ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजश्कियान ने कहा है कि ईरान ने ‘कभी भी परमाणु हथियार नहीं चाहे थे और न कभी चाहेगा.’
बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने वक्तव्य में राष्ट्रपति पेजश्कियान ने कहा, “हम परमाणु हथियार नहीं चाहते.”
बीते जून में इसराइल और ईरान के बीच 12 दिनों की जंग के बाद पहली बार ईरान के राष्ट्रपति का इस संबंध में बयान आया है.
अपने संबोधन में उन्होंने जून में हुई जंग और क़तर में हमास के नेताओं पर इसराइली हमले समेत कई मुद्दों पर बात की.
हालांकि जब यूएनजीए में शामिल होने के लिए ईरानी राष्ट्रपति न्यूयॉर्क पहुंचे ठीक उसी समय ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता को लेकर एक टिप्पणी की.
उन्होंने एक लाइव प्रसारण में कहा, “धमकी के साये में कोई भी देश बात नहीं करेगा.”
जून में हुई जंग के बारे में क्या कहा
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राष्ट्रपति पेजश्कियान ने जून में हुई 12 दिन की जंग को लेकर भी बात रखी.
उन्होंने कहा, “मेरा देश एक क्रूर आक्रमण का शिकार हुआ. इसराइल के हमले कूटनीति को लेकर गंभीर विश्वासघात थे.”
उन्होंने कहा कि इस ‘हमले में बच्चे और वैज्ञानिक शहीद हुए’ जो ‘आक्रामकता का निर्लज्ज कृत्य’ है.
उन्होंने हमलों की निंदा करते हुए कहा कि इसराइल ने जो कुछ किया वह कुछ और नहीं बल्कि उसकी जड़ें दमन और धौंस में हैं.
उन्होंने ऐसे उज्जवल भविष्य का आह्वान किया जिसमें क्षेत्र में ‘एक व्यापक जनसंहार के प्रोजेक्ट’ को थोपने के ख़िलाफ़, ताक़तवर पड़ोसियों के साथ ईरान ‘मजबूती’ से खड़ा हो सके.
उन्होंने ग़ज़ा में जनसंहार का ज़िक्र करते हुए सीरिया में व्यापक तबाही और यमन पर हमले का भी हवाला दिया.
उन्होंने अमेरिका का नाम लिए बिना कहा, “और ये सब कृत्य, धरती पर सबसे अधिक ताक़तवर सरकार के पूर्ण समर्थन के तहत हुआ और आत्मरक्षा के बहाने किया गया.”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा से पूछा, “दुनिया में फसाद की जड़ कौन है?”
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