PM Modi on Canada प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा को सख्त लहजे में संदेश दिया है और कहा है कि प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि कनाडा ने हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें की हैं। साथ ही पीएम मोदी ने कनाडा में हिंदू मंदिर पर हुए हमले की भी निंदा की है। पढ़ें पीएम मोदी ने क्या-क्या कहा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हुए हमले को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त लहजे में प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कमजोर नहीं करेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि कनाडा में हिंदू मंदिर पर जानबूझकर हमला किया गया है और वह इसकी निंदा करते हैं।
I strongly condemn the deliberate attack on a Hindu temple in Canada. Equally appalling are the cowardly attempts to intimidate our diplomats. Such acts of violence will never weaken India’s resolve. We expect the Canadian government to ensure justice and uphold the rule of law.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 4, 2024
हिंदू मंदिर को बनाया गया था निशाना
इससे पहले कनाडा के ब्रैम्पटन में हिंदू महासभा मंदिर को खालिस्तान समर्थकों ने निशाना बनाया था। चरमपंथियों ने हिंदू भक्तों पर भी हमला किया। हमलों के बाद, कनाडा में हिंदू समुदाय के लिए काम करने वाले एक गैर-लाभकारी संगठन हिंदू कैनेडियन फाउंडेशन ने मंदिर पर हमले का एक वीडियो साझा किया और कहा कि खालिस्तानी आतंकवादियों ने बच्चों और महिलाओं पर हमला किया।
भारतीय उच्चायोग ने की थी हमले की निंदा
घटना पर ओटावा में भारतीय उच्चायोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि ये बेहद परेशान करने वाला है। उच्चायोग ने कहा कि स्थानीय सह-आयोजकों के पूर्ण सहयोग से हमारे वाणिज्य दूतावासों द्वारा आयोजित किए जा रहे नियमित कांसुलर कार्य के लिए इस तरह के व्यवधानों को अनुमति देना बेहद निराशाजनक है। हम भारतीय नागरिकों सहित आवेदकों की सुरक्षा के लिए भी बहुत चिंतित हैं, जिनकी मांग पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
उच्चायोग ने ये भी कहा कि इन घटनाओं और भारतीय राजनयिकों को मिल रही धमकियों के मद्देनजर अब जो भी निर्धारित वाणिज्य दूतावास शिविरों का आयोजन होगा वो केवल स्थानीय अधिकारियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था पर ही निर्भर करेगा। उच्चायोग ने अपने बयान में ये भी कहा कि यदि इस तरह के व्यवधानों के कारण कोई शिविर आयोजित नहीं किया जाता है, तो उन सेवाओं को प्रदान करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। हालांकि, इन सेवाओं के स्थानीय उपयोगकर्ताओं को असुविधा पहुंचा सकती हैं।