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तृणमूल कांग्रेस से निकाले गए विधायक हुमायूं कबीर ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ के नाम पर एक मस्जिद की नींव रखी.
उन्होंने मुर्शिदाबाद ज़िले में बेलडांगा से सटे इलाके़ में सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रतीकात्मक तौर पर फीता काटकर मस्जिद की नींव रखी.
हुमायूं कबीर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के भरतपुर सीट से विधायक हैं.
वह पिछले कई दिनों से दावा करते रहे हैं कि 6 दिसंबर को वो भरतपुर के बेलडांगा में ‘बाबरी मस्जिद’ बनवाने के लिए नींव रखेंगे.
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी.
पार्टी से निष्कासित होने के बाद हुमायूं कबीर ने कहा था कि वह मस्जिद ज़रूर बनवाएंगे. उन्होंने 22 दिसंबर को एक नई पार्टी बनाने की घोषणा भी की है.
4 दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस ने हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. पार्टी का कहना था कि वह ‘सांप्रदायिक राजनीति’ कर रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है जब हुमायूं कबीर के ख़िलाफ़ इस तरह की कार्रवाई हुई है. वह पार्टी लाइन के ख़िलाफ़ पहले भी बोल चुके हैं.
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रखी मस्जिद की नींव
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समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अयोध्या की बाबरी मस्जिद के मॉडल पर बनने वाली मस्जिद का शिलान्यास किया.
कबीर ने मंच पर मौजूद अतिथि मौलवियों के साथ मिलकर प्रतीकात्मक तौर पर फीता काटा.
इस दौरान समारोह स्थल पर “नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर” के नारे गूंजते रहे, यहां सुबह से अच्छी ख़ासी तादाद में लोग जमा थे.
शिलान्यास समारोह के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी. रेजीनगर और उससे सटे बेलडांगा इलाके़ में बड़ी संख्या में पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय बलों की तैनाती की गई थी.
‘ममता बनर्जी आग से खेल रही हैं’
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इस मस्जिद की नींव रखे जाने से पहले बीजेपी ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही हैं.
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिमों के ध्रुवीकरण के लिए इस विधायक का इस्तेमाल कर रही हैं. वह आग से खेल रही हैं.”
उन्होंने कहा कि बेलडांगा से आ रही रिपोर्टों ने ‘गंभीर चिंता’ पैदा कर दी है.
मालवीय ने दावा किया कि कबीर के समर्थकों को उस ढांचे के निर्माण के लिए ईंटें ले जाते हुए देखा गया, जिसे उन्होंने बाबरी मस्जिद बताया है.
मालवीय ने कहा कि हुमायूं कबीर ने कहा है उन्हें पुलिस का समर्थन हासिल है.
तृणमूल कांग्रेस से हुमायूं कबीर को निष्कासित किए जाने के बाद पश्चिम बंगाल बीजेपी ने कहा कि ममता बनर्जी जानबूझ कर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही हैं.
बीजेपी ने हुमायूं कबीर को निष्कासित किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि वो पहले भी हिंदुओं को चेतावनी देते बयान जारी करते रहे हैं. ममता बनर्जी ने हुमायूं कबीर को उस समय क्यों निष्कासित नहीं किया जब उन्होंने कहा था का मुर्शिदाबाद में 70 फ़ीसदी मुस्लिम रहते हैं और 30 फ़ीसदी हिंदू.
मई 2024 में उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि, “मुर्शिदाबाद में 70 फ़ीसदी जनसंख्या मुस्लिम है. बीजेपी के समर्थकों को भागीरथी नदी में फेंक देंगे.”
पश्चिम बंगाल बीजेपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”हुमायूं कबीर से दूरी बनाकर भी ममता बनर्जी मुस्लिमों को लामबंद करने की कोशिश कर रही हैं. हम देख रहे हैं कि मुस्लिम बेलडांगा में मस्जिद के लिए ईंटें ढो रहे हैं.”
नवंबर 2024 में हुमायूं कबीर को पार्टी से शो-कॉज़ नोटिस भी मिला क्योंकि उन्होंने मांग की थी कि ममता बनर्जी को नहीं बल्कि अभिषेक बनर्जी को गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिले.
मस्जिद के शिलान्यास के मुद्दे पर क्या बोली बीजेपी और तृणमूल

मस्जिद का शिलान्यास किए जाने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता सुकांत मजूमदार ने कहा, “आज जो कुछ हम देख रहे हैं, वह पिछले 15 वर्षों में ममता बनर्जी की तुष्टिकरण और सांप्रदायिक राजनीति का नतीजा है. ममता बनर्जी को इसके लिए पूरा समर्थन हासिल है. आज भी हुमायूं कबीर यह कह रहे हैं कि उन्हें पुलिस का पूरा सहयोग मिल रहा है.”
”अगर ममता बनर्जी सच में नहीं चाहतीं कि बाबरी मस्जिद बने, तो उन्हें हुमायूं कबीर को गिरफ़्तार करना चाहिए था. जब बीजेपी कोई कार्यक्रम करती है, तो पुलिस मंच तक उखाड़ देती है, तो यहां ऐसा क्यों नहीं हुआ.”
”ममता बनर्जी ने हुमायूं कबीर को सिर्फ़ दिखावे के लिए निष्कासित किया है.”

वहीं टीएमसी नेता सायोनी घोष ने कहा, “बीजेपी को हमारा एक ही संदेश है कि ‘खेला होबे’. 2026 में ममता बनर्जी चौथी बार बंगाल की सत्ता संभालेंगी, क्योंकि पश्चिम बंगाल की जनता उनके साथ है और वह अब तक के सबसे बड़े जनादेशों में से एक के साथ जीत हासिल करने जा रही हैं.”
उन्होंने कहा, “कोई भी मंदिर बना सकता है, कोई भी मस्जिद बना सकता है, लेकिन अगर इसके पीछे किसी की मंशा यहां धार्मिक अशांति फैलाने की है, तो सब जानते हैं कि उन्हें बीजेपी से फंडिंग मिल रही है और बीजेपी उन्हें बंगाल में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के लिए उकसा रही है.”

कौन हैं हुमायूं कबीर?
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62 साल के हुमायूं कबीर ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. साल 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के एक साल बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ टीएमसी का दामन थाम लिया.
लेकिन साल 2015 में हुमायूं कबीर को पार्टी के ख़िलाफ़ बोलने के कारण टीएमसी से बाहर कर दिया गया.
उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को ‘राजा’ बनाना चाहती हैं. उन्होंने ममता बनर्जी के आने वाले समय में मुख्यमंत्री रहने की काबिलियत पर भी सवाल उठाए थे.
साल 2018 में हुमायूं कबीर बीजेपी का हिस्सा बन गए और मुर्शिदाबाद से लोकसभा चुनाव भी लड़े, जो वह हार गए थे. साल 2021 में वो वापस तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए.
नवंबर 2024 में हुमायूं कबीर को शो-कॉज़ नोटिस भी मिला क्योंकि उन्होंने मांग की थी कि ममता बनर्जी को नहीं बल्कि अभिषेक बनर्जी को गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिले.
इस साल मार्च में पार्टी से मिले नोटिस के बाद हुमायूं कबीर को माफ़ी मांगनी पड़ी थी.
उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी को धमकी दी थी. दरअसल सुवेंदु अधिकारी ने राज्य में बीजेपी की जीत होने पर मुस्लिम विधायकों के ख़िलाफ़ कदम उठाने की बात की थी, जिसके जवाब में हुमायूं कबीर ने भी आपत्तिजनक बयान दिया था.
अब ताज़ा विवाद के बाद हुमायूं कबीर ने तृणमूल कांग्रेस पर मुस्लिम समुदाय को समर्थन न देने का आरोप लगाया है और कहा है कि साल 2026 के चुनावों के बाद ममता बनर्जी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी.
उनका कहना है, “साल 2011 के बाद जब ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी थीं, उस समय राज्य में आरएसएस की करीब 400 शाखाएं थीं. आज वह संख्या 12 हज़ार तक पहुंच गई है. इससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री किसके लिए काम कर रही हैं. जगन्नाथ मंदिर बनाने के लिए राज्य के ख़ज़ाने से पैसा किसने ख़र्च किया था? तो फिर मस्जिद बनवाने की इच्छा रखने पर मेरे प्रति इतना गुस्सा क्यों है?”
हुमायूं कबीर को भले ही टीएमसी से निष्कासित कर दिया गया हो, लेकिन यह निष्कासन पार्टी सदस्यता से ही है. वह अभी भी भरतपुर के विधायक बने हुए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.