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उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा उस वक़्त भड़की थी जब अदालती आदेश के बाद एडवोकेट कमिश्नर की टीम हिंदू पक्ष के साथ सर्वे के लिए संभल की जामा मस्जिद गई थी.
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन मुस्तैद है क्योंकि इस साल 14 मार्च को होली और रमज़ान का दूसरा जुमा एक साथ पड़ रहा है.
इस बीच, संभल के सर्किल अफसर अनुज चौधरी का एक बयान चर्चा में है.
अनुज चौधरी ने शांति समिति की बैठक में कहा, कि “होली का रंग लग जाने से जिसका धर्म भ्रष्ट हो रहा है, वो उस दिन घर से ना निकले.”
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बयान की हो रही आलोचना
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संभल में शांति समिति की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में अनुज चौधरी ने कहा था, “जिस प्रकार से मुस्लिम ईद का इंतज़ार करते हैं, उसी तरह हिंदू होली की प्रतीक्षा करते हैं. होली का दिन साल में एक बार आता है, जबकि जुमा साल में 52 बार आता है. यदि किसी को लगता है होली के रंग से उसका धर्म भ्रष्ट होता है तो वह उस दिन घर से ना निकले.”
उन्होंने कहा कि अगर कोई घर से निकलता है तो दिल बड़ा होना चाहिए.
अनुज चौधरी ने कहा कि प्रशासन किसी भी तरह की शरारत बर्दाश्त नहीं करेगा.जो भी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करेगा उसके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी.
अनुज चौधरी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फ़ख़रूल हसन चांद ने चौधरी के बयान की आलोचना करते हुए कहा, ”किसी भी अधिकारी के लिए इस तरह का बयान देना सही नहीं है.ये असर है यूपी में विधानसभा में बोली जा रही असंसदीय भाषा का. प्रदेश में न मुसलमान को रंग से परेशानी है ना ही हिंदू को ईद की सेवई से परेशानी है.सब मिलजुल कर अपने त्योहार मनाते हैं.”
कांग्रेस ने भी अनुज चौधरी के बयान की आलोचना की है. यूपी में पार्टी के मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन मनीष हिंदवी ने कहा ”किसी भी अधिकारी को निरपेक्ष भाव से काम करना चाहिए. उसे किसी भी तरह की जातिगत और धार्मिक बयानबाज़ी से बचना चाहिए इसलिए अधिकारियों के लिए मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट बनाए गए हैं.”
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बीजेपी का कहना है कि इस तरह की बैठकें किसी भी त्योहार से पहले होना आम बात है.
प्रदेश बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली का कहना है, ”जब दो त्योहार एक साथ पड़ रहें हो तो पुलिस इस तरह बैठक करती है. दोनों पक्षों को सहनशीलता के साथ अपना धार्मिक उत्सव मनाना चाहिए.”
बरेली स्थित आल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने अपील की है, ”वो इलाके जहां पर मिली-जुली आबादी है उन इलाकों की मस्जिदों में जुमे की नमाज़ का समय ढाई बजे रख लें, और वो इलाके जो मुस्लिम बहुल है वहां मस्जिदों में नमाज़ का समय बदलने की जरूरत नहीं है. हर शहर के उलमा और इमाम हज़रात इन बातों पर खासतौर पर ध्यान दें.”
रज़वी ने कहा कि होली के वक़्त घरों से ना निकलें.
उन्होंने कहा, ”अगर कोई व्यक्ति रंग डाल देता है तो उससे उलझने की जरूरत नहीं है, घर जाएं और इसे पानी से धो डालें. इस तरह के रंगों के पानी से कपड़ा नापाक नहीं होता है.”
हिंदू पक्ष से भी मौलाना ने अपील करते हुए कहा,” किसी भी रोज़ेदार मुसलमान या हिजाब पहनी हुई महिला पर रंग न डालें. अपने बच्चों को भी इसी तरह समझाएं. रमज़ान शरीफ़ का सम्मान करें.”
संभल के एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बीबीसी हिंदी से कहा ” मैंने इस तरह के बयान देने से बचने के लिए कहा है, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की संभावना हो सकती है.”
इस मसले में संभल में मुस्लिम पक्ष के वकील ज़फर अली ने कहा, ”मैं उस बैठक में नहीं था.हालांकि मैंने सुना है कि ऐसा कोई बयान दिया गया है. लेकिन मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता हूं.”
अनुज चौधरी का विवादों से पुराना नाता
अनुज चौधरी 2012 से पुलिस उपाधीक्षक पद पर हैं.वह खेल कोटे से भर्ती हुए थे.
अनुज चौधरी को अर्जुन पुरस्कार मिल चुका हैं. वो कुश्ती में भारत की तरफ से कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुके हैं.
संभल में पिछले साल हुई हिंसा में जब पुलिस अधिकारी दावा कर रहे थे कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई थी, तब चौधरी ने कहा था, ”एक पढ़े-लिखे आदमी को इस तरह के जाहिल मार देंगे. हम कोई पुलिस में मरने के लिए थोड़े ही भर्ती हुए हैं.”
इससे पहले रामपुर में तैनाती के दौरान उनकी समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान से तीखी बहस भी हो चुकी है.
संभल में क्या हुआ था
संभल में पिछले साल हिंसा में चार लोग मारे गए थे. इनके परिजनों का दावा है कि उन्हें पुलिस की गोली लगी थी.
24 नवंबर 2024 हिंसा उस वक़्त भड़की थी जब अदालती आदेश के बाद एडवोकेट कमिश्नर की टीम हिंदू पक्ष के साथ सर्वे के लिए संभल की जामा मस्जिद गई थी.
लेकिन संभल पुलिस ने गोली चलाने के आरोपों से साफ़ इनकार किया था. बीबीसी से बात करते हुए उस वक्त डीआईजी मुनिराज जी ने कहा था कि पुलिस ने सिर्फ़ पेलेट गन, आंसू गैस और नॉन लीथल वेपन का इस्तेमाल किया.
जब बीबीसी ने यही सवाल पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार से किया तो उनका कहना था कि पुलिस ने ना ही गोली चलाने का आदेश दिया और ना ही कोई लीथल वेपन इस्तेमाल किया गया.
पुलिस का दावा है कि जिन लोगों की मौत हुई वो भीड़ की तरफ़ से की गई फ़ायरिंग में मारे गए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित