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वॉक करना यानी टहलना सबसे आसान एक्सरसाइज़ मानी जाती है. इससे कोई नुक़सान नहीं है, चाहे इसे आप किसी भी तरह से करें.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि रोज़ाना टहलने की आदत का हमारी सेहत पर अच्छा असर पड़ता है. लैंसेट पब्लिक हेल्थ में हाल ही में छपी एक स्टडी में कहा गया है कि हर रोज़ सात हज़ार क़दम चलने से कैंसर, डिमेंशिया और दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का जोखिम कम होता है.
ऐसी तमाम स्टडीज़ हैं, जो वॉक करने के ढेरों फ़ायदे गिनाती हैं. लेकिन वॉक कैसे किया जाए, कितना किया जाए, इसे लेकर अलग-अलग तरीक़े और नियम बताए जाते हैं.
हाल के कुछ महीनों से सोशल मीडिया पर एक वॉकिंग ट्रेंड या वॉकिंग चैलेंज की चर्चा है, जिसे हार्ट हेल्थ से लेकर मेंटल हेल्थ के लिए फ़ायदेमंद बताया जा रहा है. इसे नाम दिया गया है, 6-6-6 वॉकिंग रूटीन.
तो ये 6-6-6 वॉकिंग रूटीन क्या है? ये हमारी सेहत के लिए किस तरह से फ़ायदेमंद हो सकती है? इस वॉकिंग रूटीन को कैसे फॉलो किया जाए? और सबसे ज़रूरी इसे फॉलो करते वक़्त किन बातों का ख़ास ख़्याल रखा जाना चाहिए?
इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए बीबीसी हिंदी ने डाइटीशियन, वेलनेस थेरेपिस्ट और वेलनेस प्लेटफ़ॉर्म मेटामॉरफ़ोसिस की फाउंडर और सीईओ दिब्या प्रकाश और उत्तर प्रदेश स्थित लक्ष्य स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग के फाउंडर और हेड कोच कैलाश मेनन से बात की है.
6-6-6 वॉकिंग रूटीन क्या है?
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6-6-6 वॉकिंग रूटीन में रोज़ाना सुबह 6 बजे या शाम 6 बजे 60 मिनट तक टहलना शामिल है. इसके साथ 6 मिनट का वार्म-अप और 6 मिनट का कूल-डाउन भी करना है.
डाइटीशियन, वेलनेस थेरेपिस्ट और मेटामॉरफ़ोसिस की फाउंडर और सीईओ दिब्या प्रकाश कहती हैं कि इसे हफ़्ते में 6 दिन करना है.
लक्ष्य स्ट्रेंथ एंड कंडिशनिंग के फाउंडर और हेड कोच कैलाश मेनन कहते हैं कि 6-6-6 वॉकिंग रूटीन के अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं.
वो कहते हैं, “कुछ लोग इसमें लगभग 6 हज़ार स्टेप्स, तो कुछ लोग इस रूटीन को 6 दिन फ़ॉलो करने की बात कर रहे हैं. इसमें महत्वपूर्ण बात यही है कि एक दिन में 60 मिनट टहला जाए. भले ही इसमें 30 मिनट सुबह और 30 मिनट शाम को वॉक किया जाए.”
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका मक़सद वॉकिंग को आपकी दिनचर्या का हिस्सा बनाना है.
6-6-6 वॉकिंग रूटीन से हार्ट हेल्थ कैसे बेहतर होती है?
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लैंसेट पब्लिक हेल्थ में हाल ही में छपी एक स्टडी में कहा गया है कि हर रोज़ सात हज़ार क़दम चलने से कैंसर, डिमेंशिया और दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का जोखिम कम होता है.
दिब्या प्रकाश और कैलाश मेनन दोनों एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ 6-6-6 वॉकिंग रूटीन शरीर को सेहतमंद, दिल और दिमाग़ को दुरुस्त रखने में मददगार हो सकती है.
दिब्या प्रकाश कहती हैं कि दिल को दुरुस्त रखने के लिए हफ़्ते में 150 मिनट वॉक करने की सलाह दी जाती है, वहीं एशियाई लोगों को हफ़्ते में कम से कम 250 मिनट वॉक करने की सलाह दी जाती है.
वो समझाती हैं, “जब हम हफ़्ते के 6 दिन 60 मिनट वॉक करते हैं, तो ये हफ़्ते में कुल 360 मिनट का वॉक हो जाता है, ये हमारे हार्ट के लिए हेल्दी है.”
हालांकि, दिल की सेहत के लिए वो इस वॉकिंग रूटीन में 60 मिनट ब्रिस्क वॉक यानी तेज़ी से चलने की बात पर ज़ोर देती हैं.
ब्रिस्क वॉकिंग की कंडीशन समझाते हुए वो कहती हैं, “इसमें आपका हार्ट रेट आपके मैक्सिमम हार्ट रेट का 60% से 70% के बीच होना चाहिए. इसे ज़ोन 2 हार्ट रेट कहते हैं.”
हमारा मैक्सिमम हार्ट रेट कितना होना चाहिए? उसके लिए दिब्या प्रकाश एक फ़ॉर्मूला बताती हैं.
पहले 220 में से अपनी उम्र घटाइए. मान लीजिए आपकी उम्र 50 साल है, तो 220 में से 50 घटाने पर 170 आएगा. ये 50 साल के व्यक्ति के लिए मैक्सिमम हार्ट रेट हुआ.
इस 170 का 60 से 70 प्रतिशत कैलकुलेट कीजिए, जो 102 से 119 के बीच आता है. तो 50 साल की उम्र के व्यक्ति को उस गति से वॉक करना है कि उसका हार्ट रेट 102 से 119 बीट प्रति मिनट के बीच हो.
हार्ट रेट को फिटनेस ट्रैकर और स्मार्टवॉच के ज़रिए भी ट्रैक किया जा सकता है. एक वयस्क का सामान्य हार्ट रेट 60 से 100 बीट (धड़कन) प्रति मिनट के बीच होता है.
दिब्या प्रकाश के मुताबिक़ जब ब्रिस्क वॉकिंग के दौरान हार्ट रेट बढ़ने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है और यही इस वॉकिंग रूटीन का मकसद है, जिससे दिल दुरुस्त होता है.
6-6-6 वॉकिंग रूटीन मेंटल हेल्थ के लिए कैसे फ़ायदेमंद?
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि 6-6-6 वॉकिंग रूटीन हमारी मेंटल हेल्थ के लिए भी बेहद फ़ायदेमंद है. इसकी वजह ये है कि सुबह या शाम कुछ समय निकाल कर खुली जगह पर टहलने से दिमाग़ को बहुत आराम मिलता है.
दिब्या प्रकाश कहती हैं, “अच्छी तरह से वॉक करना भी एक तरह का मेडिटेशन है. जब आप अकेले एक पेस पर वॉक करते हैं, तो दिमाग शांत होता जाता है.”
वो कहती हैं कि अगर आप ये वॉकिंग रूटीन सुबह के समय फॉलो करते हैं, एक तरह से आप पूरे दिन के लिए अच्छे से तैयार हो जाते हैं.
कैलाश मेनन कहते हैं कि अगर आप शाम को वॉक करते हैं, तो इससे दिन भर के तनाव को कम करने में मदद मिलती है, मूड अच्छा होता है और आप अपना पूरा दिन प्रोसेस कर पाते हैं.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इस तरह एक निश्चित समय पर टहलने की आदत बना लेने से अच्छी नींद आने से लेकर हर चीज़ एक साइकिल में चलती है.
एक हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए क्या करें?
दिब्या प्रकाश कहती हैं कि एक हेल्दी लाइफ़स्टाइल के लिए दो चीज़ें अहम हैं-
1. संतुलित और पोषक खानपान
2. फ़िज़िकल एक्टिविटी
फ़िज़िकली एक्टिव रहना आज के समय में ज़्यादातर लोगों के लिए काफी मुश्किल हो गया है. एक तरह से हम में से अधिकतर लोगों की लाइफ़स्टाइल हमेशा बैठे रहने वाली हो गई है.
कैलाश मेनन कहते हैं, “आजकल इतनी सुविधा हो गई है कि हम अपनी बॉडी को यूज़ ही नहीं कर रहे हैं. यहां तक कि पहले फ्लोर पर जाने के लिए भी लिफ़्ट का इस्तेमाल हो रहा है. इसके अलावा, लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ने से फ़िज़िकल एक्टिविटीज़ कम होती जा रही हैं.”
ऐसे में 6-6-6 वॉकिंग चैलेंज अपनाना हेल्दी लाइफ़स्टाइल की ओर एक सकारात्मक क़दम साबित हो सकता है.
साथ ही, इसे फॉलो करना भी आसान है क्योंकि आप अपनी दिनचर्या और रोज़ाना की व्यस्तता के अनुसार इसे अपना सकते हैं.
कैलाश मेनन कहते हैं, “6-6-6 वॉकिंग रूटीन को हर कोई फ़ॉलो कर सकता है. इसके लिए आपको किसी जिम की मेंबरशिप की ज़रूरत नहीं है, न कोई फ़ैंसी इक्विप्मेंट ख़रीदना है. आपको बस वॉकिंग शूज़ चाहिए.”
दिब्या प्रकाश कहती हैं कि इस रूटीन को सभी लोग फॉलो कर सकते हैं, चाहे उनकी उम्र ज़्यादा हो या कम हो.
वो कहती हैं, “जिनका वेट पहले से ज़्यादा हो, उनके लिए जॉग करना या दौड़ना मुश्किल हो सकता है, लेकिन अगर वो वॉक करते हैं, तो उन्हें तक़लीफ नहीं होगी.”
कैलाश मेनन कहते हैं कि इसे नहीं करने का आपके पास कोई बहाना नहीं रह जाता है, इसमें आपको सिर्फ़ अपने लिए वक़्त निकालना है.
इन बातों का रखें ध्यान
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दोनों ही एक्सपर्ट्स इस बात पर ज़ोर देते हैं कि इसे एकदम से फॉलो करने की ज़रूरत नहीं है. इस रूटीन में धीरे-धीरे ख़ुद को ढाला जा सकता है.
कैलाश मेनन कहते हैं, “मुझे लगता है कि जब हम कोई गोल डाल देते हैं, तो बहुत सारे बिगिनर्स के लिए वो मुश्किल हो जाता है. जैसे हो सकता है कि कोई आधे घंटे या एक घंटे लगातार न चल सके, तो वो अगर 10 मिनट से भी शुरुआत करे, तो अच्छा होगा.”
वो कहते हैं कि आप अपनी वॉकिंग रूटीन ख़ुद तय कर सकते हैं. उनके मुताबिक़ 6-6-6 वॉकिंग रूटीन का सार यही है कि आप सुबह-शाम टहलिए.
दिब्या प्रकाश भी कहती हैं कि हफ़्ते में 6 दिन, 6 बजे, 60 मिनट वॉक या 6-6-6 वॉकिंग रूटीन इसलिए बनाया गया है, ताकि लोगों को ये याद हो सके, लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर कोई वॉक न करता हो, तो पहले दिन ही 60 मिनट ब्रिस्क वॉक पर निकल जाए.
दिब्या प्रकाश बताती हैं, “आपको अपने शरीर की भी सुननी है. 6-6-6 वॉकिंग रूटीन सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जो प्रैक्टिकल गाइडलाइन है, उसे समझने की ज़रूरत है.”
6-6-6 वॉकिंग रूटीन में 6 मिनट के वॉर्म अप और कूल डाउन को लेकर कैलाश मेनन कहते हैं कि यूं तो वॉकिंग के लिए किसी भी तरह के वॉर्म अप या कूल डाउन की ज़रूरत नहीं होती है, लेकिन अगर आप ब्रिस्क वॉकिंग कर रहे हैं, तो वॉकिंग से पहले और बाद में स्ट्रेचिंग की जा सकती है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ वॉर्म अप और कूल डाउन का मतलब ये है कि कोई भी चीज़ अचानक से शुरू नहीं करना है और न ही अचानक से बंद करना है.
वॉकिंग की शुरुआत में धीरे-धीरे चलते हुए अपनी पेस बढ़ाई जा सकती है और ब्रिस्क वॉकिंग में सबसे बेहतरीन कूल डाउन होता है कि आप उसका पेस धीरे-धीरे कम करिए.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर इस रूटीन को सकारात्मक तरीके से हेल्दी डाइट के साथ अपनाया जाए, तो ये वाकई प्रभावी हो सकती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित