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Cyber fraud
– फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
विस्तार
डिजिटल युग में तकनीक का दुरुपयोग कर साइबर अपराधी तेजी से लोगों को शिकार बना रहे हैं। व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से नकली निवेश और डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर लाखों की ठगी करने के मामले आम हो गए हैं। अब केवल आम लोग ही नहीं बल्कि वीआईपी भी इन अपराधियों के निशाने पर हैं।
हाल ही में पंजाब में एक दुखद घटना हुई जब पूर्व आईपीएस अमर सिंह चहल व्हाट्सएप पर 8.10 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनने के बाद आत्महत्या कर ली। वहीं, ओसवाल ग्रुप के चेयरमैन एसपी ओसवाल को ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया। चहल को ठगी के जाल में फंसाने के लिए उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां मोटा मुनाफा दिलाने का लालच दिया गया। जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ तब तक करोड़ों रुपये हाथ से निकल चुके थे।
साइबर अपराधियों की रणनीति
साइबर अपराधी अपने शिकार का चुनाव आमतौर पर व्हाट्सएप मैसेज के जरिए करते हैं। इसमें केवल पेज लाइक करने या गूगल पर रेटिंग देने का ऑफर दिया जाता है। जब शिकार इसे स्वीकार करता है, तो अपराधी लालच देकर उसे अपने जाल में फंसा देते हैं।