नेशनल मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) लॉन्च होने के बावजूद स्टेट मेडिकल काउंसिल्स में रजिस्टर्ड 13.9 लाख एलोपैथिक डॉक्टरों में से केवल 996 को ही एनएमआर रजिस्ट्रेशन मिला है। पंजीकरण के लिए मिले आवेदनों में से अधिकांश को मंजूरी नहीं मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इसे डिजिटल स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने का एक कदम बताया था लेकिन डॉक्टरों का रजिस्टर अभी तक नहीं बन पाया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सभी ऐलोपैथिक डॉक्टरों के लिए नेशनल मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) लॉन्च होने के लगभग एक साल बाद, स्टेट मेडिकल काउंसिल्स में रजिस्टर्ड 13.9 एलोपैथिक डॉक्टरों में से केवल 996 को ही एनएमआर रजिस्ट्रेशन मिला है।
एक आरटीआई के जवाब में, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने बताया कि पंजीकरण के लिए मिले 11,200 आवेदनों में से 8 अगस्त तक 91% को मंजूरी नहीं मिली है। भारत में प्रैक्टिस करने के योग्य सभी एमबीबीएस डॉक्टरों के पंजीकरण के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की ओर से 23 अगस्त, 2024 को बड़े धूमधाम से शुरू किया गया एनएमसी का एनएमआर पोर्टल अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
एनएमआर की मिली सराहना लेकिन…
एनएमआर को डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के एक कदम के रूप में सराहा गया, जिसके बाद पैरामेडिक्स और अन्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए भी इसी तरह के रजिस्टर शुरू किए जाने थे। हालांकि डॉक्टरों का ये रजिस्टर अभी तक नहीं बन पाया है। अब ये देखना बाकी है कि अनुमानित 35 लाख नर्सों और पैरामेडिक्स के लिए रजिस्टर जल्दी बनेंगे या नहीं। इनकी संख्या नर्सों की संख्या से भी दो गुनी होने का अनुमान है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या बताया?
संसद में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि स्टेट काउंसिल में 13.9 लाख एमबीबीएस डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत डॉक्टर यानि कि लगभग 11 लाख डॉक्टरों के उपलब्ध होने का अनुमान है। एनएमसी ने 8 जून, 2023 को चिकित्सकों का पंजीकरण और चिकित्सा पद्धति का लाइसेंस विनियम, 2023 जारी किया था।
विनियम के मुताबिक, एनएमसी का आचार एवं चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड एनएमआर का रखरखाव करेगा, जिसमें राज्य चिकित्सा परिषदों की ओर से बनाए गए सभी राज्य रजिस्टरों में सभी डॉक्टरों की प्रविष्टियां होंगी।
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