हाईवे कांड:’यह मौत जैसी पीड़ा..समाज की आवाज न सुनी तो न्याय प्रणाली से उठ जाएगा भरोसा’; अदालत की तल्ख टिप्पणी – Bulandshahr Highway Incident Court Says These Are Monsters They Should Be Kept Away From Civilized Society
बुलंदशहर के हाईवे कांड के दोषियों को सजा सुनाते समय न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी से समाज के गिरते स्तर और अपराधियों की दरिंदगी पर कड़ा प्रहार किया। विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश ओपी वर्मा ने कहा कि दुष्कर्म जैसा अपराध केवल पीड़िता की शारीरिक गरिमा पर हमला नहीं है, बल्कि उसके संपूर्ण व्यक्तित्व व भविष्य को राख कर देने वाली घटना है।
ऐसे जघन्य कृत्य करने वाले राक्षसों के प्रति उदारता बरतना न्याय के साथ खिलवाड़ होगा। इसलिए इन्हें सभ्य समाज से दूर ही रखा जाए। न्यायालय ने फैसले में पीड़िता की व्यथा का जिक्र करते हुए कहा कि उसका भविष्य उज्ज्वल हो सकता था, लेकिन इस घृणित घटना ने उसे और उसके परिवार को कभी न खत्म होने वाली पीड़ा के दलदल में धकेल दिया।
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हाईवे कांड के आरोपी सुनील और नरेश को जेल लेकर जाती पुलिस
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
पीड़िता जिस मानसिक अवसाद और अंधकार से गुजर रही है, उससे उबर पाना अकल्पनीय है। मां-बेटी के साथ हुआ कृत्य किसी भी व्यक्ति के लिए मृत्यु के समान पीड़ादायक है।
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हाईवे कांड के आरोपी जुबैर और साजिद को जेल लेकर जाती पुलिस
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से चलाए जा रहे ”बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान का संदर्भ देते हुए कहा कि यदि ऐसे आदिम व बर्बर अपराधों के खिलाफ कठोर रुख नहीं अपनाया गया तो ये अभियान कागजी बनकर रह जाएंगे। सख्त लहजे में कहा कि न्याय प्रणाली ने समाज की चीख-पुकार को नहीं सुना तो जनता का विश्वास उठ जाएगा।
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कोर्ट परिसर में हाईवे कांड की सुनाई गई सजा के दौरान मौजूद पुलिस बल
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
यह भी कहा कि भयमुक्त समाज का निर्माण तभी संभव है, जब अपराधियों में कानून का खौफ हो। दोषियों का अपराध न केवल घृणित है, बल्कि इंसानियत के वजूद को चुनौती देने वाला है। समाज में असुरक्षा और असहजता का भाव उत्पन्न करने वाले ऐसे अपराधियों के साथ किसी भी प्रकार की नरमी न्यायसंगत नहीं होगी।
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हाईवे कांड के आरोपी धर्मवीर उर्फ राका को जेल लेकर जाती पुलिस
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
फैसले के दौरान न्यायालय ने दोषियों के आपराधिक इतिहास और अपराध की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए कहा कि उन्होंने निर्दयता व कायरता की सारी हदें पार कर दीं। हैवानियत की इस पराकाष्ठा के चलते दोषियों को सभ्य समाज का हिस्सा बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसी आधार पर न्यायालय ने उन्हें सजा सुनाते हुए समाज को कड़ा संदेश दिया।