नया साल 2025 लगते ही एक नई जनरेशन की काफी चर्चा हो गई है। ये है जनरेशन बीटा जो 22वीं सदी देखने के लिए भी जीवित रहेगी। इससे पहले कई जनरेशंस आईं जिन्हें अलग अलग नाम दिए गए। जनरेशन अल्फा जेन Z से लेकर बेबी बूमर्स तक। अलग अलग दशकों में जन्मी इन पीढ़ियों ने अलग अलग दौर देखा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अब तक मिलेनियल्स और जेन Z व जेन अल्फा की बात की जाती थी। लेकिन साल 2025 लगते ही जनरेशन बीटा की शुरुआत हो गई है। इसके बारे में आजकल काफी चर्चा चल रही है। जनरेशन बीटा उस पीढ़ी को कहा जाएगा जो साल 2025 से 2039 के बीच रहेगी। इस सोशल रिसर्च का श्रेय मार्क मैकक्रिंडल को जाता है। मार्क का कहना है कि वर्ष 2035 तक की पीढ़ी जनरेशन बीटा होगी, जो वैश्विक आबादी की 16 फीसदी हो सकती है।
अभी तक साल 2010 से लेकर 2024 तक जन्म लेने वाले बच्चों को जेन अल्फा कहा गया। वहीं जेन Z उन्हें कहा गया जिनका जन्म साल 1996 से 2010 के बीच हुआ है। साल 1987 से 1986 तक की जनरेशन को मिलेनियल्स कहा जाता है। जानिए जेन बीटा किस तरह अलग है और पहले की जनरेशन आज से किस तरह अलग है।
क्या है बीटा जनरेशन?
इस साल की शुरुआत होते ही यानी 2025 से लेकर 2039 तक जन्म लेने वाले बच्चें बीटा जनरेशन के कहलाएंगे। आर्टिफिशियल दुनिया की यह पहली पीढ़ी होगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के दौर में इन बच्चों के लिए एक क्लिक पर सारी सुविधाएं रहेंगी। इस पीढ़ी के लिए स्मार्ट गैजेट्स चलाना आसान रहेगा।
बीती पीढ़ियों के मुकाबले इस पीढ़ी को नई और अच्छी अपॉच्युनिटीज मिलेंगी। यह पीढ़ी शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग के दौर में आगे बढ़ेगी। वहीं शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी यह जनरेशन ज्यादा गंभीर रहेगी। इस जेनरेशन को स्मार्ट डिवाइसेस का भी पूरा ज्ञान होगा। इस जनरेशन के दौर में सोशल मीडिया नई छलांगें लगाएगा।
22वीं सदी देखने तक जिंदा रहेगी जनरेशन बीटा
जेनरेशन बीटा यानी साल 2025 से 2039 तक जन्म लेने वाले बच्चे 22वीं सदी देखने तक जिंदा रहेंगे। यह जेनरेशन वो देख सकेगी जो मिलेनियल्स या जेन जी शायद ना देख सकें।
तकनीक प्रेमी पीढ़ी है जेन अल्फा (2011 – 2024)
21वीं सदी में जन्म लेने वाली पहली पीढ़ी के रूप में, यह अब तक की सबसे अधिक तकनीक-प्रेमी पीढ़ी है। यह एक ऐसी पीढ़ी है जिसने हमेशा सोशल मीडिया के अस्तित्व वाली दुनिया को जाना है और अपने प्रारंभिक वर्षों में कोविड महामारी का अनुभव किया है। मैकक्रिंडल के अनुसार, इस पीढ़ी में अपने पर्यावरण और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ी है। यह जनरेशन तकनीकी विकास को और आगे ले जाने के लिए संकल्पबद्ध है।
Gen Z: वीडियो गेम्स के दौर में पली यह पीढ़ी
यह वह जेनरेशन है, जिनका जन्म 1996 से लेकर 2012 के बीच हुआ है। इस जेनरेशन के समय में ही सोशल मीडिया और वीडियो गेम्स ने अधिक पैर फैलाए हैं। जेन जेड या ज़ूमर्स आज के युवा वयस्क हैं। इस पीढ़ी ने 2007 की आर्थिक मंदी को देखा है।
जनरेशन वाई: सांस्कृतिक मूल्यों के बीच बिताया जीवन
जनरेशन वाई, इन्हें मिलेनियल जेनरेशन भी कहा जाता है। इनका जन्म 1981 से 1996 के बीच हुआ है। यह जेनरेशन अपने माता-पिता के लिए बहुत एडवांस है, तो अपने बच्चों के लिए बहुत पुरानी है। इस जेनरेशन ने सांस्कृतिक मूल्यों के साथ अपना जीवन बिताया है।
जेनरेशन X: कलर टीवी और टेलिफोन वाली पीढ़ी
यह वह जेनरेशन है, जिनका जन्म 1965 से लेकर 1980 के बीच हुआ है। इस जेनरेशन के समय सिनेमा, कला और संगीत को नया आकार मिला है। साथ ही, इस जेनरेशन ने कलर टीवी और टेलीफोन भी देखा है।
बेबी बूमर्स: दूसरे वर्ल्ड वार के बाद पैदा हुई यह पीढ़ी
बेबी बूमर्स में वे लोग हैं जो 1946 से 1964 के बीच जन्मे हैं। यह पीढ़ी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पैदा हुई। और इसका नाम युद्ध के बाद की बेबी बूम के नाम पर रखा गया है।इस पीढ़ी ने वियतनाम युद्ध को देखा। जेएफ कैनेडी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे प्रभावशाली नेताओं की हत्याओं के भी साक्षी बने। भारत में यह पीढ़ी काफी हद तक स्वतंत्र भारत में पली-बढ़ी है और उसने देश को समाजवादी आर्थिक मॉडल अपनाते देखा है।
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