इमेज कैप्शन, खुशप्रीत सिंह, जिन्हें 5 फ़रवरी को अमेरिका से वापस लाया गया.
भारत ने कहा है कि उसने अमेरिका के सामने बिना दस्तावेज़ वाले 104 भारतीय कामगारों को हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर मिलिट्री एयरक्राफ्ट से भेजने का मुद्दा उठाया है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की तरफ से संसद में इस मुद्दे पर विस्तृत बयान दिए जाने के एक दिन बाद, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा है कि भारत ने अमेरिका के सामने अवैध रूप से वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों को अपमानजनक तरीके से वापस भेजने का मुद्दा उठाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12-13 फ़रवरी को अमेरिका का दौरा करेंगे. विदेश मंत्रालय ने संकेत दिया है कि पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बातचीत में भारतीयों को अपमानजनक तरीके़ से वापस भेजे जाने का मुद्दा उठा सकते हैं.
अमेरिकी सेना का एक विमान बुधवार को 104 भारतीय नागरिकों को लेकर अमृतसर के हवाई अड्डे पर उतरा था. वो अमेरिका में कथित तौर पर बिना वैध दस्तावेज़ के रह रहे थे. इन सभी लोगों के हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां पहनाई गई थीं.
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विदेश सचिव ने क्या कहा?
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इमेज कैप्शन, भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी (फ़ाइल फ़ोटो)
उनसे पूछा गया कि क्या ब्राज़ील की तरह भारत ने भी अपने नागरिकों के साथ किए गए दुर्व्यवहार का मुद्दा अमेरिका के सामने उठाया.
इस पर मिसरी ने कहा, ”हां, भारत ने अमेरिकी अधिकारियों के सामने ये मुद्दा उठाया है. भारतीयों को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतारना पहले की कार्रवाइयों से ‘थोड़ा अलग’ था. ट्रंप प्रशासन ने इसे नेशनल सिक्योरिटी ऑपरेशन माना था इसलिए यात्रियों को अलग ढंग से लाया गया. शायद यही वजह रही कि यात्रियों के लिए मिलिट्री एयरक्राफ़्ट का इस्तेमाल किया गया.”
मिसरी ने कहा कि अवैध भारतीय प्रवासियों के साथ जो व्यवहार हुआ उसे टाला जा सकता था. इस मुद्दे को उठाया ही जाना चाहिए. उनका कहना था कि भारत अमेरिका के सामने ये मुद्दा लगातार उठाता रहेगा.
विदेश सचिव ने कहा, ”भारत ने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया कि लोगों के साथ निष्पक्ष और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए. निर्वासित लोगों के साथ भी जब भी दुर्व्यवहार का कोई मामला हमारे ध्यान में आता है, हम इसे उठाते हैं और हम भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे.”
अंतिम निष्कासन आदेश में 487 लोगों के नाम शामिल
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इमेज कैप्शन, अमेरिका ने शुरू में वापस भेजे जाने वाले 203 भारतीयों के नाम भेजे थे
मिसरी बताया कि अमेरिका के अंतिम निष्कासन आदेश में 487 भारतीयों के नाम शामिल हैं. ट्रंप प्रशासन ने इनमें से 298 लोगों का नाम साझा किया है. भारतीय अधिकारी ये जांच कर रहे हैं कि ये लोग भारतीय नागरिक हैं या नहीं.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने शुरू में वापस भेजे जाने वाले 203 भारतीयों के नाम भेजे थे, जो 104 लोग वापस भेजे गए हैं उनके नाम इसी सूची का हिस्सा हैं.
बाकी बचे 99 लोगों में से 96 के भारतीय नागरिक होने की पुष्टि हो चुकी है. माना जा रहा है कि अमेरिका अब अगली फ्लाइट से इन्हें भेजेगा.
भारत में ग़ुस्सा
भारतीयों को हथकड़ियां और बेड़ियां पहना कर वापस भेजने के मामले को लेकर भारत में काफी गुस्सा देखा जा रहा है.
भारत में लोगों ने अपना ग़ुस्सा तब ज़ाहिर किया जब अमेरिका ने भारतीयों को वापस भेजने का वीडियो जारी किया. वीडियो में भारतीयों के मुंह पर मास्क, हाथ में हथकड़ी और पैर में बेड़ियां दिख रही हैं.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से सवाल पूछा, “क्या यह व्यवहार मानवीय है या आतंकवादियों जैसा है?”
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने पूछा कि क्या आगे अपना विमान भेजकर भारतीय नागरिकों को वापस लाने की कोई योजना है?
सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर लिखा कि भारत को अमेरिका के इस व्यवहार को स्वीकार नहीं करना चाहिए था.
लोग सवाल उठा रहे हैं कि अवैध प्रवासियों की इस तरह वापसी के मुद्दे के ख़िलाफ़ जो साहस मेक्सिको, कोलंबिया और ब्राजील ने दिखाया वो भारत क्यों नहीं दिखा पाया.
कोलंबिया की क्यों हो रही तारीफ़
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इमेज कैप्शन, कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो (फ़ाइल फ़ोटो)
पिछले दिनों जब अमेरिका ने कोलंबिया के लोगों को वापस भेजा तो वहां के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने कड़ा रुख़ अपनाया था.
जनवरी में अमेरिका ने कोलंबिया के नागरिकों को सैन्य विमान से वापस भेजा तो गुस्तावो पेत्रो ने इसे अपने देश में लैंड नहीं होने दिया.
राष्ट्रपति पेत्रो ने कहा कि वह अपने साथी नागरिकों को सामान्य (नागरिक) विमानों में लेकर आएंगे और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं करेंगे.
डोनाल्ड ट्रंप कोलंबिया के इस क़दम से इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने कोलंबिया पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की घोषणा कर दी.
पेत्रो की तरफ़ से कहा गया कि वह भी इस तरह की जवाबी कार्रवाई करेंगे.
बाद में व्हाइट हाउस ने कहा कि कोलंबिया अब अमेरिकी सैन्य विमानों से आने वाले प्रवासियों को स्वीकार करने के लिए सहमत हो गया है. इसलिए अमेरिका टैरिफ़ के साथ आगे नहीं बढ़ेगा.
दोनों देशों के राजनयिकों के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत कोलंबिया ने प्रवासियों को लाने के लिए अपने वायु सेना के विमान भेजे.
पेत्रो ने कहा कि इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित हुआ कि प्रवासियों के साथ ‘सम्मानपूर्वक’ व्यवहार किया जाएगा.
पेत्रो ने एक्स पर लिखा, “वे कोलंबियाई हैं, स्वतंत्र और सम्मानित हैं. अपनी मातृभूमि में हैं जहां उन्हें प्यार किया जाता है.”
उन्होंने बिना हथकड़ी के विमान से उतरते प्रवासियों की तस्वीरें भी पोस्ट कीं.
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने क्या कहा था
इस पूरे मामले पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को संसद में सरकार का पक्ष रखा था
जयशंकर ने कहा था, “वापस भेजने की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, बल्कि सालों से ऐसा हो रहा है. हम अमेरिकी सरकार के साथ बात कर रहे हैं कि जिन्हें वापस भेजा जा रहा है, उनके साथ फ्लाइट में अमानवीय व्यवहार नहीं होना चाहिए.”
पिछले अमेरिकी प्रशासन में भी लाखों लोगों को निर्वासित किया गया था.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफ़ोर्समेंट ने 2018 से 2023 के बीच 5,477 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया. साल 2020 में एक साल में सर्वाधिक 2,300 भारतीयों का निर्वासन हुआ.
2024 में सितंबर के महीने तक 1000 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से निर्वासित किया गया था.
कितना महंगा है अवैध प्रवासियों को वापस भेजना
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इमेज कैप्शन, भारतीय अवैध प्रवासियों को अमेरिकी सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान से लाया गया
अवैध भारतीय प्रवासियों की वापसी के लिए अमेरिकी सेना का सी-17 विमान इस्तेमाल किया गया था.
सी-17 एक भारी सैन्य परिवहन विमान है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ पिछले हफ्ते, ग्वाटेमाला के अवैध प्रवासियों को वापस भेजते समय प्रति पैसेंजर 4,675 डॉलर की लागत आई थी जो एक तरह की फर्स्ट क्लास की औसत लागत 853 डॉलर से पांच गुना ज्यादा है.
इस हिसाब से देखा जाए तो सी-17 से भारतीयों को अमृतसर लाने में लगभग चार करोड़ रुपये से अधिक ख़र्च हुए होंगे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित