साधारण परिवार में पैदा हुए धीरूभाई अंबानी ने घर की जिम्मेदारी कम उम्र में ही उठानी शुरू कर दी थी। इस कारण वह सिर्फ 10वीं तक ही पढ़ पाए। इसके बाद उन्होंने फल और पकौड़े बेचने शुरू कर दिए। यहां ज्यादा सफलता नहीं मिली तो वह 1948 में अपने बड़े भाई रमणिकलाल की मदद से यमन के एडेन शहर चले गए। इस शहर में उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये महीने की नौकरी शुरू कर दी।
नौकरी में मन नहीं लगा तो वापस आ गए
धीरूभाई यमन में जिस पेट्रोल पंप पर काम करते थे, कंपनी उनके काम से खुश थी। कंपनी ने उन्हें मैनेजर बना दिया। लेकिन वह नौकरी से बहुत ज्यादा खुश नहीं थे। वह अपना कारोबार करना चाहते थे। यमन में 6 साल काम करने के बाद वह साल 1954 में वापस भारत आ गए।
500 रुपये से कारोबार की शुरुआत
जब धीरूभाई वापस आए तो उनकी जेब में 500 रुपये थे। हालांकि उस समय 500 रुपये की काफी वैल्यू होती थी। आपको जानकर शायद आश्चर्य होगा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज उनकी पहली कंपनी नहीं थी।
भारत वापस आने के बाद वह सपनों की नगरी मुंबई गए। यहां पहुंचकर उन्होंने जाना कि देश में पॉलिएस्टर की मांग बहुत ज्यादा है। वहीं विदेश में भारतीय मसाले काफी पसंद किए जाते हैं। यहीं से उनके कारोबार की शुरुआत हुई। उन्होंने मुंबई में एक किराए का मकान लिया और चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद से रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी की शुरुआत कर दी। इस किराए के कमरे को उन्होंने ऑफिस बनाया। इसमें एक मेज, तीन कुर्सी, राइटिंग पैड के साथ काम शुरू कर दिया। उन्होंने पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी और अन्य मसाले बेचना शुरू किया।
धीरे-धीरे बढ़ाया कारोबार
धीरूभाई अब कारोबार में जम चुके थे। अब उनका प्लान कारोबार को आगे बढ़ाना था। साल 1966 में उन्होंने अहमदाबाद (गुजरात) में एक कपड़ा मिल शुरू की। इसका नाम ‘रिलायंस टैक्सटाइल्स’ रखा। धीरूभाई ने विमल ब्रांड की शुरुआत की। धीरे-धीरे उन्होंने प्लास्टिक, मैग्नम, पेट्रोकेमिकल, बिजली उत्पादन का कारोबार शुरू किया।
बदल गया कंपनी का नाम
साल 1985 में उन्होंने रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी का नाम बदल दिया। उन्होंने इसका नाम रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड रखा। साल 1991-92 में उन्होंने गुजरात में पहला प्लांट बनाया जो पेट्रोकेमिकल में काम करता था। इसके बाद धीरूभाई ने पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में कदम रख दिया। साल 1998-2000 में उन्होंने गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी लगाई।
जुलाई 2002 में हुआ था निधन
धीरूभाई अंबानी का 6 जुलाई 2002 को निधन हो गया था। इससे पहले वह रिलायंस को नए मुकाम तक पहुंचा चुके थे। उनके निधन के कुछ समय बाद ही रिलायंस इंडस्ट्रीज का बंटवारा उनके दोनों बेटों मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी में हो गया।
आज देश की सबसे मूल्यवान कंपनी
रिलायंस इंडस्ट्रीज आज देश की सबसे मूल्यवान कंपनी है। इसकी बागडोर मुकेश अंबानी के हाथ में है। बीएसई की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक कंपनी का मार्केट कैप 16.52 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि इस साल स्थिति कुछ अलग रही है। इस साल कंपनी के शेयरों में 5 फीसदी से ज्यादा का नुकसान आ चुका है।