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1993 से ही ‘आईसीयू’ में हैं यमुना, क्या 3 सालों में मिल जाएगी नई जिंदगी? – cleaning the yamuna a delhi election issue will there be a solution

Byadmin

Mar 9, 2025


नई दिल्ली: यमुना की सफाई का मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव में छाया रहा। केजरीवाल द्वारा इस मुद्दे को उठाने से बीजेपी को आम आदमी पार्टी पर हमला करने का मौका मिला। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में तीन साल में यमुना की सफाई का वादा किया।दिल्ली में यमुना का 52 किमी का हिस्सा
यमुना नदी उत्तराखंड के बंदरपूंछ ग्लेशियर से निकलती है। हरियाणा में हथिनी कुंड बैराज पर इसके पानी को दो नहरों में बांट दिया जाता है, जिससे नदी का बहाव लगभग 80% कम हो जाता है। दिल्ली में वजीराबाद बैराज पर फिर से पानी रोका जाता है, जिससे यमुना एक छोटी सी धारा बनकर रह जाती है। दिल्ली में यमुना का 52 किलोमीटर का रास्ता है, जिसमें से 22 किलोमीटर घनी आबादी वाले इलाकों से होकर गुजरता है। इसी हिस्से में 17 नाले, जिनमें सबसे बड़ा नजफगढ़ नाला है, यमुना में अपना गंदा पानी डालते हैं। नजफगढ़ नाला हरियाणा से बहकर आता है और इसमें दिल्ली और गुड़गांव का गंदा पानी मिलता है।

दिल्ली में एंट्री लेते ही प्रदूषित हो जाती है नदी
30 जनवरी 2025 की DPCC की रिपोर्ट के अनुसार, पल्ला में दिल्ली में प्रवेश करते समय यमुना में DO 6mg/l, BOD 3mg/l और फेकल कोलीफॉर्म 950 MPN/100ml है, जो स्वीकार्य सीमा में है। वजीराबाद बैराज पर यमुना का बहाव 90% और कम हो जाता है। सिग्नेचर ब्रिज के पास, नजफगढ़ नाले के मिलने के बाद यमुना का पानी बेहद गंदा हो जाता है। ISBT ब्रिज के पास BOD 46, DO शून्य और फेकल कोलीफॉर्म 5,20,000 हो जाता है। जैतपुर में यमुना से बाहर निकलते समय BOD 70 और फेकल कोलीफॉर्म 84,00,000 तक पहुंच जाता है।

फरवरी 2013 में जैतपुर में BOD 20, फेकल कोलीफॉर्म 64,000 और DO 1 था, जो दर्शाता है कि यमुना की हालत कितनी खराब हो गई है। 2019-20 में यमुना में फेकल कोलीफॉर्म 1,40,00,00,000 तक पहुंच गया था। यमुना की 1,376 किलोमीटर की यात्रा में केवल 300 किलोमीटर का हिस्सा ही साफ है, जो ज्यादातर उत्तराखंड में है। CSE के अनुसार, यमुना के प्रदूषण का 80% स्रोत दिल्ली है।

1993 में शुरू हुआ था यमुना एक्शन प्लान
यमुना की सफाई के लिए 1993 में शुरू हुए यमुना एक्शन प्लान के तहत अब तक लगभग 8,000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। 2017 से 2021 के बीच दिल्ली सरकार ने यमुना पर 6500 करोड़ रुपये खर्च किए। दिल्ली में 37 STPs हैं, लेकिन ये यमुना को साफ करने में नाकाम रहे हैं। अवैध कॉलोनियों का सीवेज भी यमुना में मिलता है, जो STPs तक नहीं पहुंचता।

यमुना की सफाई के लिए कई बार हुई कोशिशें
यमुना की सफाई के लिए कई न्यायिक और प्रशासनिक प्रयास हुए हैं। 2012 में, पर्यावरणविद् मनोज मिश्रा ने NGT में याचिका दायर की। 2015 में, NGT ने ‘मैली से निर्मल यमुना’ योजना बनाई। 2017 में, ‘निर्मल यमुना कायाकल्प योजना’ बनी। इसी साल, सुप्रीम कोर्ट ने NGT को यमुना की सुनवाई सौंपी और रिवर कायाकल्प समिति (RRC) का गठन हुआ। RRC का लक्ष्य यमुना के 22 किलोमीटर के हिस्से में BOD 3, DO 5 और फेकल कोलीफॉर्म 500 तक लाना था।

इन सबके बावजूद, अवैध कॉलोनियों को सीवेज नेटवर्क से जोड़ने की समस्या का समाधान नहीं हुआ। सीएसई की सुष्मिता सेनगुप्ता के अनुसार, दिल्ली की लगभग 40% फेकल स्लज STPs तक नहीं पहुंच पाती।

कैसे साफ होगी यमुना?
यमुना की सफाई के लिए नदी का बहाव बढ़ाना, सीवेज रोकना, नजफगढ़ नाले की सफाई और हरियाणा-यूपी से तालमेल जरूरी है। साउथ एशियन नेटवर्क ऑन डैम्स रिवर्स एंड पीपल के हिमांशु ठक्कर के अनुसार, समस्या प्रशासन की कमी है। STPs की निगरानी के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है। इंडियन वाटर क्वालिटी एसोसिएशन के संजय शर्मा ने STPs की चौबीस घंटे निगरानी करने का सुझाव दिया है।

टीईआरआई ने दिल्ली सरकार को दस सूत्रीय एक्शन प्लान दिया है, जिसमें 1994 के जल बंटवारे समझौते पर पुनर्विचार, यमुना की निगरानी और वजीराबाद बैराज की सफाई शामिल है। दिल्ली सरकार के एक सूत्र के अनुसार, वजीराबाद बैराज के 60% से ज्यादा हिस्से में गाद जमा है। इसकी सफाई से यमुना के बहाव में सुधार हो सकता है। 2014 की एक स्टडी के अनुसार, नदी के स्वास्थ्य के लिए पूरे साल उसके मूल बहाव का 50%-60% होना जरूरी है। यमुना को गैर-मानसून महीनों में उसके मूल बहाव का केवल 16% ही मिलता है।

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