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हिंदुओं की चिंता, ममता पर हमला, नक्सल से भगवाधारी हुए मिथुन कैसे बने बंगाल में हिंदुत्व का चेहरा – bjp leader mithun chakraborty naxalite connection how actor became hindutava face in west bengal politics

Byadmin

Apr 18, 2025


कोलकाता : एक्टर से राजनेता बने मिथुन चक्रवर्ती पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की हालत पर चिंतित हैं। कभी नक्सल आंदोलन से जुड़े मिथुन पर बीजेपी में जाने के बाद हिंदुत्व का ऐसा रंग चढ़ा कि वह अपनी पुरानी पार्टी टीएमसी की नेता ममता बनर्जी की खुली आलोचना से नहीं चूक रहे। हिंदू और हिंदुत्व पर ऐसे बयान देते हैं, जिससे विरोधी तिलमिला जाते हैं। वह राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से वोटों का गणित भी नए नजरिये से करते हैं। उनके इस तेवर से बीजेपी को बंगाल में एक और मुखर सेलिब्रेटी मिल गया है, जिसने हिंदुत्व का झंडा बुलंद कर रखा है। घोर वामपंथी से हिंदुत्व के नए चेहरे बने मिथुन में यह बदलाव कैसे आया।

सुवेंदु, सुकांता और मिथुन की नई तिकड़ी

पश्चिम बंगाल में सुवेंदु अधिकारी और सुकांता मजूमदार के बाद मिथुन ही ऐसे नेता हैं, जो हिंदुत्व की बात खुलकर करते हैं। नक्सलबाड़ी से भगवाधारी के सफर में एक्टर राजनेता ने मुर्शिदाबाद हिंसा पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि बंगाली हिंदू हिंसा के बाद बेघर हो गए। उनके सिर के ऊपर छत नहीं है और वे खिचड़ी खाने को मजबूर हैं। उन्होंने हिंसा के दौरान हिंदू कारोबारियों पर टारगेट अटैक पर भी चिंता जताई। इससे पहले मिथुन का एक बयान भी चर्चा में रहा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी सरकार की विदाई करनी है। यहां रामराज्य तभी आएगा, जब वोटिंग के दौरान घर से बाहर नहीं निकलने वाले 9 फीसदी हिंदुओं को भी वोट करेंगे।

भाई की मौत के बाद एक्टिंग की ओर गए

रिपोर्टस के अनुसार, कॉलेज के दिनों में मिथुन चक्रवर्ती नक्सल आंदोलन के समर्थक रहे। नक्सलियों के उग्र नेता चारू मजूमदार से भी उनके संबंध थे। एक नक्सली अभियान के दौरान उनके भाई की करेंट लगने से मौत हो गई। उनके पिता ने उन्हें कोलकाता छोड़ने की सलाह दी। वह नक्सल ग्रुप से अलग होकर एक्टिंग की दुनिया की ओर बढ़ गए। पुणे के एफटीआईआई में एक्टिंग कोर्स करने के बाद वह सत्तर के दशक में मुंबई आए। इसके बाद हिंदी और बंगाली फिल्मों में सुपरस्टार की छवि बनाई। दो दशक तक मिथुन वामपंथ समर्थक के तौर पर पहचाने जाते रहे और बंगाल की सीपीएम सरकार से उनकी खूब बनी।

सीपीएम से करीबी, टीएमसी में भी रहे

2011 में पश्चिम बंगाल में सत्ता बदली और ममता बनर्जी चीफ मिनिस्टर बनी। मिथुन चक्रवर्ती ने भी 2014 में टीएमसी का दामन थाम लिया और राज्यसभा सांसद बने। संसद में कम उपस्थिति के कारण उनकी काफी आलोचना हुई और 2016 में मिथुन ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। करीब पांच साल बाद बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मार्च 2021 में मिथुन चक्रवर्ती बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के बाद मिथुन चक्रवर्ती पर जुबानी हमले शुरू हो गए हैं। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि मिथुन बॉलीवुड स्टार मूल रूप से नक्सली थे और उन्होंने चार बार पार्टियां बदली हैं। रॉय ने आरोप लगाया कि ईडी के मामलों में फंसने के डर से मिथुन बीजेपी बीजेपी में शामिल हो गए। उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं है और लोगों के बीच कोई प्रभाव नहीं है।

ममता को बताया हिंदुत्व के लिए खतरा

भगवा चोला ओढ़ने के बाद मिथुन ममता बनर्जी के आलोचक और हिंदुत्व समर्थक में शामिल हो गए। पिछले दिनों उनका एक बयान काफी चर्चित रहा, जिसकी टीएमसी ने काफी आलोचना की। उन्होंने कहा था अगर 2026 में बीजेपी सत्ता में नहीं आती है तो बंगाल में हिंदुओं का रहना मुश्किल हो जाएगा। वक्फ अधिनियम के विरोध के दौरान भड़की मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद मिथुन ने ममता बनर्जी को हिंदुओं के लिए खतरा बता दिया। उन्होंने टीएमसी पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा कि बंगाल में हिंदुओं के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। अब उन्होंने राष्ट्रपति शासन के बीच विधानसभा चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बंगाल में हिंदू एकजुट होने लगे हैं और अब ममता बनर्जी को कोई नहीं बचा सकता है।

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