एसीपी मोहसिन खान आईआईटी से साइबर विषय में पीएचडी कर रहा था। पीड़ित छात्रा ने मोहसिन खान को संस्थान से भी निकालने की मांग की थी। बीते दो अप्रैल को आईआईटी प्रशासन के अधिकारियों ने इसको लेकर बैठक की थी। मोहसिन खान बिना सूचना दिए लंबे समय से गायब थे। इसे अनुशासनहीनता मानते हुए तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट कर दिया गया। आईआईटी प्रशासन के सभी विभागों के साथ ही मोहसिन खान को भी सूचित कर दिया गया है।
सीनेट की बैठक में उठा मुद्दा
आईआईटी कानपुर के उपनिदेशक प्रोफेसर बृजभूषण के मुताबिक मोहसिन खान के शैक्षणिक कार्यक्रम को आईआईटी प्रशासन ने समाप्त कर दिया है। वह लगातार पीएचडी के लिए आईआईटी में अनुपस्थित चल रहे थे। तीन दिन पहले हुई सीनेट में मोहसिन का मुद्दा उठाया गया था। जिस पर सभी सदस्यों की राय लेने के बाद टर्मिनेट कर दिया गया। उनका शैक्षणिक कार्यक्रम समाप्त कर दिया गया।
डीजीपी को किया था ई-मेल
पीड़ित छात्रा ने बीते 12 दिसंबर 2024 को कल्यानपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद एसीपी मोहसिन खान को डीजीपी कार्यालय से अटैच कर दिया गया था। पीड़ित छात्रा ने डीजीपी प्रशांत कुमार को ई-मेल कर पत्र लिखा था। पीड़िता ने मेल में खुद को असहाय बताते हुए लिखा था कि वह ऐसी व्यवस्था में न्याय की मांग कर रही है, जिसने उन्हें निराश किया है। पीड़ित छात्रा आगे लिखती है कि मैं समझती हूं कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में आप की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। मेरे पास सीधे आपसे अपील करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। मेरे मामले में मजबूत सबूतों के बाद भी व्यवस्थागत देरी और कई स्तरों पर भ्रष्टाचार हो रहा है।
अरेस्टिंग स्टे लिया था
इसके बाद मोहसिन खान को डीजीपी कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया। अटैच होने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। 19 दिसंबर 2024 को उसने हाई कोर्ट से स्टे लेकर चार्जशीट तक गिरफ्तारी पर रोक लगवा दी थी। छात्रा का कहना था कि मैं अपना पक्ष मजबूती से रखूंगी, ताकि अरेस्टिंग और चार्जशीट पर स्टे को खारिज कराया जा सके।
विभागीय कार्रवाई की तैयारी
मोहसिन खान सस्पेंड होने के बाद भी डीजीपी कार्यालय लखनऊ से अटैच रहेंगे। सस्पेंशन का लेटर कानपुर कमिश्नरेट को भी फारवर्ड किया गया है। इसके बाद विभागीय कार्रवाई शुरू होगी, जिसमें दंडनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। एसीपी ने 16 दिसंबर को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें गिरफ्तारी पर रोक लगाने और एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी। मोहसिन खान का केस पूर्व विधायक इरफान सोलंकी के वकील इरफानउल्लाह और विक्रम सिंह लड़ रहे हैं।
इस वजह से लगी थी गिरफ्तारी पर रोक
मोहसिन खान के वकील ने पक्ष रखने हुए कहा था कि एक साल पहले मोहसिन खान ने पत्नी को तलाक का नोटिस भिजवाया था। जिसका मामला न्यायलय में विचाराधीन है। इसके साथ ही कोर्ट मैरिज से जुड़ा एक डॉक्यूमेंट भी पेश किया था। पीड़ित छात्रा की वेस्ट बंगाल निवासी साइंटिस्ट से शादी होने का दावा किया था। मैरिज से जुड़े दस्तावेजों में छात्रा के हस्ताक्षर भी थे, लेकिन मैरिज रजिस्ट्रेशन का कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर सके। इन्हीं तथ्यों को देखते हुए हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।