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Archana Tiwari Case: बड़ा खुलासा… नापसंद शादी करा रहे थे घरवाले, बचने को अर्चना ने रचा ‘मौत का नाटक’

Byadmin

Aug 21, 2025


जीआरपी ने 13 दिन बाद कटनी की अधिवक्ता अर्चना तिवारी गुमशुदगी कांड का बुधवार को पर्दाफाश कर दिया। सामने आया कि अर्चना के घरवाले उनकी एक पटवारी से शादी करा रहे थे। वह इसके लिए तैयार नहीं थी। इस रिश्ते से बचने के लिए उसने मरने का नाटक रचा। 29 वर्षीय अर्चना तिवारी जबलपुर उच्च न्यायालय में वकालत करती है।

 जेएनएन, भोपाल। जीआरपी ने 13 दिन बाद कटनी की अधिवक्ता अर्चना तिवारी गुमशुदगी कांड का बुधवार को पर्दाफाश कर दिया। सामने आया कि अर्चना के घरवाले उनकी एक पटवारी से शादी करा रहे थे। वह इसके लिए तैयार नहीं थी। इस रिश्ते से बचने के लिए उसने मरने का नाटक रचा।

अचानक गायब हो जाना मध्य प्रदेश में बड़ा मुद्दा बन गया था

वह इंदौर से कटनी के लिए निकली, लेकिन बीच रास्ते से गायब हो गई। अपनी सीट पर उसने सामान छोड़ा और अपना मोबाइल और घड़ी जंगल में फिंकवा दी ताकि स्वजन को उसके साथ किसी अनहोनी का यकीन हो जाए।

अर्चना को इसका तनिक भी अंदाजा नहीं था कि उसका अचानक गायब हो जाना मध्य प्रदेश में बड़ा मुद्दा बन जाएगा। वह नेपाल जा पहुंची। वहां से भोपाल की जीआरपी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के रास्ते अर्चना को लाने के बाद उसके स्वजन के हवाले दिया है।

अर्चना तिवारी जबलपुर उच्च न्यायालय में वकालत करती है

29 वर्षीय अर्चना तिवारी जबलपुर उच्च न्यायालय में वकालत करती है। पिछले एक साल से वह इंदौर में रहकर सिविल जज परीक्षा की तैयारी कर रही है। रक्षाबंधन पर सात अगस्त को वह इंदौर से बिलासपुर जाने वाली नर्मदा एक्सप्रेस के बी-3 कोच में कटनी जाने के लिए सवार हुई। ट्रेन आने के बाद वह नहीं उतरी तो स्वजन ने उमरिया में रिश्तेदार को खबर दी।

उन्होंने वहां कोच में जाकर देखा तो अर्चना का सामान मिला, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। आखिरी बार उसे रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर देखा गया था। इसके बाद तलाश में रेलवे पुलिस ने लगभग दो हजार सीसीटीवी के फुटेज खंगाले गए।

जंगल में खोजबीन की

नर्मदा नदी में करीब 32 किलोमीटर तक एसडीआरएफ एवं जीआरपी ने खोज अभियान चलाया। रानी कमलापति से जबलपुर तक के ट्रैक पर अलग-अलग टीमें बनाकर पैदल सर्चिंग की गई।

जंगल में खोजबीन की। भोपाल रेलवे पुलिस के एसपी राहुल लोढ़ा ने बताया कि वाट्सएप का ब्यौरा खंगाला तो 26 वर्षीय सारांश जोकचंद का नंबर मिला, जिससे रात में लंबी बात होती थी। यह युवक इंदौर के विजयनगर में ड्रोन का स्टार्टअप चलाता था। छह महीने से अर्चना से उसकी दोस्ती थी।

अर्चना की कॉल डिटेल में एक टैक्सी संचालक तेजिंदर सिंह का भी नंबर मिला। दोनों ने बताया कि अर्चना को लेकर वे दोनों पहले दिल्ली पहुंचे और एक टैक्सी लेकर नेपाल पहुंचने की व्यवस्था बनाई।

11 अगस्त को अर्चना काठमांडू पहुंच गई थी

टैक्सी वाला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से उन्हें नेपाल के धनगढ़ी कस्बे में ले गया। वहां से घरेलू उड़ान पकड़कर 11 अगस्त को अर्चना काठमांडू पहुंच गई। जीआरपी को काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से मदद लेनी पड़ी।

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