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America Toilet Paper Crisis,टॉयलेट जाते ही अमेरिकियों को आ रहा रोना, ऐसा कौन सा आ गया है संकट? – toilet paper crisis in america trumps tariffs increase prices threat of 2020-like shortage

Byadmin

May 11, 2025


नई दिल्‍ली: अमेरिका में टॉयलेट पेपर के दाम तेजी से बढ़ गए हैं। यह अमेरिकियों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर से पेपर सप्लायर परेशान हैं। उन्हें डर है कि अमेरिका के सुपरमार्केट में टॉयलेट पेपर की भारी किल्‍लत हो सकती है। ब्राजील की सबसे बड़ी पल्प एक्सपोर्टर सुजानो एसए ने चेतावनी दी है कि ट्रंप के नए टैरिफ से टॉयलेट पेपर और अन्य हाइजीन प्रोडक्‍टों को बनाने में इस्तेमाल होने वाले खास मटेरियल की शिपमेंट में दिक्कत आ रही है। सुजानो एसए ब्लीच्ड हार्डवुड पल्प बनाती है। इसे कई अमेरिकी मैन्युफैक्चरर इस्तेमाल करते हैं। कंपनी ने बताया कि अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट में अप्रैल में 20% की गिरावट आई है। इसकी वजह ट्रंप के लगाए गए टैरिफ हैं। अगर ट्रेड वॉर जारी रहा तो 2020 जैसी स्थिति फिर से आ सकती है। तब टॉयलेट पेपर की भारी कमी हो गई थी।

सुजानो के सीईओ जोआओ अल्बर्टो डी अब्रू ने ब्लूमबर्ग न्यूज से कहा, ‘टैरिफ के जवाब में हमें बढ़ी हुई लागत अमेरिकी खरीदारों पर डालनी पड़ी है।’ ब्राजील और कई अन्य देशों (चीन को छोड़कर) को अब अमेरिका को एक्सपोर्ट करने पर 10% टैरिफ देना होगा। साओ पाउलो की इस कंपनी ने चेतावनी दी है कि अगर ट्रेड बैरियर बने रहे तो सप्लाई चेन में दिक्कतें बढ़ सकती हैं। कीमतों में और भी इजाफा हो सकता है। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने डर के मारे बहुत ज्यादा खरीदारी की थी। इससे टॉयलेट पेपर की कमी हो गई थी। उस समय की यादें अभी भी लोगों के मन में ताजा हैं। अभी दुकानों में टॉयलेट पेपर मौजूद है। लेकिन, इंडस्ट्री एनालिस्ट का कहना है कि पेपर की सप्लाई चेन में फिर से दिक्कत आ सकती है। अगर अमेरिकी खरीदार ट्रेड में और रुकावट आने की आशंका से पहले ही टॉयलेट पेपर जमा करना शुरू कर दें तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।

अन्य ग्लोबल सप्लायर ने भी चेतावनी दी

सुजानो अकेली कंपनी नहीं है जो चिंता जता रही है। कई अन्य ग्लोबल सप्लायर ने भी चेतावनी दी है कि अगर टैरिफ को लेकर लड़ाई और बढ़ी तो जरूरी सामानों की सप्लाई में दिक्कत आ सकती है। कंपनी की चेतावनी से यह भी पता चलता है कि ट्रेड डिस्प्यूट, जो पहले हाई-टेक या लग्जरी सामानों पर केंद्रित थे, अब रोजमर्रा की जिंदगी के लिए जरूरी चीजों को भी प्रभावित कर रहे हैं। ब्राजील दुनिया में पल्प (लुगदी) का सबसे बड़ा उत्पादक है। यह हाल ही में हुए ट्रेड विवाद में एक अहम मुद्दा बन गया है। अमेरिका ने कई इम्पोर्ट पर टैरिफ बढ़ा दिए हैं। यह ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी का हिस्सा है। इससे ब्राजील के एक्सपोर्टर ज्यादा लागत के बीच मार्केट शेयर को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

सुजानो ने कोरोना महामारी के दौरान टॉयलेट पेपर की कमी को दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी। कंपनी का कहना है कि वह स्थिति के अनुसार काम कर रही है। लेकिन, कंपनी का यह भी कहना है कि अगर टैरिफ का दबाव जारी रहा तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसका असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, खासकर बाथरूम में इस्तेमाल होने वाले सामानों पर। अब्रू ने कहा, ‘पल्प सिर्फ एक कमोडिटी नहीं है। यह उन सबसे जरूरी उत्पादों का हिस्सा है जिन्हें हम हर दिन इस्तेमाल करते हैं।’

सप्लाई चेन में रुकावट आने का डर

पिछले महीने, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट ने भी चेतावनी दी थी कि डोनाल्ड ट्रंप की ओर से प्रस्तावित चीनी इम्पोर्ट पर भारी टैरिफ के कारण अमेरिकी दुकानों के शेल्फ कुछ हफ्तों में खाली हो सकते हैं। इससे आर्थिक झटका लग सकता है और गर्मियों तक मंदी आ सकती है।

अपोलो के चीफ इकोनॉमिस्ट टॉर्स्टन स्लोक ने एक टाइमलाइन पेश की। इसमें बताया गया है कि सप्लाई चेन में रुकावट कैसे आ सकती है। उन्होंने कहा कि मई के मध्य तक चीन से शिपमेंट रुक सकती है, मई के अंत तक प्रोडक्ट की कमी हो सकती है और रिटेल बिक्री घट सकती है। इसके बाद, ट्रकिंग और रिटेल सेक्टर में नौकरियां जा सकती हैं।

कुछ एनालिस्ट का कहना है कि अभी इन्वेंट्री का स्तर अच्छा है, इसलिए शुरुआत में ज्यादा असर नहीं होगा। लेकिन, स्लोक ने चेतावनी दी कि चीन से सामान आना बंद होने पर ‘कोरोना जैसी कमी’ हो सकती है। इससे अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से ठप हो सकते हैं और 2025 के मध्य तक अमेरिका में मंदी आ सकती है।

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