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31 वर्ष की उम्र के बाद से कम होने लगती है मां बनने की क्षमता, IVF 34 साल की उम्र तक कराना अधिक फायदेमंद

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Nov 17, 2024


एम्स के गायनेकोलॉजी विभाग का यह अध्ययन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (पीएलओएस वन) में प्रकाशित हुआ है। गायनेकोलाजी की विभागाध्यक्ष डा. नीना मल्होत्रा ने बताया कि नौकरी पेशा लड़कियां देरी से शादी कर रही हैं। इस वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ी है। वहीं 38 से 40 वर्ष की उम्र में भी महिलाएं आइवीएफ के लिए पहुंचती हैं।

रणविजय सिंह, नई दिल्ली। अधिक उम्र में शादी करने वाली युवतियों के लिए यह चेतावनी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय महिलाओं में 31 से 34 वर्ष की उम्र से ओवेरियन रिजर्व (अच्छे गुणवत्ता के अंडाणु) घटने लगते हैं। इस वजह से उनकी मां बनने की क्षमता कम होने लगती है। लिहाजा, उन्हें 31 से 34 वर्ष की उम्र से पहले प्रेग्नेंसी प्लान कर लेना चाहिए।

एम्स के गायनेकोलाजी विभाग का यह अध्ययन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (पीएलओएस वन) में प्रकाशित हुआ है। गायनेकोलाजी की विभागाध्यक्ष डा. नीना मल्होत्रा ने बताया कि नौकरी पेशा लड़कियां देरी से शादी कर रही हैं। इस वजह से इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ी है। 38 से 40 वर्ष की उम्र में भी महिलाएं आइवीएफ के लिए पहुंचती हैं।

एम्स के 3240 महिलाओं पर किया गया अध्ययन

इसके मद्देनजर भारतीय महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व कम होने का कटऑफ उम्र पता लगाने के लिए यह अध्ययन किया गया है। इससे पहले भारतीय महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व कम होने का कटआफ उम्र निर्धारित नहीं थी। इस अध्ययन के माध्यम से पहली बार इनफर्टिलिटी से पीड़ित महिलाओं व स्वस्थ फर्टाइल महिलाओं में ओवेरियन रिजर्व कम होने की उम्र का कटआफ निर्धारित किया गया है।

महिलाओं के ब्लड सैंपल की कराई गई जांच यह अध्ययन 3240 महिलाओं पर किया गया, जिसमें इनफर्टिलिटी की समस्या से पीड़ित 1902 महिलाएं थीं। इसके अलावा 1338 ऐसी महिलाएं थीं, जिन्हें इनफर्टिलिटी की समस्या नहीं थी और कम से कम एक प्रेग्नेंसी हो चुकी थी। इस अध्ययन में शामिल सभी महिलाओं का ब्लड सैंपल लेकर एंट्रल फॉलिकल काउंट (एएफसी) व एंटी-मुलेरियन हार्मोंस (एएमएच) जांच की गई।

अधिक उम्र में आइवीएफ भी फायदेमंद नहीं

ओवेरियन रिजर्व की जांच के लिए एएफसी व एएमएच सबसे बेहतर मार्कर होता है। अध्ययन में पाया गया कि इनफर्टिलिटी से पीड़ित महिलाओं में औसत एएमएच 3.4 नैनोग्राम प्रति डेसी लीटर और फर्टाइल महिलाओं में एएमएस 4.37 नैनोग्राम डेसी लीटर था। अधिक उम्र में आइवीएफ भी फायदेमंद नहीं इनफर्टिलिटी से पीड़ितों महिलाओं में एएफसी की संख्या 12 व फर्टाइल महिलाओं में एएफसी की संख्या 15 थी।

आइवीएफ 34 वर्ष की उम्र तक कराना अधिक फायदेमंद

फर्टाइल स्वस्थ महिलाओं में 31 वर्ष की उम्र के बाद ओवेरियन रिजर्व घटने लगता है। वहीं इनफर्टिलिटी से पीडि़त महिलाओं में 34 वर्ष की उम्र से ओवेरियन रिजर्व कम होने लगता है। डा. नीना मल्होत्रा ने कहा कि ओवेरियन रिजर्व कम होने का यह मतलब नहीं कि 31 से 34 वर्ष की उम्र के बाद महिलाएं मां नहीं बन सकतीं, लेकिन क्षमता घट जाती है। इसलिए यदि सामान्य प्रेग्नेंसी नहीं होने पर आइवीएफ भी अधिक उम्र की जगह 34 वर्ष की उम्र तक कराना अधिक फायदेमंद हो सकता है।

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