“मेरी मां को दिल की बीमारी है. मुझे उन्हें दिखाने के लिए फ़ैज़ाबाद में एक डॉक्टर के यहां ले जाना था, लेकिन हम बीकापुर टोल बूथ से आगे नहीं बढ़ सके. मुझे अपनी मां को लेकर घर वापस लौटना पड़ा.”
खजुराहट बाज़ार बीकापुर के निवासी मनमोहन यादव ने परेशान होते हुए ये बताया.
वहीं अयोध्या के ही रहने वाले अंजनी कुमार सिन्हा ने कहा, “हम सोमवार से ही अपने घर में बंद हैं. कहीं निकल नहीं पा रहे हैं. सब्जी लेने तक के लिए हम निकल नहीं पा रहे हैं. दूधवाला और अख़बार वाला तक घरों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. “
20 किलोमीटर लंबा जाम
अयोध्या के स्थानीय निवासी परेशान हैं. कई को घरों के अंदर ही क़ैद रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.
इसकी वजह ये है कि शहर की ओर जाने वाली सभी सड़कें श्रद्धालुओं से भरी पड़ी हैं.
सभी दिशाओं से लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं. 20-20 किलोमीटर लंबा जाम लगा है.
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक़ अयोध्या में पिछले दो दिनों में क़रीब 50 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे हुए हैं.
शहर का इन्फ्रास्ट्रक्चर चरमरा गया है और प्रशासन को भारी भीड़ नियंत्रित करने में बहुत परेशानी पेश आ रही है.
श्रद्धालुओं की इस भारी भीड़ की वजह ये है कि प्रयागराज में कुंभ मेले में पहुंचे लोग स्नान के बाद अयोध्या का रुख़ कर रहे हैं.
भारी भीड़ को देखते हुए राम मंदिर ट्रस्ट के सेक्रेटरी चंपत राय ने अयोध्या के आसपास के इलाकों से आने वाले श्रद्धालुओं से अगले 10-20 दिनों तक अयोध्या ना आने की अपील की है.
राय ने अपील करते हुए कहा, “29 जनवरी को मौनी अमावस्या है. ये स्नान का सबसे अहम दिन है. अनुमान है कि इस दिन क़रीब 10 करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगाएंगे. जिसमें से कई अयोध्या पहुंच सकते हैं. पिछले तीन दिनों से बड़ी संख्या में लोग ट्रेन और बसों में सवार होकर अयोध्या पहुंच रहे हैं जिसकी वजह से यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है”
श्रद्धालुओं को शौचालय तक मुहैया नहीं
पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के बाद से ऐसी ऐतिहासिक भीड़ पहली बार देखी गई है. शहर की मुख्य सड़कें, गलियां, चौराहे, परिक्रमा मार्ग सभी श्रद्धालुओं से पटे पड़े हैं .
सार्वजनिक शौचालय ठप पड़ गए हैं. पीने के पानी की कमी हो रही है. स्थानीय प्रशासन और पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी भीड़ नियंत्रित नहीं हो पा रही है.
स्थानीय प्रशासन ने इस भारी भीड़ को देखते हुए अगले दस दिनों के लिए शहर के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है.
साथ ही स्थानीय लोगों से अपील की है कि घर से बाहर ज़्यादा ना निकलें ताकि सड़कों पर भीड़ के कारण उन्हें दिक़्क़त ना हो.
कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स में दावा किया गया कि भगदड़ मचने की वजह से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई. लेकिन पुलिस प्रशासन ने इस ख़बर को ग़लत बताया है.
पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा, “ऐसी कोई घटना नहीं हुई है. सुरक्षा के चाक चौबंद इंतज़ाम है. लोगों का ध्यान रखा जा रहा है. एक महिला श्रद्धालु की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई है.”
‘फ़रवरी में आएं तो बेहतर होगा’
अयोध्या के पुलिस महानिरीक्षक (इंस्पेक्टर जनरल) ने मीडिया से कहा, “राम मंदिर और हनुमानगढ़ी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण लोगों को दर्शन करने में काफ़ी वक़्त ज़रूर लग रहा है लेकिन ये बिना किसी व्यवधान के हो रहा है.”
उन्होंने कहा, “उम्मीद नहीं की थी कि इतनी बड़ी संख्या में लोग पहुंच जाएंगे. 40 लाख लोग शहर में हैं. हमने कई जगहों पर ट्रैफ़िक को डायवर्ट किया है. वैकल्पिक रास्ते बनाए हैं ताकि लोगों को मंदिर तक पहुंचने में परेशानी ना हो.”
पुलिस लगातार सड़कों और मुख्य चौराहों की निगरानी कर रही है और साथ ही पड़ोसी ज़िला प्रशासनों से संपर्क में है ताकि भीड़ को नियंत्रित और मैनेज किया जा सके और उनकी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके.
राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के सेक्रेटरी चंपत राय ने कहा, “आसपास के लोगों और स्थानीय श्रद्धालुओं से हमने कहा है कि फ़िलहाल दर्शनों को 15-20 दिनों के लिए टाल दें ताकि जो लोग दूर से आ रहे हैं वो अच्छे से दर्शन कर सकें. ये सबके लिए अच्छा होगा. “
राय ने आगे कहा, “वसंत पंचमी के बाद फ़रवरी में हालात बेहतर होंगे. लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी. मौसम बेहतर रहेगा. अच्छा होगा कि स्थानीय श्रद्धालु उसके बाद यात्रा करें.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.