क्या है मामला?
मामला 2 जनवरी 2008 का है, जब मुरादाबाद के छजलैट थाने के सामने बवाल हुआ। 31 दिसंबर 2007 को रामपुर में हुए आतंकी हमले के बाद पुलिस अलर्ट पर थी। इसी दौरान छजलैट में लाल बत्ती लगी काली गाड़ी को चेकिंग के लिए रोका गया। यह गाड़ी सपा नेता आजम खान के काफिले का हिस्सा थी। गाड़ी रोकने पर सपाइयों ने हंगामा किया, सड़क पर जाम लगाया और नारेबाजी की।
पुलिस ने इस मामले में आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और अन्य सपाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। आरोपों में सरकारी काम में बाधा डालने, हंगामा करने, भड़काऊ भाषण देने और अन्य धाराएं शामिल थीं।
कोर्ट ने सुनाई सजा
मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 13 फरवरी 2023 को आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को दोषी करार देते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही उन पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। आजम खान ने इस सजा के खिलाफ जिला जज की कोर्ट में अपील की थी। इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए एडीजे-5 कोर्ट में हुई।
बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि अब्दुल्ला आजम घटना के समय नाबालिग थे और मामले की सुनवाई किशोर न्यायालय में होनी चाहिए थी। लेकिन विशेष लोक अभियोजक मोहनलाल विश्नोई ने इन तर्कों को खारिज करते हुए इसे न्यायसंगत ठहराया। लगभग 11 महीने की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपील को निरस्त कर दिया।
इससे सपा नेता आजम खान और उनके बेटे की सजा बरकरार रहेगी। अब आजम खान और उनके बेटे को पिछली कोर्ट की ओर से सुनाई गई सजा का सामना करना होगा। मामला अब कानूनी प्रक्रिया के अगले चरण में जा सकता है, लेकिन अपील खारिज होने से उनके लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।