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हमने उसकी शादी और डोली का सपना देखा था लेकिन… नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ में बेटी को खोने वाले पिता का छलका दर्द – new delhi railway station stampede how family talks pain after loss close aide

Byadmin

Feb 17, 2025


नई दिल्ली: देश की राजधानी के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार को भगदड़ में अपनी सात वर्षीय बेटी को खो चुके ओपाल सिंह ने कहा कि जब वह पैदा हुई, तो मैंने उसे अपनी छाती से लगा लिया था। आज, मैं उसके बेजान शरीर को ले गया। अपनी छोटी बेटी के बारे में बोलते हुए उनकी आवाज भारी हो गयी और आंखें डबडबा गयीं। उन्होंने कहा कि अगर आपने मेरी बेटी का शव देखा होता, तो आपको उस भयावहता का अंदाजा होता। एक लोहे की छड़ उसके सिर से होते हुए उसके गले तक पहुंच गई थी।

परिवार के साथ प्रयागराज महाकुंभ जाने का था प्लान

ओपाल सिंह ने अपनी पत्नी, दो बच्चों और भाई के साथ महाकुंभ की यात्रा की योजना बनाई थी। लेकिन जब वे प्रयागराज जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे तो उन्हें भारी भीड़ का सामना करना पड़ा। जैसे ही वे प्लेटफार्म नंबर 14 की ओर बढ़े, अचानक अफरा-तफरी मच गई और लोग सीढ़ियों से ऊपर की ओर आने लगे, जिससे भगदड़ मच गई। ओपाल सिंह ने बताया कि रेलवे पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास में सीटी बजाई, लेकिन भीड़ नहीं रुकी।

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‘दिल दहला देने वाली चीखें अभी भी गूंज रही..’

ओपाल सिंह से जब पूछा गया कि यह अफरातफरी कैसे शुरू हुई, तो उन्होंने कहा कि मुझे कोई सुराग नहीं है, लेकिन जैसे ही कुछ लोग सीढ़ियों से गिरे, एक के बाद एक कई अन्य लोग गिरने लगे। भीड़ में फंसे लोगों की मदद के लिए दिल दहला देने वाली चीखें अभी भी उनके कानों में गूंज रही हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई मदद की गुहार लगा रहा था, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया।

‘बेटी के लिए देखे थे बहुत सारे सपने…’

भारी मन से ओपाल सिंह ने बताया कि हमने अपनी बेटी के लिए बहुत सारे सपने देखे थे। हम उसे पढ़ाना चाहते थे और बड़े होकर एक सफल व्यक्ति के रूप में देखना चाहते थे। हमने उसकी शादी का जश्न मनाने और उसकी डोली का सपना देखा था, लेकिन इसके बजाय, हमने उसकी अर्थी उठाई। अपने आप को संभालते हुए उन्होंने कहा कि जब वह पैदा हुई थी, तो मैंने उसे अपनी छाती से लगा लिया था। आज, मैंने उसके बेजान शरीर को उठाया।

किसी ने बेटी तो किसी ने पत्नी को खोया

अपनी पत्नी पूनम सिंह को इस भीड़ में गंवा चुके वीरेंद्र सिंह ने अपनी व्यथा के बारे में कहा कि हमें रेलवे स्टेशन से फोन आया कि भगदड़ जैसी स्थिति हो गई है और कई लोग घायल हो गए हैं। उन्होंने हमें आकर मेरी पत्नी को ले जाने को कहा। वीरेंद्र सिंह ने बताया कि खबर सुनने के बाद वह और उनका बेटा स्टेशन पहुंचे, लेकिन उन्हें पूनम नहीं मिली। वे इधर से उधर अस्पतालों में धक्के खाते रहे। उम्मीद थी कि उसे वहां ले जाया गया होगा।

उन्होंने कहा कि हमने एलएनजेपी, आरएमएल, लेडी हार्डिंग और रेलवे अस्पताल में पता किया, लेकिन हमें वह कहीं नहीं मिली। आखिरकार हमें एलएनजेपी अस्पताल से उसका शव मिला। रूंधे गले से वीरेंद्र ने कहा कि मेरे बच्चे छोटे हैं। मुझे सरकार से कोई आशा नहीं है। अपनी पत्नी को गंवाने के बाद मेरी तो जिंदगी पहले ही बर्बाद हो गयी है। शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से ज़्यादा लोग घायल हो गए।

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