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Ambedkar Jayanti: अब डॉ अंबेडकर नगर से दिल्ली के लिए चलेगी ट्रेन, अश्विनी वैष्णव ने किया उद्घाटन

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Apr 14, 2025


डॉ. अंबेडकर जयंती से पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डॉ. अंबेडकर नगर से नई दिल्ली के लिए ट्रेन को वर्चुअली हरी झंडी दिखाई। ट्रेन उज्जैन होते हुए चलेगी जिसे महाकुंभ 2028 की तैयारियों का हिस्सा बताया गया है। कोटा से दिल्ली के लिए भी एक विशेष ट्रेन शुरू की गई। पीएम मोदी 14 अप्रैल को हरियाणा में विकास परियोजनाएं लॉन्च करेंगे।

एएनआई, नई दिल्ली। डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को डॉ. अंबेडकर नगर से नई दिल्ली के लिए एक नई ट्रेन सेवा को वर्चुअली हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

अंबेडकर नगर से दिल्ली के बीच बेहतर कनेक्टिविटी

मंत्री वैष्णव ने मीडिया से बात करते हुए बताया, “कल (14 अप्रैल 2025) डॉ. अंबेडकर जयंती है और आज हमने उनके जन्मस्थान से दिल्ली के लिए ट्रेन रवाना की है। इससे अंबेडकर नगर और दिल्ली के बीच संपर्क बेहतर होगा। यह ट्रेन उज्जैन के रास्ते चलेगी। साल 2028 में उज्जैन में महाकुंभ का आयोजन होना है, ऐसे में इसे महाकुंभ की तैयारियों की शुरुआत के रूप में भी देखा जा सकता है।”इसी दिन राजस्थान के कोटा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कोटा रेलवे स्टेशन से नई दिल्ली के लिए एक विशेष ट्रेन को रवाना किया। यह ट्रेन कोटा और दिल्ली के बीच सीधी कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगी।

अंबेडकर जयंती के मौके पर 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे। ये परियोजनाएं सामाजिक और बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी होंगी।

देशभर में मनाई जाती है बाबासाहेब की जयंती

14 अप्रैल 1891 को जन्मे डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल पूरे देश में मनाई जाती है। इस दिन स्कूल, बैंक और कई सार्वजनिक संस्थान बंद रहते हैं। लोग बाबासाहेब को श्रद्धांजलि देने के लिए फूल चढ़ाते हैं, दीप जलाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का शिल्पकार और ‘फादर ऑफ इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन’ कहा जाता है। वह आज़ाद भारत के पहले कानून मंत्री भी रहे। उनका जन्म मध्य प्रदेश के एक दलित महार परिवार में हुआ था। उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष किया और 1927 से अस्पृश्यता के खिलाफ सक्रिय आंदोलनों का नेतृत्व किया। बाद में वे दलितों के प्रतीक और नेता के रूप में पूरे देश में सम्मानित किए गए।
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