डालीगंज चौराहे पर ठेला लगाने वाले संजय कश्यप ने बताया कि उनके यहां 400 रुपये किलो की कीमत में खिन्नी और फालसे उपलब्ध हैं। वहीं जंगल जलेबी 320 रुपये किलो है। इसी चौराहे पर दुकान लगाने वाले तरुण ने बताया कि उनके पास 600 रुपये प्रतिकिलो खिन्नी और फालसे मौजूद हैं, जबकि जंगल जलेबी 320 रुपये प्रतिकिलो में मिल जाएंगी।
डिमांड ज्यादा सप्लाई कम
फल व्यापारी संजय की मानें तो यह फल काकोरी और मलिहाबाद से ही आते हैं, लेकिन अब इन फलों के पेड़ों में कमी आई है और यह बहुत मात्रा में नहीं आते हैं। पहले इसके पेड़ ज्यादा थे पर अब कम होने की वजह से कीमत ज्यादा होती है। यह सिर्फ 20 दिन के लिए आते हैं। बताया जाता है के फालसे डायबीटीज में फायदा करते हैं, इसलिए डिमांड ज्यादा रहती है। इसी तरह खिन्नी और जंगल जलेबी भी पेट के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
सीतापुर रोड स्थित नवीन गला मंडी के मंडी इंस्पेक्टर अनुराग ने बताया कि इसकी डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम है। ज्यादातर लोकल किसान ही ये फल लाते हैं, इसकी वजह से कीमत ज्यादा है। फालसे बुंदेलखंड और वाराणसी से भी मंगवाए जाते हैं।
1000 रुपये किलो शहतूत पर देना होगा आर्डर
वैसे तो शहतूत बाजार में कहीं मौजूद नहीं था, लेकिन डालीगंज के फल विक्रेता तरुण से जब बात की तो उसने बताया कि शहतूत मिल तो जाएगा पर उसके लिए पहले से आर्डर देना पड़ेगा। जब हमने उसका दाम पूछा तो उसने 1000 रुपये किलो के दाम में शहतूत मिल पाएगा। क्योंकि इसे पेड़ से तोड़ना पड़ता है और उसमें मेहनत बहुत लगती है और अब शहतूत के बहुत ज्यादा पेड़ बचे भी नहीं हैं।
क्यों हैं रेट में असमानता?
यह सब फल बहुत कम मात्रा में आते हैं। इसी कारण इनके औसत रेट भी मंडी में नहीं निर्धारित होते हैं। लोकल किसान आते हैं और बेच कर चले जाते हैं जिसके कारण भी इनके रेट अस्थिर होते हैं। लोकल किसान डिमांड ज्यादा होने पर ज्यादा कीमत में ये सीजनल फल बेचते हैं। यही वजह है कि रेट में असमानता रहती है।
किस फल का क्या है रेट
- फालसे – 400 से 600 रुपये किलो
- जंगल जलेबी – 320 रुपये किलो
- खिन्नू -400 से 700 रुपये किलो
- शहतूत -1000 रुपये किलो