सबकुछ लुटा कर गए थे
पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पंजाब से गैरकानूनी तरीके से विदेश जाना एक पुरानी समस्या है। गुजरात और हरियाणा से भी लोग विदेश जाते हैं, लेकिन पंजाब सबसे आगे है। अधिकारी ने बताया कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर और 40 लाख रुपये या उससे ज्यादा खर्च करके विदेश जाने की कोशिश करते हैं। सफलता की कोई गारंटी नहीं होती। डंकी रूट से विदेश भेजने के चक्कर में कई परिवार बर्बाद हो गए हैं। कुछ लोग जमीन बेच देते हैं, तो कुछ कर्ज ले लेते हैं। कई लोगों के अपने परिवार के सदस्य कहां गुम हो गए, पता ही नहीं चलता।
पंजाब के इमिग्रेशन कंसल्टेंट भी इस बात से सहमत
अधिकारी का कहना है कि इस तरह के प्रवास के असली कारणों पर गहराई से विचार करने की जरूरत है। पंजाब के इमिग्रेशन कंसल्टेंट भी इस बात से सहमत हैं। हाल ही में इस धंधे को छोड़ने वाले बठिंडा के एक कंसल्टेंट ने बताया कि ऐसे एजेंटों की संख्या बढ़ रही है जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। ये एजेंट थोड़े समय के लिए आते हैं और लोगों को जोखिम भरे रास्तों से विदेश भेज देते हैं। गैरकानूनी तरीके के अलावा, स्टूडेंट वीजा के जरिए भी लोग विदेश जाते हैं। पंजाब में, खासकर छोटे शहरों में, IELTS सेंटर खूब खुले हैं। लेकिन कनाडा ने वीजा नियम सख्त कर दिए हैं, जिससे कई सेंटर अब खाली पड़े हैं। यह इमिग्रेशन के बदलते हालात का संकेत है।
हरियाणा भी इस मामले में पीछे नहीं
हरियाणा भी गैरकानूनी प्रवास के मामले में पीछे नहीं है। अमेरिका से वापस भेजे गए 332 प्रवासियों में से 112 हरियाणा के थे। पहली फ्लाइट में 104 में से 35, दूसरी में 116 में से 33 और तीसरी में 112 में से 44 हरियाणा के थे। पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में लोगों के वापस आने से पता चलता है कि गैरकानूनी प्रवास बढ़ रहा है। इससे इन राज्यों के परिवारों पर सामाजिक और आर्थिक असर पड़ रहा है। यह मुद्दा राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है और गैरकानूनी प्रवास रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग हो रही है।