस मुद्दे का समाधान हो सकता है.
इस साल हज 4-9 जून के बीच होगा. भारतीय हाजी आमतौर पर हज के दौरान सऊदी अरब में 30 से 40 दिन बिताते हैं और अलग-अलग इस्लामी धर्मस्थलों की यात्रा करते हैं.
हज इस्लाम धर्म में हर उस मुसलमान पर अनिवार्य है जो आर्थिक तौर पर मज़बूत है. आमतौर पर सक्षम मुसलमान जीवन में एक बार हज जाने का प्रयास करते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित