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47 श्रमिकों को वेतन के साथ नहीं मिलती छुट्टी… सांख्यिकी विभाग के आंकड़े पर कितना प्रभावी नया लेबर कोड

Byadmin

Nov 27, 2025


जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के निजी सेक्टर व निजी प्रतिष्ठानों में नियमित रूप से या मासिक वेतन पर काम करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों के पास उनकी नियुक्ति या अनुबंध संबंधी कोई पत्र नहीं है। सांख्यिकी विभाग के मुताबिक 47 प्रतिशत श्रमिकों को वेतन के साथ छुट्टी भी नहीं मिलती है।

मतलब जब ये श्रमिक बीमार होने पर या किसी काम के लिए छुट्टी लेते हैं तो उन्हें उस दिन का वेतन नहीं मिलता है। निजी दुकान, फैक्ट्री या इस प्रकार के अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले 50 प्रतिशत श्रमिक सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर हैं।

नए श्रम कानून में स्वास्थ्य सुरक्षा अनिवार्य

सामाजिक सुरक्षा में भविष्य निधि, पेंशन, स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं शामिल होती है। वर्तमान में सिर्फ सात सेक्टर में श्रमिकों को स्वास्थ्य व सुरक्षा की सुविधा मुहैया कराई जाती है। अब नए श्रम संहिता के लागू होने पर सभी प्रतिष्ठानों को अपने श्रमिकों को स्वास्थ्य व सुरक्षा की सुविधा देना अनिवार्य होगा।

देश भर में इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा स्तर का पालन करना होगा। ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों का भी साल में एक बार स्वास्थ्य जांच कराना अनिवार्य होगा। सभी कर्मचारियों को दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र में भी सामाजिक सुरक्षा का वर्णन करना होगा।

जानकारों का कहना है कि नियुक्ति पत्र मिलने से श्रमिकों के पास अपनी नौकरी का सबूत होगा जिसके आधार पर वे बैंकों से लोन ले सकेंगे। मासिक वेतन पर काम करने के बावजूद कोई दस्तावेज नहीं होने से उन्हें सरकारी संस्थाओं में पहचान नहीं मिल पाती है।

श्रम कानून के उल्लंघन कोई की कोई भी कर सकेगा शिकायत

दूसरी तरफ, नए श्रम कानून के तहत औद्योगिक इकाइयों में श्रम कानून के उल्लंघन की शिकायत कोई भी व्यक्ति कर सकेगा। उद्यमियों का कहना है कि इससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज ने नए श्रम कानून में इस प्रविधान को डाले जाने पर चिंता जाहिर की है।

फिस्मे का कहना है कि वर्तमान में किसी औद्योगिक यूनिट के निरीक्षण के दौरान इंस्पेक्टर नियम के उल्लंघन की शिकायत दर्ज करता है। लेकिन अब फैक्ट्री में काम करने वाला या कोई अन्य भी नियम उल्लंघन की शिकायत दर्ज करा सकेगा जिससे उद्यमियों को काफी अधिक परेशान किया जा सकता है। फिस्मे का कहना है कि वे सरकार के सामने इस प्रविधान में बदलाव को लेकर सरकार से गुजारिश करेंगै।

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