कर्नाटक में उगाई जाने वाली सुपारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट को लेकर देशभर में चर्चा तेज हो गई है। इस रिपोर्ट में सुपारी को कैंसरकारी (कार्सिनोजेनिक) बताया गया है, जिससे किसानों और कारोबारियों के बीच चिंता बढ़ गई है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने वैज्ञानिकों को निर्देश दिया है कि वे इस पर अध्ययन करें और जल्द से जल्द यह स्पष्ट करें कि सुपारी वास्तव में कैंसरकारी है या नहीं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कृषि भवन में सुपारी विकास पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह जानकारी दी। बैठक में केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी, प्रह्लाद जोशी, राज्य मंत्री और सुपारी उत्पादक क्षेत्रों के सांसद शामिल हुए।
वैज्ञानिकों को रिपोर्ट देने के निर्देश
इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट से कर्नाटक की सुपारी को लेकर कुछ गलतफहमियां फैली हैं। इन्हें दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों की टीम को अध्ययन कर तय समय सीमा में रिपोर्ट देने को कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सुपारी का उपयोग सदियों से धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अवसरों पर होता आया है। इसमें मौजूद कुछ रसायनों के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक और पशु चिकित्सा में भी होता है।
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किसानों को मिलेगा मुआवजा
चौहान ने कहा कि जो किसान सुपारी की फसलों में वायरल बीमारियों जैसे एरिओलेट मिल्ड्यू से नुकसान झेल रहे हैं, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा। सरकार किसानों के हितों की रक्षा करेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि वे वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम के साथ कर्नाटक का दौरा करेंगे ताकि जमीनी हालात का आकलन कर सुपारी की खेती के लिए विकास की योजना बनाई जा सके।
बैठक में कई अहम मुद्दे पर हुई चर्चा
इस दौरान कृषि भवन में सुपारी विकास को लेकर हुई उच्चस्तरीय बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में सुपारी के अवैध आयात की समस्या, नमी से जुड़ी चुनौतियां, छोटी और बड़ी सुपारी के दामों में अंतर और शुद्ध बीज सामग्री की उपलब्धता जैसे विषय प्रमुख रूप से उठाए गए। बता दें कि भारत इस समय दुनिया का सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक देश है और वैश्विक उत्पादन का 63% हिस्सा अकेले भारत से आता है। वर्ष 2023-24 में देश में लगभग 14 लाख टन सुपारी का उत्पादन हुआ, जिसमें कर्नाटक का योगदान 10 लाख टन रहा।
कर्नाटक में सुपारी का बड़ा उत्पादन
कर्नाटक में 6.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सुपारी की खेती होती है। पूरे देश में लगभग 60 लाख लोग सुपारी की खेती और उससे जुड़े व्यवसायों पर निर्भर हैं। देश में उत्पादित सुपारी का कुल बाजार मूल्य ₹58,664 करोड़ आंका गया है। वहीं वर्ष 2023-24 में भारत ने 10,637 टन सुपारी का निर्यात किया, जिससे ₹400 करोड़ का विदेशी मुद्रा अर्जन हुआ।
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गौरतलब है कि सुपारी की फसलों में फैलने वाली बीमारियों से निपटने के लिए वर्ष 2022 में राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति का गठन किया गया था। वर्ष 2024 से 2027 के बीच कर्नाटक के 10 तालुकों में 50 हेक्टेयर क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धतियों पर आधारित प्रदर्शन कार्यक्रम भी चलाया जाएगा, जिसके लिए ₹6.31 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है।