गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि वे 31 मार्च तक यूपी के सभी सातों कमिश्नरेट में नए आपराधिक कानूनों का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करें और जल्द से जल्द पूरे राज्य में भी इसे लागू करें। शाह ने यह निर्देश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ नई दिल्ली में राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन पर समीक्षा बैठक के दौरान दिया।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की अगले महीने समीक्षा करने और उन्हें जल्द से जल्द राज्य में पूरी तरह लागू करने को कहा। शाह ने नॉर्थ ब्लाक में गृह मंत्री कार्यालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान यह बात कही।
31 मार्च लागू किया जाए: शाह
गृह मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को हर 15 दिन में तीनों नए कानूनों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए और मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को संबंधित सभी विभागों के अधिकारियों के साथ सप्ताह में एक बार समीक्षा करनी चाहिए। शाह ने कहा कि 31 मार्च तक उत्तर प्रदेश के सभी सात आयुक्तालयों में नए आपराधिक कानूनों का 100 प्रतिशत कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए और पूरे राज्य में इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए।
पिछले साल एक जुलाई को लागू हुए थे तीन नए कानून
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने क्रमश: भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। ये कानून एक जुलाई, 2024 को लागू किए गए थे। बैठक में उत्तर प्रदेश में पुलिस, जेल, अदालत, अभियोजन और फोरेंसिक से संबंधित विभिन्न नए प्रविधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई।
त्वरित न्याय दिलाना कानूनों का लक्ष्य
शाह ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में नए आपराधिक कानूनों का पूर्ण कार्यान्वयन पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश भेजेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए तीनों नए आपराधिक कानून दंडात्मक नहीं बल्कि पीड़ित केंद्रित हैं और उनका उद्देश्य त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है।
हर जिले में उपलब्ध हो फॉरेंसिक मोबाइल वैन
प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि राज्य के हर जिले में एक से अधिक फोरेंसिक मोबाइल वैन उपलब्ध होनी चाहिए। फोरेंसिक टीमों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाना चाहिए- गंभीर, सामान्य और बहुत सामान्य। ताकि संसाधनों और विशेषज्ञों का अधिक कुशलता से उपयोग किया जा सके और गंभीर मामलों को प्राथमिकता दी जा सके।
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