मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दलों के वोट चोरी के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। उन्होंने विपक्षी नेताओं से आरोपों के समर्थन में हलफनामा देने या माफी मांगने को कहा है। कुमार ने मतदाता सूची की गोपनीयता और पुनरीक्षण प्रक्रिया पर भी बात की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित दूसरे विपक्षी दलों की ओर से वोट चोरी जैसे आरोपों और बिहार में SIR को लेकर किए जा रहे विरोध पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को बगैर किसी का नाम लिए पलटवार किया और कहा कि मतदाता सूची को लेकर लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे और निराधार हैं।
प्रजेंटेशन में जो सूची दिखाई गई थी, वह आयोग की नहीं है। ऐसे लोग या तो सात दिनों के भीतर इन आरोपों को लेकर हलफनामा दें या फिर देश से माफी मांगे। सात दिनों के भीतर यदि इन आरोपों को लेकर हलफनामा नहीं दिया जाता है तो उनके सभी आरोपों को निराधार माना जाएगा। मतदाताओं को अपराधी बनाया जाए और चुनाव आयोग शांत रहे? ये संभव नहीं है।
‘मांगों माफी’
एक तरफ जहां बिहार में कांग्रेस समेत बिहार के विपक्षी दलों के निशाने पर चुनाव आयोग था, वहीं दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने औपचारिक प्रेसवार्ता कर कहा कि इन राजनीतिक नेताओं को या तो शपथपत्र के साथ अपनी शिकायत देनी चाहिए या फिर माफी मांग लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है न कोई पक्ष है। सब समकक्ष है। चाहे कोई भी दल हो चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्यों से पीछे नहीं हटेगा। कानून के अनुसार यदि समय रहते मतदाता सूची की त्रुटियों को साझा न किया जाए।
मतदाताओं द्वारा अपना प्रत्याशी चुनने के 45 दिनों के भीतर यदि हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर न की जाए और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके मतदाताओं को गुमराह करने का असफल प्रयास किया जाए, तो यह देश के संविधान का अपमान नहीं तो क्या है?
आयोग ने इन सवालों के दिए जवाब
सवाल- राजनीतिक दलों की मांग पर मशीन रिडेबल मतदाता सूची क्यों नहीं दी जा रही है। क्या दिक्कत है?
जवाब- इससे मतदाताओं की निजता का हनन हो सकता है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट इसे मान चुका है। कुछ दिन पहले ही देखा गया था कि कई मतदाताओं के फोटो के बगैर उनकी अनुमति के मीडिया के समक्ष इस्तेमाल किए गए। क्या अपनी माताओं, बहू, बेटियों सहित किसी भी मतदाता का सीसीटीवी फुटेज चुनाव आयोग को साझा करनी चाहिए?
सवाल- लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाता सूची का पुनरीक्षण हुआ था, फिर बिहार में एसआइआर के दौरान लाखों मृत कैसे आ गए?
जवाब- सामान्य पुनरीक्षण में यदि कोई बीएलओ को जानकारी देता है तो वह दर्ज कर देता है, जबकि एसआइआइर में घर-घर जाकर जांचा जाता है। एक-एक मतदाता को गणना फार्म भरना होता है। इनमें पूरी मतदाता सूची नई बनायी जाती है। ऐसे में जो लाखों मृतकों की संख्या आयी है, वह एक साल या छह महीने की नहीं बल्कि 20 सालों की है।
सवाल- मतदाता सूची में गड़बड़ी है तो किसकी जिम्मेदारी है?
जवाब- मतदाता सूची की गड़बड़ी सभी की एक साझा जिम्मेदारी है। इनमें चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य की मशीनरी काम करती है। इसके प्रत्येक चरण में राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। जिस स्तर पर इस पर ठीक तरीके से काम नहीं होता है, वहां गड़बड़ी की संभावना रहती है।
सवाल- राहुल गांधी ने डेढ़ लाख लोगों के नाम सार्वजनिक कर गड़बड़ी के जो आरोप लगाए है क्यों उसकी जांच करा रहे है?
जवाब- कैसे जांच करें। क्या उनके झूठे आरोपों पर डेढ़ लाख लोगों को नोटिस दें दे। उन्हें क्या बताएंगे कि उन्हें क्यों बुलाया गया है। उनके आरोपों के बाद तो कुछ लोग खुद ही सामने आकर उनके झूठ को बेनकाब कर रहे है। इसीलिए हलफनामा मांग रहे है, ताकि बताए कि इन आरोपों की जांच के लिए उन्हें नोटिस दिया गया है।